Posts

Showing posts from January, 2022

रोबोट

Image
दुनिया का सबसे पहला है सफल रोबोट। 1931 में अमेरिका का वह जार्ज रोबोट। सपेरो जायरोस्कोप कंपनी का ये रोबोट। एक स्वचालित विमान में चालक रोबोट। आमतौर से होताहै रोबोटों का इस्तेमाल। समान उठाने वेल्डिंग करने में इस्तेमाल। साफ सफाई करने पैकेजिंग में इस्तेमाल। असेम्बलिंग करने में  भी करते इस्तेमाल। ऐसे कार्यों को करने को विशेष हाथ होते। स्वचालित मशीन का ये ऐसे हाथ हैं होते। औद्योगिक  रोबोटों ने उत्पादन बढ़ाया है। बदली है परिभाषाएं क्षमता भी बढ़ाया है। रोबोट एक आभासी यांत्रिक कृतिम एजेंट। व्यवहारिक रूपसे ये विद्युत यांत्रिकी एजेंट। देखने एवं गति में ऐसे होते जैसे एक इरादा। अपना निजी अभिकरण हो पक्का 1इरादा। चीनी ड्रैगन ने सबसे बड़ा यह रोबोट बनाया। चार पैर से चलने वाला 'रोबोट याक' बनाया। ये इंसान बना रोबोट आज वो आपाधापी में। भागदौड़ से भरी जिंदगी हुईहै आपाधापी में। चैन नहीं जीवन में दिन रात कमाए बैल बना। मशीन बन गया है खुद वह कमाऊ बैल बना। रिश्ते नाते जज्बातों की कोई भी नहीं फिकर। अपनेपन की एहसासों की कोई नहीं फिकर। जिंदगी एक मशीन की तरह हो गई है केवल। सुख दुःख का ही कुछ समय रह गईहै केवल। एक...

ऋतुराज स्वागत

Image
आया बसंत लेके उमंग। मचा है रसरंग अब क्या कहिए।। कोकिल की तान भौंरों का गान। फागुन मलंग अब क्या कहिए।। मद भरे नैन मुखरित हैं बैन। चल रही फाग अब क्या कहिए।। दहके टेसू महके महुआ। बज रही चंग अब क्या कहिए।। विकसित प्रसून सुरभित दुकूल । बाजे मृदंग अब क्या कहिए।। ऋतुराज पधारे जग करे पहुनाई । धरा गगन रंगे बसंती रंग अब क्या कहिए।। निखरा है रुप खिल रही धूप।। धरा है प्रसन्न अब क्या कहिए।। गरे डार हार निकरो तो यार। फिर मचे हुड़दंग अब क्या कहिए।। लेखनी थाम कवि करें प्रणाम। वाणी असीस अब क्या कहिए।। स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉक्टर आशा श्रीवास्तव जबलपुर

"शहर"

Image
शोर में भी मौन यह शहर, अपनों में अजनबी यह शहर, रोशनी से चौंधिया देती आंखें, मन के अंधेरों से घिरा यह शहर। किसी रिश्तों में मिठास नहीं है, अपनेपन का एहसास नहीं है, मेले में ढूंढ रहा हर कोई अपना, भीड़ में भी तन्हा यह शहर। बढ़ रही दूरियां, छूट रहे अपने, सब लगे हैं पूरा करने में सपने, नहीं किसी को किसी की परवा, अपनों में ढूंढे अपना यह शहर। क‌ईं मुखौटे अपने चेहरे पर लगाएं, खुद से ही अपनी पहचान छुपाए, तलाश रहा मन का कोई कोना, क्षणभर तो ठहरे भागता यह शहर। स्वरचित रचना रंजना लता समस्तीपुर, बिहार

सिर्फ पैसों से ही , यहाँ सारे खेल हैं

Image
सिर्फ़ पैसों से ही, यहाँ सारे खेल हैं। पैसों से ही आपस में होते मेल हैं।। सिर्फ़ पैसों से ही-------------------।। पैसों से ही बनते हैं, रिश्ते - नाते। पैसों से ही है ,खुशियों की बरसातें।। होती नहीं है इज्ज़त, बिना पैसों के। बिना पैसों के यह जिंदगी फेल है।। सिर्फ़ पैसों से ही------------------।। दया नहीं आती है , मुफ़लिस पर। नहीं है कोई मेहरबां, यतीम पर।। बिना पैसों के नहीं, आदमी की कीमत। पैसों की है जिंदगी, गुलाम और रखैल।। सिर्फ पैसों से ही-------------------।। बिना पैसे अकेला, जीना पड़ता है। बिना पैसे महत्व नहीं, यहाँ होता है।। नहीं बनते महल , बिन पैसों के यहाँ। पैसों से ही चलती, जीवन की रेल है।। सिर्फ पैसों से ही------------------।। रचनाकार एवं लेखक- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

