फरेबी दुनिया


हमने दुनिया बहुत फरेबी देखी, 
सांप और नेवले की दोस्ती देखी।

जो कल तक रोज गली को भी सलाम ठोकते थे हमारी ,सामनेआकर भी ना पहचानने की नीयत देखी।

वक्त कब नजर बदल ले खुद अपनी नजर से,
 खुद अपनी बेटी पर गंदी नजर फिसलती देखी।

 साजिशे कत्ल करते देखा हमने खास अपनों को ,
दौलत की खातिर साजिशें रचती देखी।

खास से आम होते देर नहीं लगती ,'सीमा',
 वक्त जरूरत के हिसाब से इंसानियत बदलती देखी।
स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा

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