प्रख्यात कहानीकार,उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर शत शत नमन विशेष
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श्री मुंशी प्रेमचंद्र जी प्रतिभा से थे बड़े विराट,
प्रख्यात कहानीकार और थे उपन्यास सम्राट।
माँ थी आनंदी देवी पिता मुंशी अजायब राय,
बचपन में मुंशी जी का एक नाम नायब राय।
धनपत राय नाम है असली हैं कायस्थ सम्राट,
दुबले पतले कद काठी वाले तेजस्वी ललाट।
पवित्र काशी की धरती वाराणसी के लमही में,
जन्म हुआ था 31 जुलाई 1880को लमही में।
अथाह ज्ञान से भरे हुए लेखन विद्या के भंडारी,
सीधे साधे निर्मल मन के शिक्षा से थे संस्कारी।
शुरू-2 में हंस पत्रिका का करते रहे ये संपादन,
किन्तु बाद में एक नहीं कई कृतियों का लेखन।
गोदान,गबन,निर्मला,सेवासदन,प्रेमाश्रम,रंगभूमि,
हैं सभी उपन्यास कायाकल्प,प्रतिज्ञा व कर्मभूमि।
बड़े घर की बेटी,दो बैलों की कथा व पूस की रात,
पञ्च परमेश्वर,बूढ़ी काकी,कफ़न कहानियाँ खास।
आदर्शोन्मुख यथार्थवाद जिनका साहित्य विशेष,
अनमेल विवाह,छुआछूत,दहेज़,जाति भेद विशेष।
पराधीनता,विधवा विवाह,एवं स्त्री पुरुष समानता,
लगान,आधुनिकता जैसेबिंदु का चित्रण प्रधानता।
प्रेमचंद्र की अधिक कहानी हिंदी उर्दू में प्रकाशित,
जागरण पत्र व हंस पत्रिका स्वयं किये प्रकाशित।
जीवन के अंतिम क्षण तक साहित्य सृजन में लीन,
1918-1936 का कालखंड प्रेमचंद्र युग की सीन।
मुंशी जी ने जिलास्कूल बेल्हा में रह 4वर्ष पढ़ाया,
वही स्कूल बाद में जीआईसी प्रतापगढ़ कहलाया।
हिन्दी साहित्य में इनका है बड़ा अमूल्य योगदान,
कभी भुला नहीं सकता है मुंशी जी का अवदान।
प्रेमचंद्र की साहित्य सरिता रहे अविरल प्रवाहमान,
शत-2 नमन मुंशी प्रेमचंद्र जी हे!भारत के विद्वान।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
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