मिठास का नगर शाहजहांपुर

Image
कुछ स्थान और जगह अपने भीतर इतना कुछ समेटे होते हैं ,कि परतें खुलने पर उसकी सुगंध चारों और फैलने सी लगती है। ऐसी प्रतिष्ठित जगहों पर जो कभी हो आया तो वहां के मोहपास में ऐसा बंध जाता है कि और लोगों को भी अपनी ओर खींचने को लालायित रहता है । दो दो नदियों के बीच लंबाई में बसा शहर,प्राकर्तिक सौन्दर्य से सुसज्जित, शाहजहाँपुर हिंदू मुस्लिम कीे साझा संस्कृति की मिठास को अपनी मिठास में पिरोए , वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय की वस्तु स्थिति को सजीव करता  हुआ प्रतीत होता है । इस जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सदैव ही चर्चा में रही है भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में 1857 से लेकर 1925 के काकोरी कांड तथा 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक इस नगर की प्रमुख भूमिका रही है । शाहजहाँपुर को शहीदों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है ।इस नगर ने  देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपने तीन सपूतों को भेंट स्वरूप प्रदान किया है । जब-जब इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम को पढ़ा जाएगा स्वर्ण अक्षरों में लिखित तीनों शहीदों के नाम कोहिनूर की तरह दीप्तमान रहेंगे । राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह क्रान्ति...

रोबोट

Image
 ना रिश्ते ना जज्बात ना अपना पन न एहसास   ना शिकवे  ना शिकायते  ना अपनी सी कोई बात   ना रूठना ना मनाना ना सुनना ना सुनाना   ना अपनी कहना ना किसी से कह लाना   दिल गमो से लबरेज हो तो भी सब सह जाना   आंखों में आंसुओं का समंदर लेकर   बड़ी खूबसूरती से छुपाना   दर्द का सैलाब आंसू बनकर ही बहता है   उस दर्द को छिपाकर होले  से मुस्कुराना   क्या कहें किसी मशीन की मानिंद हो गई यह जिंदगी   दिखावे की दुनिया में खो गई है जिंदगी   जब तक समझ पाते और समझा पाते   इस भरी भीड़ का हिस्सा हो गई जिंदगी   क्या पता कैसे हुआ क्यों हुआ और कब हुआ   सच कहें प्रीति तो रोबोट सी हो गई जिंदगी                     प्रीतिमनीष दुबे                     मण्डला मप्र

रोबोट

Image
जिंदगी की आप-थापी में हम, ता-उम्र चलते रहे , वक़्त कब आया कब गुज़र गया हम बेख़बर से बने रहे।। दो वक्त की रोटी में इतने मशरूफ़ हो गए, " की "कभी दो पल फुर्सत के बैठ न सके,।। जिम्मेदारी कुछ इस क़दर हुई की , अपने लिए जीना भुल सा गए ।। सोचते है अक्सर तनहाई में, जीवन क्या से क्या हो गया, बचपना जितना मुतमईन थी जवानी उतनी ही संघर्षपूर्ण हो गयी।। वक़्त नही अब किसी के पास, किसी का गम सुनने को, सब बेकार है यहा खुद को साबित करने मे, संवेदनशील अब जमाना न रहा, हर किसी मे बस आगे बढ़ने की होड़ है, क़ीमत कुछ भी ,अब भावनाओं का मोल न रहा।। रोबोट जी हो गई है जिंदगी जरुरतो के बाजार में।।

रोबोट

Image
स्व चालित मशीन है जो, कंम्पयूटर से नियंत्रित है जो, मानव द्वारा बनाया गया है जो, यंत्रचालित रोबोट ही तो है वो, मनुष्य नहीं पर दिखता है हू-ब-हू, चलता, फिरता रहता घूम-घूमकर, उद्योगों में करता काम बहुत खूब, यातायात नियंत्रण करता रहकर सतर्क, चीते जैसी चाल चल, बन जाता सैन्य रोबोट, अस्पतालों में कर रहे चिकित्सकों की मदद, बना दिये हैं ऐसे यंत्र चालित रोबोट बहुत, द्रोण बन करता सीमा पर सुरक्षा भी, कर नहीं सकता मनुष्य जो काम, कर देता पल भर में ये मशीनी मानव महान, तकनीकों के बढ़ने से जहॉं मिलती है सुविधा, वहीं युवाओं पर हो रहा कुठाराघात, बढ़ रही बेरोजगारी, श्रमिक भी बैठ गये खाली, सब कुछ कर सकने की होगी क्षमता इनमें, पर चला नहीं सकते समाज, संस्कृति और कानून, समझो सभी इस बात को, बुद्धि हीन हैं ये सभी, इन पर निर्भरता से पाओगे तकलीफ़। © मनीषा अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश

"रोबोट की दुनिया"

