किसान की घर की रानी

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खेत में घुट्टी भर कादो भरल
रिमझिम बरसे पानी ।
निहुरी-निहुरी धान रोपे
किसान के घर की रानी ।

कादो सने अंगिया-साड़ी
तब होए खेती-बाडी ।
धूप में तपे जवानी ।
निहुरी निहुरी धान रोपे
किसान के घर की रानी ।

धीरे-धीरे दाना लगे
दाने में दूध भरे।
हरियर खेत पक होए धानी ।
निहुरी निहुरी धान रोपे
किसान के घर की रानी ।

काटी काटी धान माथे बोझा ढोआवे
तब जाकर धान खलिहान में आवे ।
खुशहाली में लगे मेला नेवानी ।
निहुरी निहुरी धान रोपे
किसान के घर की रानी ।

पहिन लाल साड़ी खोंस खोपा गेंदा फूल
मिलकर चले संगे उड़ा के सभे धूल  ।
झूम झूम गीत गावे होके मस्तानी ।
निहुरी निहुरी धान रोपे
किसान के घर की रानी ।

      पिंकी मिश्रा भागलपुर बिहार ।

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