मासूम
बता बेटा वो रामनाथ तुझसे क्या कह रहा था?
मम्मी अंकल ने कहा -"लवी तेरी मम्मी तुझे बुला रही हैं बेटा।"
"लेकिन अंकल मेरी माँ तो मार्किट गई है, वह मेरे लिए खिलौने लेकर आएगी।"
"हाँ बेटा वह मार्किट ही गई थीं लेकिन अभी वे सुनीता आँटी के घर बैठी हैं ।सुनीता आँटी पिज़्ज़ा बना रही हैं इसलिए तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें भी पिज़्ज़ा खाने के लिये बुलाया है।"
"लेकिन अंकल रवि भैया तो वही पर होंगे वे क्यों नही आये मुझे बुलाने।"
"बेटा मैं इधर ही आ रहा था इसलिए उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें लेकर आ जाऊँ।"
"ठीक है अंकल मैं अभी अच्छे कपड़े पहनकर आती हूँ।"
"बेटा दरवाजा खोल दो जबतक तुम तैयार होगी मैं यहीं बाहर खड़ा रहूँगा तो मेरे पैर दुख जाएंगे।"
लवी दरवाजा खोलने ही जा रही थी कि अचानक उसके दिमाग में अपनी मम्मी की कही बात याद आ गई। मम्मी कहती हैं-"बेटा जिन्हें तुम अच्छी तरह से नहीं जानती ,मेरे घर से बाहर जाने पर यदि कोई आये तो दरवाजा मत खोलना।"
तभी उसे मम्मी की कही हुई एक बात और याद आ गई कि घर के लोगों के अलावा किसी के साथ अकेले कहीं नहीं जाने को कहा था।
उसने तुरंत दरवाजे के होल से कहा-"अंकल मैं मम्मी को फ़ोन करके पूछती हूँ कि उन्होंने मेरी ड्रेस कहाँ रखी है।"
इसपर उस आदमी ने कहा-"ठीक है बेटा तुम तैयार रहना मैं थोड़ी देर में आता हूँ।"
अब लवी ने मम्मी को फ़ोन करके पूछा कि मम्मी आप सुनीता आँटी के घर पर हो और मुझे पिज़्ज़ा खाने के लिए बुला रहे थे?
मम्मी को लवी की बात समझ आ रही थी वे जल्दी स घर आईं।
तब लवी ने उन्हें सारी बातें बताई।
मार्किट से मम्मी उसके लिए एक बड़े से पिज़्ज़ा का आर्डर किया और अपने गोद में बिठाकर बोलीं-"मेरी बहादुर ,समझदार मासूम बच्ची।"
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
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