Image
रोबोट एक आभासी  या यांत्रिक या कृत्रिम एजेंट है। व्यवहारिक रूप से, यह प्रायः एक विद्युत यांत्रिकी निकाय होता है, जिसकी दिखावट और गति ऐसी होती है की लगता है जैसे उसका अपना एक विचार और अपना एक अभिकरण है। रोबोट शब्द भौतिक रोबोट और आभासी सॉफ्टवेयर एजेंट दोनों को ही प्रतिबिंबित करता है लेकिन प्रायः आभासी सॉफ्टवेयर एजेंट को बोट्स (bots) कहा जाता है। ऐसी कोई भी सर्वसम्मति नहीं बन पाई है की मशीन रोबोटों के रूप में योग्य हैं, लेकिन एक विशेषज्ञों और जनता के बीच आम सहमति है कि वह कुछ या सभी निम्न कार्य कर सकता है जैसे: घूमना, यंत्र या कल सम्बन्धी अवयव को संचालित करना, वातावरण की समझ और उसमें फेर बदल करना और बुद्धिमानी भरे व्यवहार को प्रदर्शित करना। जो की मानव और पशुओं के व्यवहारों की नक़ल करना जैसा ही है।  कृत्रिम सहायकों और साथी की कहानियों और उन्हें बनाने के प्रयास का एक लम्बा इतिहास है लेकिन पूरी तरह से स्वायत्त  मशीनें केवल 20 वीं सदी में आए डिजिटल (digital) प्रणाली से चलने वाला प्रोग्राम - अर्थात किया हुआ पहला रोबोट यूनिमेट, 1961 में ठप्पा बनाने वाली मशीन से धातु के गर्...

रोबोट मेरी माँ

Image
रोबोट एक ऐसी मशीन का निर्माण जो हमारे इशारे पर काम करें..। इंसान के हर काम को सरल और बेहतर तरीके से करने वाली मशीन..। हम इंसानों ने अपनी सहुलियत के लिए रोबोट का निर्माण किया हैं..। मैने मानव निर्मित इस रोबोट को सिर्फ किताबों में पढ़ा हैं और टेलीविजन में देखा हैं...।  मानव निर्मित ये रोबोट एक मशीन की तरह काम करता हैं.... बिना थके... 24 घंटे लगातार... हर तरह का..... तरह तरह का काम...।  लेकिन मेरी जिंदगी में एक ऐसा शख्स था जो रोबोट  से कम नहीं था...।  मेरी माँ.....  किसी रोबोट से कम नहीं थी....। तीस लोगों के परिवार में रहते हुए... सभी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए... हर वक़्त..... हर समय एक के बाद एक काम....।  सवेरे चार - पांच बजे से उठकर..... सभी को उनकी जरूरत के हिसाब से खाना..... नाश्ता...... चाय..... दूध..... सब मुहैया करवाना..।  उसके अलावा घर की साफ सफाई.... कपड़े धोना..... बर्तन मांजना..... बच्चों की देखभाल... घर के बड़ों की संभाल....।  हर काम वक़्त पर...।  सच में वो किसी रोबोट से कम नहीं थी...। शायद ये सब हर माँ करतीं होगी..। ल...

"रोबोट"

Image
मानव भी अब धीरे-धीरे, बन रहा है एक रोबोट सा, भाव से हीन संवेदनाशून्य, जी रहा है जैसे किसी यंत्र सा। बातें खो गई, एहसास सो गये, खुद की दुनिया में सिमट सब गए, रोबोट की तरह कर रहे अनुकरण, चलता-फिरता मशीनी तंत्र सा। हंसने के भी बहाने ढूंढ रहे हैं, पर पीड़ा से नजरे चुरा रहे हैं, बन रहे खिलौना अपने हाथों के, बनता जा रहा मन परतंत्र सा। स्वरचित रचना रंजना लता समस्तीपुर, बिहार

रोबोट

Image
बदल रहे है लोग, बदल रही है दुनिया,  बदल रहे खेल, पढाई के तौर तरीके,       नेट के द्वारा ही सब सेट,  हम इंसान ही हो जैसे चलते फिरते रोबोट,  अब तो किसी भी रिश्ते से हो जाते कट,      बस विधुत और खून का ही है फर्क़,          काम तो दोनों ही करते डट,  फिर भी  सोचता इंसान की काश होता ,     पास मेरे भी एक रोबोट ,  सब काम करता वो फास्ट फास्ट,  ना कोई डाट न कोई फटकार ,  बच्चों के साथ खेलता दिन रात,  जिने की राह हो जाती आसान।  पर आने वाले समय मे मिलते दुष्परिणाम,  फिर हर तरफ जीते जागते रोबोट नजर आएगे।।

रोबोट

Image
रोबोट सी ये जिंदगी, बटन से चलने लगी, पलक झपकते देखो, दुनिया बदलने लगी। जिसमें लगते थे घण्टों, वो झट से होने लगी, हस्तकला से देखो, तकनीकी पर ढलने लगी। रोबोट सी ये ज़िन्दगी बटन से चलने लगी। मीलों की दूरियाँ भी, अब नहीं खलने लगी, मुट्ठी में सब आ गया, कमी दिल में पलने लगी। रोबोट सी ये ज़िन्दगी बटन से चलने लगी। पूजा पीहू

