मुंशी प्रेमचंद्र (एक अमिट सहित्य नायक)
सुनो सुनो ये भाई बहनों,
प्रेमचंद्र की अमिट कहानी!
वो सहित्य कार पूज्य है इतना,
उसका न है कोई सानी!!
वाराणसी के लमही गाँव में ,
इक्कतीस जुलाई, सन् उन्नीस
सौ अस्सी में जन्म हुआ!
पिता अजायब लाल, आंनदी मां,
की कोख, में फिर अवतरण हुआ!!
धनपत राय नाम मिला उनको,
खेल कूद बचपन बीता, बी ए परीक्षा,
मे अव्वल आ!
शिक्षा विभाग में, इस्पेक्टर पद प्राप्त किया!!
पहला लेख, "राष्ट्र विलाप लिखा,"
उनका बडा विरोध हुआ!
इस घटना के बाद ही, प्रेमचंद्र का जन्म हुआ!!
अधुनिक काल के, पितामह बन!
सभी विधाये लिख डाली!!
आदर्शवाद, यथार्थ वाद को लिखकर!
उस नायक ने, प्रगतिशीलता लिख डाली!!
हर लेखन को कलमबद्धकर,!
प्रेमचंद्र मुम्बई आये!!
उर्दू हिन्दी पत्रिका में छपकर!
जनता के मन मे छाये!!
सरस्वती, माधुरी मर्यादा!
चांद सुधा में नाम किया!!
सेवासदन, रंगभूमि, कर्मभूमि,
फिर लिख डाली!
निर्मला, गबन, गोदान लिखा फिर,
मानसरोवर रच डाली!!
कफन लिखा अखिरी सफर में,
फिर जीवन पथ छोड़ चले!
बनकर कलम के जादूगर,
सहित्य से मुहं मोड चले!!
जब सहित्य की बात चलेगी,
प्रेमचंद्र जीवंत होगें!
गौरवान्वित देश रहेगा भारत,
वो सहित्य सागर होगें!!
धन्यवाद🙏""
श्रीमती रीमा महेंद्र ठाकुर लेखिका "
रानापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत
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