जबसे उनकी सूरत


जबसे उनकी सूरत ख्वाबों में सजने लगी है

हर  रात  आंखों  ही आंखों में  कटने लगी है 

दिल अपनी एक अलग दुनिया बसाने लगा है

हर  सांस अब तो  उनके ही गीत गाने लगी है 


हरिशंकर गोयल "हरि"


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