मैं लिखता हूँ यह खत, वतन तेरे नाम
----------------------------------------------- मैं लिखता हूँ यह खत, वतन तेरे नाम । तु ही मंजिल मेरी , तु ही मेरा है ख्वाब ।। तु ही मंदिर मेरा , तु ही मेरा है धाम । तु ही मेरा खुदा , तु ही मेरा है राम ।। मैं लिखता हूँ --------------------------।। हर किसी की जुबां पे है , उनकी कहानी । लुटा जो गए तुझपे , अपनी जवानी ।। जो खुद को मिटा , दे गए जिन्दगानी । यह तिरंगा है उनकी , अंतिम निशानी ।। उन वतन के शहीदों को , मेरा सलाम । मैं लिखता हूँ -------------------------।। ना बहे खून ,किसी भी धर्म के लिए । लोग जीये यहाँ , सिर्फ तेरे लिए ।। नहीं टूटे यह बन्धन , कभी प्यार का । और इंसाफ मिले यहाँ , सभी के लिए ।। मैं सुनाता हूँ सबको , यही पैगाम । मैं लिखता हूँ ---------------------------।। नेक राह मैं चलूं , नेक हो हर कर्म । मरते दम तक निभाऊं यह , अपनी कसम ।। तुझने पाला है मुझको , दी है पनाह । तेरी इज्जत बचाना है , मेरा धर्म ।। अपने लहू से लिखा है , तु ही मेरी जां ।। मैं लिखता हूँ ---------------------।। (स्वरचित & स्वलिखित - गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आजाद)