पुनर्विवाह भाग - ११
रचना - उनके जाते ही रविश के माता-पिता ने हल्दी की रस्म को कुछ देर के लिए टाल कर स्वाति के माता-पिता अपने समधी और रविश को बुलाकर बात करने लगे । सबसे पहले उन्होंने रविश को स्वाति के बारे में पूछा ! जिसे रविश ने साफ शब्दों में कह दिया कि वो स्वाति को पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है । स्वाति के मां पिताजी रविश की बात सुनकर की वो स्वाति से शादी करना चाहता है । स्वाति की शादी का पूरा सच उन्हें बता दिया और रविश से पूछा - क्या अब भी तुम स्वाति से शादी करना चाहते हो ? रविश के हां कहते ही स्वाति के मां - पिताजी खुश होकर ।
स्वाति के पिताजी - इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है हमारे लिए । हमें इस शादी से कोई आपत्ति नहीं है । बस हमें एक बार स्वाति से इस बारे में पूछना पड़ेगा । क्योंकि वो एक बार दर्द से गुजर चुकी हैं । पता नहीं वो शादी के लिए मानेगी या नहीं !
रविश - अंकल , आप बिल्कुल फ़िक्र ना करें । सब एक जैसे नहीं होते और मैं आपसे वादा करता हूं । स्वाति की आंख में एक आंसू भी नहीं आने दूंगा ।
रविश की बातें सुनकर उनके माता-पिता ने कहा ! अगर रविश स्वाति से शादी करना चाहता है तो हमें कोई परेशानी नहीं है इस शादी से हमें तो बस अपने बेटे की खुशी चाहिए । जाइये आप भी जाकर स्वाति से बात करिए और स्वाति को मनाने की कोशिश करिए । स्वाति के मां - पिताजी जब स्वाति से शादी की बात करने गये तो बिफर पड़ी स्वाति । शादी का सच मैंने देख लिया है पापा ! मुझमें और शक्ति नहीं है ये सहने की ये कहकर स्वाति जा रही थी । लेकिन स्वाति के पापा ने स्वाति को रोककर उसे समझाते हुए कहा । " बेटा सब पुरूष एक जैसे नहीं होते बेटा और रविश एक अच्छा लड़का है । मैं मिला हूं उससे और बेटा तू कब तक ऐसी रहेगी । हम सारी जिंदगी तो तेरे साथ नहीं रह सकते ना ! और तू कब तक ऐसे अकेले रहेगी । बेटा तुझे ऐसे देखकर हम पर क्या बीतती है । तुझे क्या पता ! बेटा हम तेरे हाथ जोड़ते हैं , तू इस रिश्ते के लिए हां कर दें । स्वाति अपने पापा का हाथ पकड़कर इस शादी के लिए हां कर देती है । स्वाति की बहन की हल्दी की रस्म से पहले स्वाति और रविश की सगाई कर दी जाती हैं ।
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एक हफ्ते बाद स्वाति के घर में शादी की तैयारियां चल रही हैं । उसी समय शिवांश के स्कूल से काॅल आती है कि शिवांश के स्कूल से उसकी टीचर ने स्वाति को बुलाया है । जब स्वाति शिवांश के स्कूल जाती है , तो उसे प्रिंसिपल के आफिस में भेज दिया जाता है । स्वाति प्रिंसिपल के आफिस में जाती है तो प्रिंसिपल उन्हें एक फाइल देकर कहते हैं कि इसे पूरा भरिये । जब स्वाति फार्म भर कर देती हैं । तो प्रिंसिपल मैडम उन्हें पिता की खाली जगह पर नाम लिखने को कहती हैं । स्वाति ये कहकर मना कर देती हैं कि , उसकी मां भी मैं हूं और पिता भी मैं हूं । ये कहकर स्वाति उस खाली जगह पर अपना नाम लिखने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि एक आवाज सुनकर वो रुक गई ।
मैं हूं शिवांश का पापा और यहां हस्ताक्षर करने का अधिकार मेरा है । ये कहकर रविश ने खाली जगह पर हस्ताक्षर किया । आज रविश को इस तरह देखकर स्वाति के मन में रविश ने अपने लिए जगह बना ली थी । यही सोच रही थी स्वाति की शिवांश ने अपनी मम्मी को शादी के जोड़े में देखकर कहा ! मम्मा आप इस ड्रेस में बहुत सुंदर लग रहे हो । बिल्कुल एक राजकुमारी की तरह और तभी दरवाजे पर बारात आई और सभी घरवाले बारात का स्वागत करने के लिए गये । आज राजकुमार अपनी राजकुमारी को लेने के लिए आ गये थे ....
क्रमशः
रचनाकार - श्वेता सोनी
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