बरसात की वो रात अंतिम भाग

अब  पहले जैसा श्याम नहीं था श्याम में बहुत परिवर्तन आ गए  थे वह बिंदु के आसपास ही मंडराया रहा करता था ।
मां और ननद जब कोई काम के लिए बिंदु को बोलती तो वह ज्यादातर मना कर देता।

मां उस में आए परिवर्तन को देख कर कहती  ये तो जोरू का गुलाम हो चुका है ।
बिंदु खूब खुश थी  कुछ ही महीनों बाद बिंदु गर्भवती हो गई श्याम उसको हमेशा खुश रखने की कोशिश करता ।उसकी सास भी उससे घर का कोई काम नहीं कराती।

सातवें महीने बिंदू के अंदर पल रहे बच्चे के लिए सीमंतोंन्नायन की पूजा (, बच्चे में अच्छे संस्कार ,गुण आए इसलिए) बिंदु की सास ने रखी।
श्याम दो दिन के लिए शहर गया था,लौट कर आया तो उसके साथ में एक बुजुर्ग महिला भी थी,उसने  देखा घर में चहल पहल थी।
उसने अपनी बहन राधा से पूछा _क्या बात है ?
उसने कहा भैया ,तुम्हारे बच्चे के लिए पूजा रखी है।
वो गुस्से से आग बबूला हो गया।क्या जरूरत थी इस पूजा की।
बिंदु ने उसे समझाया कि ये हमारे बच्चे के लिए अच्छा है।
वो बुजुर्ग महिला बिंदु के पेट की तरफ  अजीब नज़रों से घूर रही थी। खूब खुश ह
पूजा की तैयारियों में बिंदु की सास ने ध्यान नहीं दिया उस महिला पर।

बिंदु सोलह श्रृंगार कर तैयार हुई।पंडित जी नियत समय पर आए।

आने पर उन्हें घर का वातावरण दूषित लगा।नकारात्मक शक्तियां जैसे पूरे घर पर हावी थी।
उन्होंने सोचा शायद मेरा भ्रम है।पूजा के लिए बिंदु आई,पंडित जी ने उसका पेट देखा ,तो वो डर गए।
,गांव की महिलाएं पूजा में शामिल होने आईं थी ,उनके सामने कुछ कहना सही नहीं लगा ,उन्होंने बिंदु की सास को बुलाया।

श्याम की मां ,_तुम्हारी बहु के पेट में शैतान पल रहा।तुम्हारा बेटा बन कर जो रह रहा है ,वो तुम्हारा श्याम नहीं हो सकता। अब  ये पूजा नहीं हो सकती।

बिंदु की  सास  बेहोश होते होते बची ,वो थर थर कांप रही थी।
पर मेरा श्याम कहां गया?और ये कौन है?
श्याम अगर ये नहीं तो वो ,मेरा श्याम चिट्ठी तो भेजता था,क्या उसे इतने दिन हमारी याद नहीं आई _श्याम की मां अपने में बुदबुदा रही थी ।

पंडित जी ने उसे कुर्सी पर बिठाया।

टूटी फूटी आवाज में बिंदु की सास ने कहा _अब क्या होगा पंडित जी।
पंडित जी ने कहा _बहू  के पेट को देख लग रहा है , कि कभी भी शैतान जन्म ले सकता है ।
घर में आई महिलाएं कानाफूसी कर रहीं थी,पंडित जी ने राधा (श्याम की बहन)को बुलाया ।
राधा तुम जाकर सबसे कहो की ये पूजा नहीं हो पाएगी ।पूजा का समय निकल गया,सबलोग अपने घर जाएं।
अपनी भाभी को कमरे में ले जाओ,थक गई होगी ,इतना वजन उठा कर_पंडित जी ने राधा से कहा।

पर बात क्या है?वो औरत कौन है ,जो भैया के साथ आई है?_राधा ने कहा।
किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।

राधा ने सभी महिलाओं को घर जाने को कहा ।गांव की महिलाओं की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है?लेकिन इतना अंदाज हो गया था कुछ गड़बड़ जरूर है।

राधा ने देखा ,बिंदु को वह महिला और श्याम कमरे में ले जा रहे थे,और उन्होंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

पंडित जी ने कहा _श्याम की मां ये सही मौका है,अभी वो लोग अंदर हैं,चलो बाबा जी के मेले में वहां से भभूत ले आना ,और वहां तुम्हारे घर में घट रहे सारे सवाल का जवाब भी मिल जाएगा।

श्याम की मां ,घबराई तुरंत चल दी, पांवों में चप्पल भी नहीं पहन रखा था ,वो पूरी बदहवास और डरी हुई थी कि ,कुछ सूझ ही नहीं रहा था।
जल्दी ही वो लोग बाबा जी के मंदिर पहुंच गये।

वहां एक धूनी रमाए बाबा बैठे थे,देखते ही उन्होंने कहा _आ गई तू।
तेरे घर श्याम के वेश में शैतान रह रहा_, बाबा ने कहा।
पर बाबा मेरा श्याम?_बिंदु की सास ने पूछा।
तेरा श्याम तुमलोगों की कोई खोज खबर न पा कर  दो दिन पहले ही गांव में दाखिल हुआ ,जहां इस शैतान ने उसे कैद कर लिया,वो बेहोश पड़ा है। जब तक ये दुष्ट आत्मा उसका  शरीर नहीं छोड़ेगी ,तब तक वो बेहोश रहेगा।

