तेरे इश्क़ में




हिमालय की तल हटियो में एक छोटा सा गांव, प्राकृतिक सुंदरता से जितना भरपूर उतने ही सीधे साधे व परंपराओं से बंधे लोग ,जो सतत एक दूसरे के काम तो आते हैं।पर रीति रिवाज टूटने के नाम पर बौखला जाते हैं। इसी गांव में रहता था एक नेक सुंदर और शक्तिशाली युवक जो जितना नेक व मददगार था ।उतना ही सजीला। हर समय दूसरों की सहायता को तत्पर किसी के काम आना अपना कर्तव्य समझता था ।
इसी त्याग की वजह से हमेशा चर्चित रहता और सभी उसका आदर करते थे ।अपने काम के अनुरूप ही नाम था सुवाला ।
इतने आत्मीय स्वभाव का कि सभी उसके स्वभाव के कारण उसके करीब रहना चाहते ।अपने इन्हीं खूबियों के कारण वह अपने गांव के आसपास के गांव में भी प्रसिद्ध था ।
लोगों की सहायता करना वह अपना कर्तव्य समझता और जहां भी जरूरत होती वह भागा भागा पहुंचाता। अपने पारंपरिक पोशाक के साथ वह हमेशा एक छुरी अपने साथ रखता था ।जिसे वह अपने से कभी अलग नहीं करता था। हमेशा अपनी कमर में खोंस कर रखता था ।
अपने से कभी अलग नहीं करने के कारण आसपास मान्यता थी ,कि उसकी छूरी में कोई चमत्कार है और उस छुरी को कोई देवी आशीर्वाद प्राप्त है। और उसके साहसी कारनामों के पीछे उस छुरी का चमत्कार भी मानते हैं ।
इस तरह से सुबाला  कि वह छुरी  एक तरह से रहस्य  सी बनी हुई थी ।

एक दिन दिन भर के अथक परिश्रम के बाद सांझ के समय सुबाला प्रकृति की गोद में समाये  गांव के खेतों में बैठा ,अस्तांचल अरुण  को निहार रहा था। डूबते सूर्य की स्वर्णिम किरणें  उसके मन में सुनहरा एहसास भर रही थी। बीच-बीच में पक्षियों का कलरव गूंज रहा था।
 उस कल रव के बीच सुबाला  का मन वैसे  ही शांत था  जैसी  शांत हवा  चल रही थी। डूबते सूरज की प्रतिपल रंग बदलती किरणों के संग प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते निहारते वह उसमें खो ही गया था ,कि उसे बहुत दूर से  उन्मुक्त हंसी का स्वर सुनाई देता है हंसी का स्वर  इतना प्रभावित था कि सुबाला उस  की तरफ खुद ही बढ़ चला था ।
मानो एक प्रबल वेग उसके मन में उठा जिसने उसकी तंद्रा भंग की और वह हंसी के स्वर  की तरफ विवश हो बढ़ रहा था।
जैसे-जैसे बढ़ रहा था  उसका स्वर तेज हो रहा था। अंततः उसकी नजर एक युवती पर पड़ी जो ढलती हुई शाम के सौंदर्य में बेसुध  सी हंसते हुए मोती भी बिखेर रही थी।
 वह अपनी धुन में इतनी तल्लीन  थी कि उसे भान ही नहीं हुआ, कि कोई युवक उसे एकटक निहारे  जा रहा है।
 अचानक एक तेज हवा का झोंका उसके ध्यान को भंग करता है और उसकी हंसी रुक जाती है और सामान्य हो उससे  पहले आवाज आती है। आपकी हंसी बहुत अच्छी है सीधे मन को छूने वाली है आपने हंसना क्यों बंद कर दिया। अचानक किसी पुरुष की आवाज से वह होश में आती है और पूछे गए प्रश्न का जवाब देने की बजाय उससे प्रश्न करती है ।तुम कौन हो और मुझे यूँ एकटक घूरने का क्या मतलब है ।
लेकिन सुबाला तो जैसे उस हंसी में खो गया था और पुन:  कहता है हंसना क्यों बंद कर दिया और अपना नाम बताओ ।
इतना सुनकर युवती के मन में कुछ कोमल भावों का संचार होता है लेकिन स्वयं को संयत करते हुए उन्हें वही प्रश्न दोहराती  है और कहती है तुम मेरे गांव के नहीं हो मैंने तुम्हें अपने गांव में पहले कभी नहीं देखा, सच बताओ तुम कौन हो ?
परंतु सम्मोहित सा सु वाला सिर्फ उसे देखता रहता है इस पर युवती झुँझला उठती है और क्रोधित होते हुए कहती है तुम्हारा नाम क्या है। और मेरे गांव में क्या कर रहे हो क्या तुम्हें गांव के नियम नहीं पता ऐसा कह कर वापस जाने के लिए मुड़ती  है तो सुबाला होश में आता है ।और लगभग गिड़गिड़ाते हुए पूछता है तुम्हारा नाम क्या है ।
मैं अपने जीवन में पहली बार इतना विचलित हुआ हूं बस अपना नाम बता दो फिर मैं चला जाऊंगा
 उसकी विवशता  में आग्रह के साथ-साथविनय भी थी।
हांसी..... एक बहुत ही मधुर आवाज उसके कानों से टकराती है जिसे सुनकर कहता है ।
बहुत ही सुंदर नाम है तुम कल भी यहां आना अति याचना भरे स्वर में सुबाला  ने कहा ।