इंकलाब ज़िंदाबाद : भगत सिंह भाग ८

Image
लेलिन मृत्यु वार्षिकी पर तार -  21 जनवरी 1930 को लाहौर षड्यंत्र केस के सभी अभियुक्त अदालत में लाल रुमाल बांधकर उपस्थित हुए। जैसे ही मजिस्ट्रेट ने अपना आसन ग्रहण किया उन्होंने  "समाजवादी क्रांति जिंदाबाद" , "कम्युनिस्ट इंटरनेशनल जिंदाबाद" "जनता जिंदाबाद ,"  " लेनिन का नाम अमर रहेगा ",और "समाजवाद का नाश हो" के नारे लगाए। इसके बाद भगत सिंह ने अदालत में तार का मजमून पढ़ा और मजिस्ट्रेट से इसे तीसरी इंटरनेशनल को भिजवाने का आग्रह किया। लर्निंग दिवस के अवसर पर हम उन सभी को हार्दिक अभिनंदन भेजते हैं जो महान नलिन के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी कर रहे हैं। हम रूस द्वारा किए जा रहे हैं महान प्रयोग की सफलता की कामना करते हैं। सर्वहारा विजई होगा। पूंजीवाद पराजित होगा। साम्राज्यवाद की मौत होगी। पिताजी के नाम पत्र -  30 सितंबर 1930 को भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह ने ट्रिब्यूनल को एक अर्जी देकर बचाओ पेश करने के लिए अवसर की मांग की। सरदार किशन सिंह सेम देश भक्ति और राष्ट्रीय आंदोलन में जेल जाते रहते थे।उन्हें वह कुछ अन्य देशभक्तों को ...

हमारे वीर सैनिकों

Image
आपकी वीरता और कर्तब्य निष्ठा को सत सत नमन। आपकी कुशलता के लिए हम सभी भारत वासी परमपिता परमेश्वर से प्रार्थी बने रहते हैं।आपको किस पद का सम्बोधन दे;मन भाव विभोर हो जाता है,आप ही तो हैं जिसने मां की सिन्दूर को सलामत रखा है ...एक बहन की राखी का लाज रखा है ....मां अपने सुत को गले लगाने को आतुर हो जाती है,किन्तु इन सबका श्रेय आपको जाता है ....हे वीर शिरोमणी! आपकी त्याग की गाथा हम सुनते और देखते हुए आ रहे हैं। प्रति पल प्रति छड़ आप मुसीबतों का सामना करने के लिए कटिबद्ध रहते हैं ...तभी तो हम नागरिक अपने घर में अपने परिवार के साथ आनंद पुर्वक रहते हैं। हे वीर शिरोमणि वो मां धन्य हैं जिसने तुम जैसे वीर को जन्म दिया है।नमन करते हैं उस पिता को जिसने तुम्हारे बाजुओ मे सौर्य भरा ...नत मस्तक हैं उस परिवार के समक्ष जिसने आपको देश की रक्षा के लिए समर्पित किया ...हे वीर!माँ को तो इस बात की खबर भी नहीं होती ,की मेरा लाल जो वर्दी पहन के शुशोभित है,वह वर्दी में आएगा या तिरंगे में ..?यह लिखते हुए मेरी आंखे सजल हो रही है पर वो हिन्दूस्तान की देवी तनिक भी विचलित नहीं होती हैं ...और एक मां की गोद से दूर...

"छोटा सा सपना"

Image
     छोटा सा मेरा ये सपना                   हो खुशियों से भरी दुनिया   जीवन हो सुंदर उपवन                   हम प्यारी-प्यारी कलियां ।।   न छाये कही उदासी                   न रंजोगम की शाम हो   खुशनुमा जिंदगी में सिर्फ                   दिलों में अपनापन व प्यार हो ।।   दूर हो दिखावापन                   गर सच्चाई पहचान हो   बेचैन तो है ,झूठा इंसान                   सुकूं सत्य की आवाज में हो ।।                               मनीषा भुआर्य ठाकुर(कर्नाटक)

सो रहा है

Image
यह जो सो रहा है  अनेकों परिजनों से घिरा रुदन की ध्वनि भी न सुनता गूंज रही धरा गूंज रहा आसमान और यह सो रहा है कभी जो मालिक था कोठी और धन दौलत का आज उसकी कोठी बट रही है दौलत के टुकड़े हो रहे और यह सो रहा है यह बेशुमार दौलत कब मिली आसानी से दिन और रात मिटा दी आज दौलत बट रही है और यह सो रहा है यह इसका खुद का घर इसके खून पसीने से निर्मित आज इसका घर बदल रहा है श्यमशान पहुंचाया जा रहा और यह सो रहा है परिजनों के रुदन में कितने गुप्त हास्य धन, दौलत और आजादी की चाह आज पूरी होगी और यह सो रहा है दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'

कभी किसी के दिल से, बददुआ नहीं लीजिये

Image
कभी किसी के दिल से, बददुहा नहीं लीजिए। सभी आबाद हो यहाँ, तुम दुहा यही कीजिए।। कभी किसी के दिल से -------------।। दया, धर्म और भाईचारा, जीवन का मकसद रहे। बद से हमेशा दूर रहे, और नेकी से मतलब रहे।। महके चमन हर आँगन में, कोशिश सदा यह कीजिए। कभी किसी के दिल से-------------।। महलो-दौलत, पद-ओ-ताज का, छोड़ो करना अभिमान। भेदभाव तुम करो नहीं, मुफ़लिस यतीम को दो सम्मान।। सबके गमो- दर्द दूर करो तुम, रोशन सभी को कीजिए। कभी किसी के दिल से------------।। मत छीनो आजादी किसी की, मत किसी को करो गुलाम। सबको जी आजाद बनाओ,करने दो आसमां को सलाम।। मुस्कराता हर चेहरा हो, आँसू किसी को नहीं दीजिए। कभी किसी के दिल से------------।। रचनाकार एवं लेखक-  गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

