स्पंदन राजकहानी,"


बेखबर सी आरोही, सुनसान सड़क पर दौडी जा रही थी! उसनें जो कुछ देखा क्या वो सही था! 
या फिर उसके दिमाग ने उसे छला, बहुत सी बार कुछ ऐसा घटित हो जाता है! जो हकीकत मे होता नही, अचानक एक रोशनी कौधी, उसके कदम रूक गये! 
उसने इधर उधर देखा सुनसान सडक स्याह रात, कुछ नजर नही आ रहा था! अखिर वो भाग क्यू रही है और किससे, उसने दिमाग पर जोर दिया कुछ याद न आया, कुछ दिन पहले की ही बात थी, जब वो आनंद के साथ उस खडहर नुमा महल को देखने गयी थी,! 
फिर से बिजली कौंधी, आरोही ने ऊपर आसमान की ओर देखा बदल घुमड रहे थे, जैसे अभी फट जाऐगें, 
दृश्य कुछ डरावना सा हो रहा था! 
अब शरीर में भी कंपन हो रही थी, अचानक उसे महसूस हुआ दो हाथों ने उसे पकडा, वो जोर से चीखी, आंनद,, क्या क्या हुआ आरोही, दूर से आंनद की आवाज़ सुनायी दी, 
आरोही क्या हुआ, उठो उठो, 
आरोही ने धीरे से आंखे खोली, वो अपने पंलग पर थी! सामने भयभीत सा आनंद खडा था, क्या हुआ आरोही, कोई बुरा सपना देखा क्या, शायद हा मे गर्दन हिलायी आरोही ने, 
वो आनंद को कैसे बताये आजकल उसके साथ क्या हो रहा है, वो दोहरी जिदंगी जी रही है! 
आरोही  ने खुद को सम्भाला, उठने को उद्दत हुयी, आनंद ने उसे इशारे से उठने को मना बोल दिया,  हरहायनस आराम करो शायद तुम्हे आराम की जरूरत है, पिछले कुछ दिनों से आनंद महसूस कर रहा था की कुछ तो आरोही के साथ घट रहा है! जो उसे नजर नही आ रहा, पर वो पूछने की हिम्मत नही जुटा पाया! 
आरोही बिस्तर से बाहर आ गया, आनंद ऑफिस जा चुका था! 
आरोही फ्रेश होने वाॅशरुम की ओर बढ गयी, 
रुपा, किसी ने पीछे से उसे इस नाम से पुकारा, इन दिनो कितनी
बार उसके कानो ने इस नाम को सुना था! वो नाम कुछ पहचाना सा लगने लगा, उसने पलट कर देखा, उसकी आंखे फटी रह गयी, हू बहू उसके जैसी, राजसी वस्त्रो मे एक युवती खडी थी! 
कौन हो तुम आरोही हकलाते हुऐ बोली, मेरे पास आओ, एक गहरी आवाज गूंजी, आरोही के पैर फर्श से चिपक गये! 
वो राजकुमारी सी दिखने वाली लडकी, उसी की ओर बढने लगी, आरोही ने भागने की कोशिश पर वाॅशरुम इतना छोटा था की दीवार से टकरा गयी, दीवार से टकराते ही, सबकुछ बदलने लगा, वहाँ एक बहुत बडा स्नानागार बन गया,! 
बहुत सारी खिलखिलाने की आवाजे गूंजने लगी, फिर दृश्य परिवर्तन होने लगे, वहाँ जाने कहाँ से दो दर्जन युवतियाँ आ गयी! 
युवतियो की चुहुलबाजी कुछ शब्द उसे अनसुने से लगे पर समझ मे आ रहे थे, उसकी नजर एक बहुत खूबसूरत युवती पर पडी, जो अर्द्धवस्त्र मे थी, वो सारी युवतियां, दासी या फिर सखियाँ थी! 
आरोही उस युवती को देखने के लिए उत्सुकता से उसकी ओर बढ गयी! उस युवती की पीठ आरोही की तरफ थी! पास जाकर आरोही समझ चुकी थी, की वो युवती राजकुमारी है! 