नहीं कभी नहीं रुखे  स्वर में कह ते हुए  वह अपने गांव की ओर दौड़ती.....।
 सुबाला .......मेरा नाम है हांसी कल  भी आना मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा।
 घर पहुंचने पर हांसी भी अपने अंदर एक बेचैनी महसूस करती है ।वह सुबाला के गूँजते से शब्दों से दूर होना चाहती है ।लेकिन नहीं हो पाती है अपने गांव के नियम को जानते हुए वह सुबाला को दिल दिमाग से निकालना चाहती है ।लेकिन सफल नहीं होती है।
 दोनों के ही हृदय व्यथित  थे। दोनों एक दूसरे को भुलाना चाहते थे ।लेकिन दोनों ही छटपटा रहे थे। और जाग रहे थे।
 जैसे-जैसे रात बीती है पक्षियों की चहचहाहट से शुरू हुई भोर  कब अलसायी  दोपहर में बदलती है। दोनों को पता ही नहीं चलता है। और सांझ की बेला के आने से पहले ही दोनों भागते भागते कल वाली जगह पर एक साथ पहुंचतेहैं। जोरो से धड़कने दोनों के दिल उनकी कहानी को बयां करते हैं।
 मूक  से खड़े दोनों एक दूसरे को बस सूरज डूबने तक निहारते रहते हैं। और मूक  ही अगले दिन मिलने का वादा कर अपने अपने रास्ते चले जातेहैं।
  कुछ ही दिनों में दोनों का मूक  प्रेम लोगों की नजर में आ जाता है और दोनों पर बंदिश और समझाए शुरू हो जाती है।
 गांव का नियम जिसमें दूसरे गांव में विवाह वर्जित था ।लेकिन दोनों पर कोई असर नहीं होता है और दोनों मिलते रहते हैं ।लड़की होने के नाते हांसी पर ज्यादा प्रतिबंधित लगे ।लेकिन प्रेम में मजबूर हांसी कुछ नहीं मानती व अनंत प्रेम की अनंत पीड़ा को शांत करने के लिए सुबाला से मिलने जा पहुँचती।
ऐसे ही एक दिन जब दोनों प्रेमी मूक होकर प्रेम का इजहार कर रहे थे। कि दोनों गांव के लोग वहां आ जाते हैं जिनमें हांसी की मां भी होती है और सारे गांव वालों के सामने पुत्री को एक पर गांव के पुरुष के साथ देख स्वयं  को अपमानित महसूस करती है ।
वही सुबाला को विवाह की निषेध परंपरा पर क्रोध था और उसका यह क्रोध इतना बढ़ जाता है कि वह अपनी छुरी निकालता है और एक रेखा खींचने लग जाता है ।ऐसा लगता है जैसे वह धरती को दो टुकड़ों में बांट रहा हो और अचानक जहां सुबाला अपने छुरी  से रेखा खींचता है। वहां से धरती फटी सी नजर आती है ।सभी भयाकुल हो जाते हैं ।लोगों को ऐसे दृश्य की कल्पना नहीं होती है ।लेकिन धरती फटने के साथ साथ सुबाला इस तरफ  व  हां सी दूसरी तरफ हो जाती है।
 क्रोध  को शांत कर जब  सुबाला जब होश में आता है।तो देखता है  उसकी तरफ की धरती धसने लगती है ।वह छलांग लगाकर पकड़ने की कोशिश करता  है ।
लेकिन कामयाब नहीं होता है और हांसी.......
हांसी........ चीखता चीखता  फिसल जाता है। और धीरे-धीरे उसकी चीख क्षीण  हहो जाती और अंत में शांत हो जाती है ।
सुबाला अंतिम चीख के साथ ही हांसी की हृदय विदारक चीख सुनाई देती है ।और फिर उसके बाद हांसी की कोई आवाज किसी को सुनाई नहीं देती है।
 खाना पीना छोड़ चुकी हांसी घंटों उसी जगह बैठी रहती है जहां सुबाला  से पहली बार मिली थी।
 और फिर कुछ दिनों बाद परिवार से विलग  सी हांसी उसी चट्टान पर मृत पाई जाती है ।जहां वह दोनों प्रेमी मिला करते थे।
मूक रहते थे पर आंखों से बातें किया करते थे।

 हांसी चली गई अनंत यात्रा में सुबाला  को खोजने के लिए
 आज ना  सुबाला है ना हांसी पर उनके प्रेम की त्याग मयी  कहानी आज भी जीवित हैं। उनकेअनंत प्रेम की अनंत पीड़ा आज भी हिमालय की वादियों में गूँजती है।
लेखिका गरिमा राकेश गौत्तम
खेड़ली चेचट कोटा राजस्थान

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