वो  दुष्ट  उसी दिन तुम्हारे घर आया ,जब एक साल पहले बिंदु और श्याम बरसात की रात पेड़ के नीचे रुके थे, उस पेड़ पर ये दुष्ट आत्मा रहती थी।
तेरी बहू उसे भा गई थी।

तीन महीने तक वह उसके आस पास बिना शरीर के मंडरा रहा था ।
लेकिन  तीन महीने बाद वो तुम्हारे श्याम का  छद्म शरीर ले तुम्हारे घर में घुस आया।
कल अमावस की रात है ,कल बिंदु के अंदर पलने वाला शैतान बाहर आएगा ।
जिस महिला को वह लाया है ,वह शैतानों की धाय है।

बाबा जी अब मैं क्या करूं?
ये सिद्ध बाबा मुचकुंद की भभुति है ,इसे बिंदु को पानी में मिलाकर पिला देना।
आज और कल शाम तक ।उसका गर्भ गिर j 
जायेगा।
और ये पवित्र जल अपने घर में कल सुबह स्नान कर महादेव का नाम लेकर छिड़क देना,बुरी आत्माएं गायब हो जाएंगी ।

जल्दी जल्दी श्याम की मां ,पंडित जी रास्ते से अपने घर चले गए घर वापस आ गई।

राधा घर के बाहर ही खड़ी थी।श्याम की मां ने कहा _तू बाहर क्यों खड़ी है?

मां मुझे घर के अंदर जाने में डर लग रहा _राधा ने धीरे से कहा।

बाबा के मंदिर से लौट कर आई ,श्याम की मां में अब नई स्फूर्ति आ गई थी,अब उसका डर दूर हो चुका था ,अब उसका एक मकसद था,चाहे उसकी जान ही क्यों न चली जाए ,वो अपने बहु ,बेटे को सही सलामत करके रहेगी।

बिंदु का कमरा अभी भी बंद था ,शायद वो लोग भी कोई अनुष्ठान कर रहे थे।

बिंदु की सास ने जल्दी जल्दी खाना बनाया।राधा ने दरवाजा खटखटाया_भाभी ,भैया खाना खा लो।
अंदर श्याम ने दरवाजा खोला,मुस्कुराते हुए बोला_अरे राधा!
हां भैया ,आपलोग खाना खा लो।
मैं भाभी को खाना खिला देती हूं_राधा ने कहा।
श्याम की मां का अभी ठीक से  उस बुजुर्ग महिला के बारे में श्याम से नहीं पूछ पाई थी,।
तब तक श्याम ने ही उसका परिचय दिया _मां  ये बिंदु की दूर की मौसी हैं,मुझे मिल गई थीं।
उधर राधा जब कमरे में गई तो बिंदु रोने लगी ,उसे पता चल गया था , कि उसका पति श्याम नहीं,बल्कि एक शैतान है ,और उसके पेट में जो बच्चा है ,वो शैतान का बच्चा है।
राधा ने ढांढस बंधाया ,और सारी योजना बताई ।
उसने पानी में भभूत घोल कर पिला दिया।बिंदु गहरी नींद में सो गई।
सुबह आकर फिर राधा ने उसे भभूत पिला दिया।बिंदु थोड़ी देर बाद छटपटाने लगी।
बूढ़ी,और श्याम दौड़े ,उससे पहले बिंदु की सास ने बिंदु के कमरे और दरवाजे पर पवित्र जल छिड़क दिया।

राधा तुरंत गांव की एक धाय को ले आई ,उसने बिंदु का प्रसव कराया तो उसमें से मांस का लोथड़ा निकला ,वह चिल्लाने को हुई ,तब श्याम की मां ने उसे सोने की मुहर जो उसकी सास ने उसे दिया था , धाय को पकड़ा दिया और हिदायत दी कि किसी के आगे मुंह न खोले।
दोनों शैतान अदृश्य होकर कोशिश करने लगे ,लेकिन वे कमरे में जाने में असफल हो रहे थे।
श्याम की मां ने राधा को पवित्र जल दिया और पूरे घर में छिड़कने को कह ,खुद उस मांस के लोथड़े को गांव से दूर जलाने ले गई।

जब घर में राधा जल छिड़क रही थी ,वो जल शैतान और उसकी धाय पर गिरा ,एक भयंकर आवाज चीखने की आई और थोड़ी देर में शांत हो गई।घर में सुंदर मोगरे की खुशबू फैल गई।

जिस कमरे में श्याम था ,उसे होश आ गया।और चिल्ला कर कुछ जाते हुए गांव वालों की मदद से दरवाजा खुलवा कर बाहर आया,और घर आ गया।

सभी उसे देख खूब खुश हुए।श्याम की मां ने उसे पूरी बात बताई ,जो इतने समय से उन्होंने झेला था।
बिंदु भी आत्मग्लानी से नजरें नही मिला पा रही थी।
श्याम ने उसे समझाया ,दिमाग पर जोर न दो,जो हुआ उसे बुरा सपना समझ कर भूल जाओ।
तुम ठीक हो जाओ ,तो सब लोग बाबा के उस मंदिर में चल कर आशीर्वाद लेंगे,आगे किसी भी बुरी शक्ति का हमारे जीवन में कभी प्रवेश न हो।
फिर सब खुशी खुशी रहने लगे।श्याम ने शहर की नौकरी छोड़ ,गांव में खेती पर ध्यान देना शुरू किया।

समाप्त

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