तेरे इश्क में
माँ शारदा के श्री चरणों मे नमन
मैं खुद को ही भूला बैठा तेरे इश्क मे
एक मजा है एक नशा है तेरे इश्क मे
कभी सुबह की सुहानी किरण है इश्क
कभी रातो की शीतल चांदनी है इश्क
कभी जेठ की तपती लू है इश्क
कभी कार्तिक की कडकडाती ठंड है इश्क
कभी सूरज की तेज तपिश है इश्क
कभी पत्तों पर चमकती हुई शबनम है इश्क
तेरे इश्क ने मुझे दीवाना बना दिया
ना जाने मैं कहा खो गया
मुझे खुद से ही बेगाना बना दिया
कुछ तो अलग है तेरे मोहब्बत का अंदाज
तू शमां हो गई मुझे परवाना बना दिया
मेरी जिन्दगी थी सूनी तेरे बिन
तेरे आने से मुझे सारा जमाना मिल गया
तेरे इश्क से मुझे एक नई जिन्दगी मिल गई
अब क्या कमी है मुझे,मुझे सारे जहाँ की खुशी मिल गई
धन्यवाद
सत्येंद्र पाण्डेय 'शिल्प'
गोंडा उत्तरप्रदेश
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