तेरे इश्क़ में
लम्हा लम्हा बहक रहे कदम मेरे, तेरे इश्क़ में
लम्हा लम्हा खो रहे हम, तेरे इश्क में,
खो दी सुधबुध, ख्याल ही नहीं अब दुनिया की रस्मो रिवाज़ो का,
तेरे इश्क़ में हम खो रहे अपने ही अक्स को,
कैसी खुमारी है तेरी बातों में,
लम्हा लम्हा भूल जाये हम खुद को, बस तेरे इश्क़ में
ये बारिश की फुहार
ये नदिया की धार.. और भी सुहानी सी लगने लगी है,
मखमली बातें तेरी, मुझको बेकरार सी करने लगी है,
तेरे इश्क़ भरी बातों में,
रूह मेरी खोने सी लगी है
ये धड़कने मेरी अब
तेरी यादों में धड़कने लगी है,
जुगनूओं से भरी रातों में
याद तुम्हारी सताने लगी है
ये तेरी बातें मीठी,
तेरी तरफ खींचने लगी है.... तेरे इश्क में अब मेरी सांसे घुलने लगी है
निकेता पाहुजा
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