पुनर्विवाह भाग - १२
दुल्हन बनी स्वाति खुद को आईने में देख रही थी तभी नन्हे शिवांश ने आकर स्वाति को कसकर पकड़ लिया । शिवांश - मम्मा आज तो आप बहुत सुंदर लग रहे हो किसी राजकुमारी की तरह मम्मा आप हमेशा ऐसे ही तैयार क्यों नहीं होते हो ।
स्वाति ने मुस्कुराते हुए कहा - बेटा अब से मम्मा ऐसे ही तैयार होंगी । शिवांश - सच मम्मा !" बिल्कुल सच " स्वाति ने कहा ! तभी बाहर से आवाजें आने लगी । स्वाति के पिताजी उसकी मां को कह रहे थे । बारात पहुंच गई है , तुम जाओ और बारात की स्वागत की तैयारी करो । स्वाति की मौसी दौड़ते हुए आती है । दीदी जल्दी कीजिए । बारात आ गई है , चलिए जल्दी कीजिए ।
स्वाति की मां - पिताजी और मौसी बाकि रिश्तेदारों के साथ बारात का स्वागत करने पहुंची । बारात स्वागत करने के बाद रविश को स्टेज पर बिठाया गया । रविश , सौरभ और पीहू और बाकि के घरवाले थे । शादी में ज्यादातर लड़के वाले ही नजर आ रहे थे । क्योंकि ये स्वाति की दूसरी शादी है । इसलिए स्वाति के पापा ने गिने चुने लोगों को ही बुलाया था । स्वाति बिना किसी ताम झाम के सिंपल तरीके से शादी करना चाहती थी लेकिन रवीश के घरवाले नहीं माने क्योंकि यह रवीश की पहली शादी थी और रवीश घर का बड़ा बेटा होने के कारण शादी धूमधाम से करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने खुलकर खर्च किए । स्टेज पर पहुंचते ही रवीश साथी का इंतजार करने लगा । साथी को स्टेज पर ले जाया जा रहा था स्वाति के साथ नन्हा शिवांश भी स्टेज पर जा रहा था । स्वाति को रवीश के बगल में बिठा दिया गया उसके साथ ही नन्हा शिवांश भी स्वाति के पास बैठ गया । शिवांश को बीच में बैठा देखकर रवीश की मां ने कहा - बेटा आप यहां पर आ जाओ । वहां पर आपकी मां और अंकल बैठेंगे । मासूम सा चेहरा बनाकर शिवांश ने कहा - मैं अपनी मम्मा के पास ही बैठूंगा । रविश ने शिवांश को देखा और उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी मां की ओर देखते हुए कहा - मां अब शिवांश मेरी जिम्मेदारी है और मैं शिवांश का अंकल नहीं पापा हूं । तो बच्चा अपने मम्मी पापा के पास नहीं बैठेगा तो कहां बैठेगा । क्यूं शिवू मैंने सही कहा ना ! ये कह कर रविश , शिवांश की ओर देखा । शिवांश ने कुछ नहीं कहा वो बस रविश को देखकर मुस्कुरा दिया । स्वाति एकटक रविश को देख रही थी और सोच रही थी , कि ये सब उसे दिखाने के लिए तो नहीं कर रहे हैं ।अचानक रविश की नजर स्वाति पर गयी । उसे अपनी ओर देखता पाकर रविश भी स्वाति की ओर देखने लगा । स्वाति अपने ख्यालों से बाहर आई तो रविश को खुद को देखता पाकर झेंप गयी और नजरें झुका ली । कुछ समय बाद वरमाला की रस्म होने के बाद शादी की रस्म शुरू हो गई ....
क्रमशः
रचनाकार
श्वेता सोनी
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