तेरे इश्क़ मे
अनजान था दिल प्यार की हर अहसास से
मैं भी तेरे मोहब्बत से अब तक बेखबर रही
कैसे बयां करू ये हाल-ए-दिल अपना
इतना ही जान लो की मैं काट रही थीं ज़िन्दगी
तेरे इश्क़ मे सनम मैं खुलकर जिना सीख गयीं....!!
पहले भी ये होठ हमारे मुस्कुराये है ज़िन्दगी मे पर
उस मुस्कुराहट मे कहीं मायूसी भी शामिल रही
अब लगता है जैसे एक अदा मिली है इन होठों को
तेरे संग प्यार मे खुलकर मुस्कुराने की, तो क्यों न कहु
तेरे इश्क़ मे सनम मैं खुलकर हँसना सीख गयीं....!!
अब अहसास हुआ क्या गुज़रा होगा दिल पे हमदम
जो इतने दिनों से तुम्हे प्यार का इनकार करती रही
जाने कैसे सून न पायी अपने ही दिल के आवाज़ को
जो धड़क कर तेरे मोहब्बत का धुन सुनाता रहा की
सून लो नैना किसीका इश्क़ तुझे है पुकार रही.....!!
जो इन हँसी चहरे पर फूलो सी निखार आया है हमारे
वो सनम तेरे मोहब्बत का असर है और कुछ नहीं
क्यों न कहु हमदम मेरी पतझड़ सी ज़िन्दगी मे
तुम मोहब्बत की हँसी बहार बनके आए हो जो
बरसो से तेरे इश्क़ के बिना ये गुलशन विरान है रही....!!
अब ज़िन्दगी रोशन सी लगती है दिल मे कोई गम नहीं
भर दो सनम प्यार से दिल का हर कोना अब न रहे खालीपन कोई
वादा है सजाऊगी मैं अपनी चाहत से तेरे सुनी ज़िन्दगी को
इतना प्यार दूगी की तुम्हे की दुनिया भुला कर एक दिन कहोगे
तेरे इश्क़ ने सनम मुझे ज़िन्दगी जीने की नयी अदा दें गयीं...!!
कर लिया एकरार-ए-मोहब्बत होने दो जो अंजाम होगा
क्या कहेगा ये दुनिया इसका भी अब हमें कोई गम न रही
यूँ खोये रहते है सनम तुम्हारे चाहत की अहसास मे
की जो पहले लफ़्ज़ों का मतलब तक न समझती थीं
आज तेरे इश्क़ मे ये नैना मोहब्बत के नाम कयी तराने लिख गयीं.....!!
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नैना.... ✍️✍️
(काल्पनिक )
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