शहीद दिवस

Image
अपनी मिट्टी की खातिर अपना जिन्होंने सर्वस्व लुटा दिया  अमर शहीद होकर भी उन्होंने  नायकत्व निभाना सिखा दिया  आज़ादी के सपने को दे कुर्बानी जिन्होंने एक दिन साकार किया  आज़ादी को सही अर्थ दे आज़ादी को देश में अाकार किया  हो अमर, देश की गौरव गाथाओं में तिरंगे को उच्च मान दिया  शिथिल पड़े भारत को जीवित कर स्वयं का बलिदान दिया  अपना लहू दे गुलामी की बेड़ी तोड़ फिर स्वतंत्र आकाश दिया  परतंत्र भारत देख एक क्षण भी जिन्होंने ना अवकाश लिया   काँटो के पथ पर चलकर भी अपनी मिट्टी का गुणगान किया  हो शहीद,भावी पीढ़ी को आज़ाद देश में रहने का जीवनदान दिया  शहीद दिवस उन्हीं वीरों याद है जिन्होंने स्वयं को कुर्बान किया  अपने लहू की हर एक बूंद को सिर झुकाकर देश के नाम किया स्वरचित व मौलिक सुनीता कुमारी अहरी

शहीद का परिवार

Image
उस माँ को करू नमन बार बार कोख से जन्मे बेटे को जिसने मातृभूमि पर दिया वार, सरहद पर अपने लाल जो कर देती है कुर्बान, संतानों को जो वीरभूमि को दे देती दान, ममता का मोह छोड़ जो माटी का क़र्ज़ चुकाती है, उसके शहीद बेटे का शव लिपट तिरंगे में आता है, जख्मों से भरे सीने को जीवन भर सिल कर वह रह जाती है। उस बहन को करू नमन बार बार भाई की कलाई पर रक्षासूत्र जो देश की रक्षा का बांध जाती है, बलिदानी मिट्टी के रंग में रंगा तिलक माथे पर लगाती है, राखी के बंधन का उपहार अनोखा वो भाई दे जाता है, सरहद पर शहीद हो वो वीर बहिन को दिया वचन निभाता है। उन भार्ययों को करू नमन बार बार देश की आन, बान, शान को जो अपना सुहाग लुटाती है, भारत माँ की फौज में खड़ा कर उन्हें नितांत अकेली रह जाती है, देशवासियों के सुख चैन की खातिर स्वयं आजीवन बेचैन रहती है। उस नन्हीँ परी के समक्ष हम सब शीश झुकाते है, शहीद पिता से मिलने के सपने जो हर इक क्षण सजाती है, अभिमान से ऊँचा सिर रख सैनिक की बेटी जो कहलाती है। स्वयं से ऊपर रखते है जो भारत माँ की आन अमर रहेगा ऐसे ही शहीद का परिवार !!!!! स्वरचित शैली भागवत  'आस '

इंकलाब ज़िंदाबाद : भगत सिंह भाग ७

Image
संपादक मार्डन रिव्यु के नाम पत्र -  भगत सिंह ने अपने विचार स्पष्ट रूप से भारतीय जनता के सामने रखें। उनके विचार में क्रांति की तलवार विचारों की धार से ही तेज होती हैं। वह विचारधारा आत्मक क्रांतिकारी हालात के लिए संघर्ष कर रहे थे। अपने विचारों पर हुए सभी वीरों का उन्होंने तर्कपूर्ण उत्तर दिया। यह वार अंग्रेजी सरकार की ओर से किए गए या देसी नेताओं की ओर से अखबारों में। शहीद यतींद्र नाथ दास 63 दिन की भूख हड़ताल के बाद शहीद हुए। 'मॉडर्न रिव्यू ' के संपादक रामानंद चट्टोपाध्याय ने उनकी शहादत के बाद भारतीय जनता द्वारा शहीद के प्रति किए गए सम्मान और उनके  ' इंकलाब जिंदाबाद ' के नारे की आलोचना की। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने मॉडर्न रिव्यू के संपादक को उनके उस संपाठ संपादकीय का निम्नलिखित उत्तर दिया था। श्री सम्पादक जी , मार्डन रिव्यू  आपने अपने सम्मानित पत्र के दिसंबर , 1929 के अंक में एक टिप्पणी 'इंकलाब जिंदाबाद ' शीर्षक से लिखी है और इस नारे को निरर्थक ठहराने की चेष्टा की है। आप सरीखे के परिपक्व विचारक तथा अनुभवी और यशस्वी पर संपादक की रचना में दोष निकालना तथा ...

