ये मरना भी नही आसान औरत के लिए (हास्य)


एक दिन देखा सपना मैने कि कल मै मर जाऊंगी!
चिन्ता मे कट गई रात सारी कि गन्दे कपडे तो मशीन मे पडे हुए हैं धुले बिना,
मलाई का कटोरा भी भरा पड़ा है,फ्रिज मे ढके बिना!
आएंगे लोग मातम मनाने, तो चार नाम मै खाऊंगी!
बर्तन का ढेर लगा है रसोई मे,कमरा भी सारा अस्त व्यस्त है,
सोच सोच कर मन मेरा भीतर से बहुत त्रस्त है!
साडियां सारी तह लगाकर प्यार से सहलाऊंगी, 
अभी कर दो मरना कैंसिल,काम निपटा कर सारा परसो को मर जाऊंगी!
                                   श्वेता अरोडा

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