रिश्ते


कुछ जाने से अनजाने से
 कुछ रिश्ते नए पुराने से।।।।।।
 कुछ मन को नहीं भाते हैं
 कुछ प्रीत नहीं निभाते हैं
 लगते हैं बड़े दीवाने से
 कुछ रिश्ते नए पुराने से ।।।।।।
कुछ खून से रिश्ते जुड़ते हैं
 कुछ बिना खून के बढ़ते हैं,
 कभी लगते सब अपने से हैं ,
कभी लगते हैं अनजाने से।
 कुछ रिश्ते नये पुराने से।।।।।।।
 रिश्तो के उलझे जंगल में
 मन की नदिया के कल कल में
खुशियां सी छा जाते हैं 
जब दोस्त मिले पुराने से।
 कुछ रिश्ते नए पुराने से ।।।।।।
जब मन को मन पहचानेगा
 एक दूजे का दुख जानेगा,
 कभी गैर भी अपने हो जाते 
कभी अपने लगे बेगाने से।
 कुछ रिश्ते नए पुराने से।।।।।।।


 स्वरचित सीमा कौशल
 यमुनानगर हरियाणा

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