धूल का फूल

Image
मुझे दास बना लो माँ, एहसान तेरा होगा,  धूल का फूल बना लो माँ एहसान तेरा होगा मैं धूल का फूल हूँ माँ, मुझे दुनिया ने ठुकराया-2 मैं गिरता समलता माँ, दरबार तेरे आया-2 चरणों से लगा लो माँ एहसान तेरा होगा मुझे दास बना लो माँ, एहसान तेरा होगा,  धूल का फूल बना लो माँ एहसान तेरा होगा तू देख रही हैं मुझे, मैं देख नहीं सकता-2 माँ बेटी में पर्दा हो, ये हो नहीं सकता-2 पर्दे को हटा दो माँ एहसान तेरा होगा-2 मुझे दास बना लो माँ, एहसान तेरा होगा,  धूल का फूल बना लो माँ एहसान तेरा होगा  मेरे दिल के करीब में तस्वीर तुम्हारी है -2 माँ तेरे ही हाथों में तकदीर हमारी है-2 तकदीर बना दो माँ, एहसान तेरा होगा- मुझे दास बना लो माँ, एहसान तेरा होगा,  धूल का फूल बना लो माँ एहसान तेरा होगा

"शहादत"

Image
कैसे थे वो वीर भारत के, हंसते-हंसते गए फांसी पर झूल, इस मातृभूमि का कर्ज चुकाने, अपनी माता तक को गए भूल। आंखों में सजाए आजादी के सपने, हृदय में देशप्रेम के जज्बात लिए, लड़ते रहे आखरी दम तक शत्रु से, फिर सो गए लगाकर मातृभूमि का धूल। भय भी जिनसे भय खाता था, ऐसे थे वो भारत के वीर-बांकुरे, मौत भी पहले दी होगी सलामी, देवों ने भी बजाया होगा बिगुल। होठों पर वंदे मातरम् का गीत सजाये, वतन पर किया तन-मन-धन कुर्बान, नहीं भुलाई जा सकती वीरों की शहादत, वंदन है उनको, हैं अर्पित मन के फूल। स्वरचित रचना रंजना लता समस्तीपुर, बिहार

शहीद दिवस

Image
   बापू,जिन्हें भारतीय राष्ट्रपिता के नाम से पुकारते हैं,30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी थी ,तब से लेकर आज तक उनकी शहादत को देश नम आंखों से याद करता है और उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने हेतु  30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पोरबंदर के कुलीन परिवार में हुआ था।गांधी जी ने अपनी वकालत की पढ़ाई खत्म कर जब दक्षिण अफ्रीका में अपनी प्रैक्टिस शुरू की ,तो उन्हें रंगभेद की बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा।भारत समेत दक्षिण अफ्रीका में भी अंगेजों का शासन था , वे अश्वेतों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। गांधी जी ने इसका विरोध किया ,उन्होंने ओज पूर्ण लेख लिखना शुरू किया ,लोगों को जागृत करने के लिए समाचार पत्रों का सहारा लिया। लोग जागरूक होने लगे। भारत लौट कर गांधीजी ने चंपारण में किसानों के लिए  आंदोलन में भाग लिया। उस समय क्रांतिकारी विचारधारा भी जोरों पर थी ,गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को अपना मार्ग चुना। उन्होंने देश में स्वराज्य ,असहयोग आंदोलन,खेड़ा आंदोलन ,और बहुत सारे अन्य आंदोलन में अ...

"नमन है वीर शहीदों को"

Image
सर्वप्रथम वंदन है उनको  जिनके कारण यह दिन आया है नमन है वीर जवानों को,  गणतंत्र दिवस यह आया है।। यह केवल तारीख नही  नियम है संविधान है। मान है सम्मान है। जो कोहिनूर को खो कर हमने पायी है। कितने वीर शहीद हुए तो यह शुभ दिन आया है। नमन है वीर शहीदों को जिन्होंने ये दिन दिखलाया है।। आज धरा पर जो यह पुष्पों की वर्षा हो पाईं है। मिट्टी में मिली हुई शहीदों के रक्त की लाली है।। वीर रस के गान से समस्त धरा थर्राई है। मैं करूं, वंदन उनका जिन्होंने जान गवाई है। सोच कर भी जो थर्रा जाए कलेजा। यमराज भी कांप उठे सुनकर, धारा की आन बचाने को ऐसी यातनाएं उन्होंने पाई है। आजादी दिलवाई है सीने पर गोली खाई है। सोचो कितने दर्द में होंगे देख तुम्हारे कर्म को, क्या इसीलिए उन्होंने आजादी दिलवाई है।। नहीं सुरक्षित यहां अपने ही अपनों से हैं। नहीं सुरक्षित मां बहन बेटी की अस्मत यहां। कांप नहीं उठती होगी क्या? उनका कलेजा वहां? मिटा कर वजूद अपना मणी तुम्हें जो सौंप गए। बचाकर देश दुश्मनों से,  राष्ट्रधर्म का मूलमंत्र समझा गए।। दुश्मनों के हलक में हाथ डालकर  छीन कर लाए हैं अपनी धरती की अस्मत, गर...

