मुक्ति कहां'
विचार ही जब शुद्ध नहीं
तो आत्म की मुक्ति कहां.....?
ह्रदय जब पावन ही नहीं
तो परमात्मा की प्राप्ति कहां.....?
जीवन ही बन जाए उलझन
तो जीने का उल्लास कहां.....?
दिखावे के इस दौर में
भक्ति का सही अर्थ कहां.....?
तर्क और वितर्क में
ईश्वर में आस्था कहां.....?
कलयुग के इस दौर में
अनमोल विचारों का मोल कहां......?
अच्छे संस्कारों के अभाव में
कुसंगती से अलगाव कहां.....?
लालच से जब घिरे हों हम
तो जीवन मरण से मुक्ति कहां.....?
कविता गौतम...✍️
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