उस किनारे से


🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जब भी जाती हूँ सैर करने मैं उस पनघट के किनारे
लगता हैं मुझे कोई देख रहा हो खड़े उस किनारे से

कभी अजनबी तो कभी वो चेहरा पहचानी सी लगती हैं
लगता हैं मुझे कोई देख रहा हो खड़े उस किनारे से

जाने क्या हैं दिल में उसके जो रोज़ वहाँ चले आता हैं
पता नहीं किस इरादे से निहारता हैं मुझे उस किनारे से

कभी कभी सोचती हूँ पूछ ही लू मैं उस अजनबी से की
क्यूँ आते हो यहाँ और क्या देखते हो उस किनारे से

कुछ कदम बढ़ती हूँ उसके ओर फिर पीछे हट जाती हूँ
डर लगता हैं कोई देख ना ले हमें साथ में उस किनारे से

कभी कभी लगता हैं की कही वो मेरी दिल का वहम तो नहीं
जो दिल मान बैठा हैं कोई अपना सा जो खड़ा हैं उस किनारे पे

दुनिया तो हैं ही एक भूलभुलैया जो फ़साने भी हकीकत सा लगता हैं
लगता हैं भरम हैं मेरे पागल दिल का जो इसे लगता हैं
कोई देख रहा हो नैना खड़े उस किनारे से.....!!
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
नैना...✍️✍️❤️

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४