मासूम सी वो लड़की
मासूम सी वो लड़की थी
मासूमियत बातों से झलकती थी
नही दिया धोखा कभी किसी को
शायद इसीलिए खुशियां उसके आँगन बरसती थी
अकेली बैठी थी एक बार वो
खोई अपने सपनों के राजकुमार के ख्यालों में
तभी पड़ी उस पर एक शिकारी की नजर
उसके खराब हुई नीयत हर पल
उसने भेष था उसके राजकुमार का बनाया
रूप ऐसा जिसे देख लड़की का मन उस पर आया
नही जानती थी वो इंसान नही भेड़िया है
वो समझ उसे अपना गई उससे लिपट
उस शिकारी ने भी क्या जाल बिछाया
उस लड़की को प्यार की बातों में उलझाया
वो नासमझ थी गई उसके जाल में फंस
कुछ पल के लिए गई वो उसके रँग में रंग
तभी दूर से देखा तो सामने राजकुमार को पाया
अभी समझी वो शिकारी भेष बदलकर आया
अभी सोचे कैसे वो निकलेगी यहाँ से
दी उसने आवाज अपनी सखी को वहाँ से
उसकी सखी ने भी फिर एक जाल बिछाया
अपनी सुंदरता से उस शिकारी को रिझाया
वो भूल उस मासूम को गया दूजी के पास
खुद अपने ही जाल में फंसता वो गया।
इस तरह से एक सखी ने अपनी सखी को बचाया
उसकी मासूमियत को उसने शिकंजे से निकलवाया
आज हो गई आजाद वो मासूम सी लड़की
अभी उड़ती फिरे जहाँ में नही शिकारी का है डर
मेरी बात गौर से सुनना मेरी सखियों मेरी बहनों
नही है आज भी कमी यहाँ शिकारियों की बहनों
मत उलझना न करना भरोसा किसी अजनबी पर
चाहे कोई कितना ही बोले कि वो है तुम्हारा दिलबर
ॐनमःशिवाय
🙏🙏🙏🙏🙏
कोमल भलेश्वर
यमुनानगर(हरियाणा)
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