तेरे इश्क में



बैठकर तेरे सुर्खरू ये दिल, 
तेरी कहानी लिखना चाहता है। 

तेरी दिलकश अदाओं को देख, 
तेरी धड़कन बन जाना चाहता है। 

जहां के एहसासे-ख्वाब में ही सही, 
तेरी बाहों में सिमट जाना चाहता है। 

ज़ज्बात की तिश्नगी ने ऐसा मन मोहा, 
नेह की आग में पिघल जाना चाहता है। 

तेरी मुस्कुराहट में दिखी ऐसी खुदाई, 
तन्हाई में भी सुकून पा लेना चाहता है। 

तूने मोहब्बत का अमृत पिला दिया ऐसे, 
तेरी परछाई को भी अपना बनाना चाहता है। 

लगे चिलचिलाती धूप भी मीठी शहद सी, 
तेरी आँखों में ये दिल खुद को पाना चाहता है। 
आरती झा (स्वरचित व मौलिक) 
दिल्ली 
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