शहीद दिवस

Image
     भारत का इतिहास गवाह है,  कितने महापुरुषों का जन्म यहाँ हुआ है ,  शहीद हुए हर वीरों को नमन हमारा ।  लहू बहा कर प्राणों को भी हारा,  भारत माँ का मान बढ़ाया अमन चैन का फूल खिला कर,         शहीद हुए हर वीरों को नमन हमारा,                          अपनी माँ के लाल थे ,                                                                             भारत माँ की बेड़ी  की तोड़ ,खुद को बेड़ी से जोडा़,  स्वाधिनता के दिवाने थे , इंकलाब जिंदाबाद का नारा था,  खुद को आंधीयो  में पाला था  रोज गोलियों के साथ खेला था,  शहीद हुए वीर जवानों पर ये देश आज भी  कुर्बान हैं,  शहीद हुए हर वीरों को नमन हमारा है।।

युवा

Image
इंतजार पर इंतजार करते रहे। रोजगार को हर पल तरसते रहे। मांगा जो हक मेहनत पसीने का। डंडे पर डंडे हम पर बरसती रहे। डिग्री पे डिग्री जुटाते रहे। मां बाप का पैसा लुटाते रहे। बड़ी कोचिंग में पढ़ने हम जाते रहे। भूखे दर दर की ठोकर खाते रहे। बाबू जी आस पे आस धरते रहे। रोजगार को हर पल तरसते रहे। किताबों पर किताबें हम रटते रहे। ज्ञान के समंदर से खुद को भरते रहे। वंशवाद ही सत्ता में छाता रहा। हीरो का बेटा हीरो पसंद आता रहा। गरीबी के दलदल में हम धसते गए। रोजगार को हर पल तरसते रहे। वादों का दौर चलता रहा। मध्यमवर्ग हाथ मलता रह। गरीबों की आशा निराशा हुई। पूंजी पतियों की कमाई बेतहाशा हुई। चुनाव का दौर आता जाता रहा। अपनी जाति का बंदा ही भाता रहा। धर्म की लड़ाई भी चलती रही। जनता आस में ही जलती रही। रोजगार की लड़ाई भी चलती रहेगी। सत्ता की दौर बदलती रहेगी। ज्ञान विज्ञान का दौर भी चलता रहेगा। युवाओं का जोश मचलता रहेगा। दौर पे दौर जाते रहेंगे‌। नेताजी के चाटुकार नेताजी को भाते रहेंगे। युवा रोजगार के इंतजार का पहिया चलाते रहेंगे। डंडे पे डंडा खाते रहेंगे।             ...

शहीद दिवस

Image
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 नमन उन देश के वीर दीवानों को, हो गए जो शहीद,उन परपरवानों  को, कि नहीं परवाह कभी तन मन की--- एक ही ख्वाहिश थी जीवन की, कर दिए प्राण निछावर---   देश के वीर जवानों ने,  ना कोई ख्वाहिश जीवन की, मर मिटे सरहद बचाने में, उनका देश की रक्षा में--- जीवन संपूर्ण गुजरता है, ना परिवार की चिंता करते हैं,  दिल देश के लिए, धड़कता है,  मेरे अमन पसंद वीर, ये कहते हैं---  नस नस में तिरंगा रहने दो, मत बांटो हमको मजहब में, मेरे दिल में तिरंगा रहने दो, शगीता वर्मा ✍✍

शहीदों का भारत

Image
शहीदों का एक दिवस नहीं संपूर्ण संसार  शहीदों का है  अपनी मातृभूमि की रक्षा में  पूरा  बलिदान शहीदों का है हम एक दिवस क्यो मनाए जब प्राण उन्हीं की बदौलत हैं आज़ाद वतन में सांस ले रहे यह उपहार उन्हीं के दम पर है कितनों की सूनी मांग हुई तब हम सबका सिन्दूर है बना हुआ  कितनों की लाठी टूट गई तब  यह भविष्य हमारा सुदृढ़ हुआ  मत खुद पर इतराओ कभी तुम कि हमने की कभी कुर्बानी  हैं गर आज सुकून की नींद सो रहे तो उन शहीदों की मेहरबानी है ख़ुद की जान की परवाह न की जय हिन्द का नारा लगाते रहे जब तक एक भी बूंद बची रही वो अपना लहू वतन पे बहाते रहे शत शत नमन तुम्हें अमर शहीदों  जो हमें आज़ाद हिंदुस्तान दिया तुम्हारे चरणों की धूल से हम सबने अपने माथे पर गर्व से तिलक किया जय हिन्द जय भारत शहीदों को शत शत नमन

चले वक़्त के साथ , अगर मिलाकर कदम

Image
चले वक़्त के साथ , अगर मिलाकर कदम। नहीं होगी कोई मुसीबत, खुश रहेंगे हम ।। चले वक़्त के साथ -------------------।। खुश हम रहे, साथ थी जब गुल की बहारें। नाम था हर जुबां पे, रोशन जब थे सितारें।। वक़्त को देखकर , अगर जीना सीखे हम । नहीं होगी कोई मुसीबत,खुश रहेंगे हम।। चले वक़्त के साथ-----------------।। महलो- दौलत तो बनते - बिगड़ते रहते हैं। करें क्यों इनका गम, रिश्ते बदलते रहते हैं।। एक लहर समझ , करें समय का स्वागत हम। नहीं होगी कोई मुसीबत, खुश रहेंगे हम।। चले वक़्त के साथ----------------।। कांटों में ही अक्सर , महकते हैं फूल। तपते अग्नि में सोने की तरह हो उसूल।। छोड़े किस्मत का रोना, हंसकर जीये हम। नहीं होगी कोई मुसीबत, खुश रहेंगे हम।। चले वक़्त के साथ --------------------।। रचनाकार एवं लेखक- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

