तेरे इश्क में


आज फ़िर दिल में कोई ख़्वाब सज़ा है 
बैरागी मन का तू ही तो ख़ुदा बना है 

बरसों पहले तू था , तू ही सदियों बाद है 
जब भी देखा तुझको आता कुछ ना कुछ याद है 

वैसे तो कोई बात नहीं ऐसी मुझमें , तू प्यार करे
तेरे इश्क में जहां भुलाए बैठे हैं, यह भी बात है

मस्त  लहरों की ज्यो पनाह वहीं एक समन्दर का
अपने अरमानों को तुझमें ही हर लम्हा बसा  रखा है




© रेणु सिंह " राधे " ✍️
कोटा राजस्थान

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