धरती
माँ शारदा के श्री चरणों
धन्य धरा यह भूमि पावन
स्वर्ग से सुंदर अति मनभावन
राम कृष्ण गौतम की धरती
माँ गंगा नित श्रृंगार है करती
धरा है मनोरम अति
देख देव भी होते हर्षित
अंबर से नित अमृत बरसे
जन्म पाने को देव मुनि भी तरसे
अनुपम छटा निराली है,
फैली चारों ओर हरियाली है
अद्भुत दृश्य मनोरम है
दिखती धरा स्वर्ग सम है
क्या क्या सहती है धरती
एक् सीख देती है हमको धरती
सहनशक्ति और धैर्य का पाठ पढ़ाती है धरती
त्याग समर्पण का एहसास कराती है धरती
धन्यवाद
सत्येंद्र पाण्डेय 'शिल्प'
गोंडा उत्तरप्रदेश
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