राजकुमारी के चेहरे पर नजर पडते ही भौचक्की सी रह गयी आरोही,,,,आरोही की तरफ देखकर मुस्कुरायी राजकुमारी, 
और उस राजकुमारी का जिस्म आरोही में समा गया! 
अचानक से कोलाहल सुनायी दिया! 
कुछ सैनिक अंदर आ गये, सम्राज्ञी, की जय हो, महल मे विद्रोह हो गया है, सम्राट बंदी बना लिये गये है! आप गुप्त मार्ग से भाग जाये'
आरोही जो की अब सम्राज्ञी बन चुकी थी! वो उन्ही वस्त्रो मे गुप्त मार्ग की ओर दौडी, वो गुफा नुमा मार्ग बहुत सारे रास्ते उसे समझ न आया कौन सा रास्ता सही है! 
वो एक रास्ते की ओर बढ गयी! 
कुछ दूर कई झरोखे   नजर आये, अचानक दृश्य परिवर्तन होने लगा, किसी पुरुष ने उसे बाहो में जकड़ लिया! वो खिलखिलाकर हंस रही थी,! वो उस पुरुष को तंग कर रही थी! 
पकड कर दिखाओ मुझे, सम्राट, हाथ न आऊंगी, अच्छा, देखते हैं हम भी, झरोखे के चारों ओर पानी था शायद वो महल पानी के अंदर था! 
पकडो पकडो,  सम्राज्ञी ने छेडा, उफ के साथ सम्राट की आवाज सुनायी दी, सम्राज्ञी, क्या हुआ, चोट लग गयी, वो उल्टे पैर वापस आ गयी, पकड लिया हमने आपको रूपा, नही भानू आपने धोखे से पकडा, वो अतरंग क्षण  आरोही की आंखों मे तैर गया! अब पकड कर दिखाओ, रूपा ऊपर जाती सिढियो की ओर बढ गयी, बाहर से उजाला फैल रहा था! 
फिर से दृश्य परिवर्तन हो गया! 
आरोही महल के बुर्ज पर खडी थी! बहुत सारे सैनिकों ने उसे घेर रखा था! उसने नजर दौडाई, बचने का कोई रास्ता न था! 
रूपा एक क्षत्राणी की मर्यादा उसके शील से जुडी होती है! 
उसकी माँ की आवाज ने उसके कानो मे सरगोशी की, बलिदान मांग रही है, राज्य परम्परा, 
रूपा आगे बढी, सैनिक आवाक से देखते रहे! 
और महल की बावडी मे एक हल चल हुई सब कुछ शांत,,, 
आनंद अखिर क्या तुम दोनों मे झगडा हुआ था, नही मां सुबह आरोही की तबियत ठीक नही थी, वो सोयी थी मै ऑफिस चला गया था! फिर बहू ने सुसाइड की कोशिश क्यू की, पता नही मां, मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा, हा,, बाहर लोग तरह की बात कर रहे हैं! पुलिस भी आयी बयान लेने, अब आरोही को होश आ   उसके पास बैठा था! वो आनंद से लिपट गयी, मै अब आपको कभी छोडकर नही जाऊँगी, पर आरोही तुम महल में क्यू गयी थी!
कब  आरोही ने पूछा, कुछ नही मां के इशारे पर आनंद चुप रह गया! आरोही की मुस्कान सास को कुछ अलग संकेत दे रही थी!  वो समझ चुकी थी, की समझ चुकी थी कि आरोही के साथ कुछ परा शक्तिया है जो अपना उद्देश्य पूरा किये बगैर नही जायेगी,,, समाप्त

श्रीमती रीमा महेंद्र ठाकुर
रानापुर झाबुआ मध्यप्रदेश

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