लापरवाही
संजोग अपनी पत्नी का इलाज बड़े अस्पताल में करा रहा है। छोटे और सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के किस्से सुन सुन कर उसका मन भर गया। इसलिये अपनी सामर्थ्य से भी बढकर इस बड़े अस्पताल में वह इलाज करा रहा है।
यहाॅ इलाज में कोई कौताही नहीं बरती जाती। नर्स सुबह सुबह पिछले दिन के खर्च की रसीद दे देती। संजोग भुगतान कर देता। भुगतान की रसीद नर्स को दिखाता। फिर पूरे दिन व राम की जिम्मेदारी डाक्टर व नर्सों की थी। न कहीं दवाई के लिये भागना और न कोई अन्य चिकचिक।
" आज मैडम को इमर्जेंसी इंजेक्शन लगाना है। आप यह बिल जमा करा कर आयें।" नर्स ने रोज की तरह पर्ची पकड़ा दी।
" सर आपके एटीएम की लिमिट कम है। कल ज्यादा मंहगी दवाइयां दी गयी थीं। "
केश कांउटर पर मौजूद स्टाफ ने स्थिति साफ कर दी। संजोग चेक बुक निकालने लगा।
". एक्च्यूम मी सर ।चेक नहीं। दरअसल बहुत से चेक बाउंस हो गये थे। अस्पताल ने यही नियम बना दिया है। मैं तो यहाँ नौकर हूं। अस्पताल के हिसाब से काम करना है। "
" फिर बिल कैसे जमा करूं।"
" कोई बात नहीं सर। आप हमारे खाते में आर टी जी एस करा दें।"
कर्मचारी ने एक पहले से प्रिंट कागज पकड़ा दिया।
अच्छी बात थी कि संजोग के बैंक खाते में इंटरनेट बैंकिग एक्टिव थी। पर ट्रांजेक्शन होने में आधा घंटा लग गये।
" देखिये भई। आर टी जी एस कर दिया है। अब रसीद काट दो। "
संजोग कैश काउंटर पर पहुंच गया। अभी तक बैंक के खाते में पैसा पहुंचा नहीं था। तथा बिना पैसे आये वह रसीद काटने को तैयार न था।
आखिर आधा घंटा और लग गया। बिल भुगतान की रसीद लेकर वह वार्ड की तरफ भागा।
" कितनी लापरवाही है। हमने तो सुबह से इंजेक्शन मंगा लिया। पर आपका पता ही नहीं।" हैड नर्स ने टोक दिया।
" कोई बात नहीं सिस्टर । बिल जमा होने में देर हो गयी। यह रही रसीद। अब तुरंत उसे इंजेक्शन लगा दो।"
" अब कोई जरूरत नहीं है। आपकी पत्नी की लाश को कपड़े से बंद कर दिया है। यह बचा हुआ बिल जमा करो। और अपनी पत्नी की लाश को ले जाओ। "
संजोग की हवाइयां उड़ गयीं। सोचने लगा कि इंजेक्शन मंगा लेने पर भी पत्नी को नहीं लगाया तो लापरवाही निश्चित ही खुद संजोग की है। आखिर बिल समय पर जमा नहीं कर पाया।
दिल में लापरवाही का दंश लेकर वह फिर से कैश काउंटर पर लगा है। इस समय तक काउंटर पर भी भीड़ हो चुकी है। वह अपने नंबर की प्रतीक्षा कर रहा है।
दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'
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