स्वतंत्रता सेनानी



भारत मां के लिए दी गयीं कईं वीरो की कुर्बानी।
आजादी की उठा मसाल चले स्वतंत्रता सेनानी।।

अपने जीवन का न लालच दिल में बस अरमान था।
जीवन में जीवन से बढ़कर मातृभूमि सम्मान था।।

बच्चों ने जीवन दे दिया वयस्क जवानी दे गए।
आजादी की कीमत क्या है यह कहानी दे गए।।

कैसे उनका दम घुटता था मिलती कईं निशानी।
आजादी की उठा मशाल चले स्वतंत्रता सेनानी।।

भगत सिंह फांसी पर झूले किंतु कभी हार न मानी।
स्वाभिमान की खातिर मिट गई मण्डला की रानी।।

कईं वीरों ने जान गवाई कईयों ने अस्तित्व खो दिया।
इन वीरों की कुर्बानी ने आजादी का बीज बो दिया।।

वह वीर मिटकर दे गए हमें अनेक नई कहानी।
आजादी की उठा मसाल चले स्वतंत्रता सेनानी।।

नाम - विक्रांत चम्बली
पता - ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

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