--- क्यों नही आज ---
गर बिछड गया जो,कल को मै तुमसे.... तुम आंसू बहाओगे पर वो देख कहां मै पाउँगा! गर करते हो प्यार जो इतना तो जताते क्यों नही आज!! फूल चढ़ाओगे मेरी अर्थी पर पर वो खुशबू कहां मै ले पाउँगा! गर चाहते हो खुशबू फैलाना तो वो फूल भेजते क्यों नही आज!! तब बांधोगे तारीफों के पुल पर वो सुन कहां मै पाउँगा! गर बात मेरी कोई अच्छी लगती है तो बताते मुझको क्यों नही आज!! तब सोचोगे काश बिता पाते पल कुछ और हमारे साथ! मिले है पल जो ये किस्मत से जी लेते उन्हें क्यों नही आज!! भुला दोगे सब गिले-शिकवे तब पर जान कहां मै पाउँगा! गर मिल सकते है भुला कर सब तो फिर मिलते क्यों नही आज!! तरसोगे सुनने को इक आवाज़ मेरी पर तब बोल कहां मै पाउँगा! गर दिल चाहता कुछ बात करें हम तो फिर करते क्यों नही आज !! सतीश निर्दोष रेवाड़ी (हरियाणा )