"धूल के फूल"

Image
धूल में लेते हैं जन्म धूल में हीं मिट जाते हैं धूल के ही तो फूल हैं वे पहचांन कहां कोई पाते हैं खुले आसमां के नीचे धरती पर ही सो जाते हैं सिर पर छत का सपना लिए दुनियां से विदा हो जाते हैं धूल के ही तो फूल हैं वे पहचांन कहां कोई पाते हैं कविता गौतम...✍️

इंकलाब ज़िंदाबाद : भगत सिंह भाग ६

Image
विद्यार्थी और राजनीति -  इस महत्वपूर्ण राजनीतिक मसले पर यह लेख जुलाई ,1928 में   'किरती'  में छपा था।उन दिनों अनेक नेता विद्यार्थियों को राजनीति में हिस्सा न लेने की सलाह देते थे ,जिनके जवाब में यह लेख बहुत महत्वपूर्ण है ।यह लेख सांप्रदायिक विचारों में छपा था ,और संभवतः भगत सिंह का लिखा हुआ है। इस बात का बड़ा भारी सॉरी सुना जा रहा था कि पढ़ने वाले नौजवान (विद्यार्थी )की राजनीति क्या पॉलिटिकल कामों में हिस्सा न ले। पंजाब सरकार की राय बिल्कुल ही न्यारी है ।विद्यार्थी से कॉलेज में दाखिल होने से पहले इस आशय की तर्क पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं कि वह पॉलिटिकल कामों में हिस्सा नहीं लेंगे। आगे हमारा दुर्भाग्य के लोगों की ओर से चुना हुआ मनोहर जो अब शिक्षा मंत्री हैं स्कूलों कॉलेजों के नाम एक सर्कुलर या परिपत्र भेजता है कि कोई पढ़ने  या पढ़ाने वाला पॉलिटिक्स में हिस्सा ना ले। कुछ दिन हुए जब लाहौर में स्टूडेंट यूनियन या विद्यार्थी सभा की ओर से विद्यार्थी सप्ताह मनाया जा रहा था। वहां भी सर अब्दुल कादर और प्रोफेसर ईश्वर चंद्र नंदा ने इस बात पर जोर दिया कि विद्यार्थिय...

धूल का फूल

Image
धूल में भी फूल होते हैं पहचान को मोहताज अस्तित्व बचाने को संघर्षरत तरु की डाली से टुट गिरे  या तोड़े गये  बड़े नेता की अगुआई में  खुद मिल गये धूल में  कितनी बार सनते कीच में कभी पैरों से कुचलते टुकड़े टुकड़े होते कौन परवाह करता आखिर धूल के फूल जो हैं दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'

कैसे मान लूँ

Image
कैसे मान लूं.... कि तूं मेरा नहीं.... कैसे कह दूं कि जो रातों में आता है  वो ख़्वाब तेरा नंही.... कैसे मान लूं.... कि यादों में तूं नहीं.... कैसे कह दूं कि आंखों में मेरी चेहरा तेरा नहीं.... कैसे मान लूं.... कि बातों में मेरी तूं नहीं.... कैसे कह दूं कि आता जाता ख्याल तेरा नहीं.... कैसे मान लूं.... कि अब तूं मेरा नहीं.... कैसे कह दूं कि जो लिखा है वो एक सपना है हकीकत नहीं....       आरती सिरसाट   बुरहानपुर मध्यप्रदेश मौलिक एंव स्वरचित रचना।

धूल का फूल

Image
मैं इस जगत का एक,ऐसा धूल का फूल हूँ। मैं स्वयं पापी नहीं हूँ,मैं पापियों की भूल हूँ। किसी कमजोर समझ, निकम्मे की भूल हूँ। मैं किसी के चाह में,खिला धूल का फूल हूँ। अजनबी रिश्तों की,संबंधों का एक फूल हूँ। परिणाम सोचे बिना,खेले खेल वही भूल हूँ। बेशर्मी बेहयाई का,अनचाहा खिला फूल हूँ। अपनाने की हिम्मत न हो,ऐसा एक शूल हूँ। अपना सके न वो,समाजिक डर की धूल हूँ। मैंतो तेरे उस गलती का,एक मासूम फूल हूँ। ना पिता का ही पता,ना माँ का ऐसी धूल हूँ। मैं तो जवानी की उम्र की,गलती का फूल हूँ। मुझे अनाथालय ने पाला,पोशा ऐसा फूल हूँ। जिंदा जरूर हूँ मगर,मैं तो किसी की भूल हूँ। लोगों के धर्मार्थ सेवा से,जीवन मिला शूल हूँ। पला पढ़ा तो किन्तु,सोचूँ मैं किसकी भूल हूँ। ईश्वर के मर्जी बिना बच्चे,न मिलते मैं फूल हूँ। ईश्वर ही जाने कि मैं,किनके गल्ती का धूल हूँ। आया हूँ धरा पर तो,किसी के घर का फूल हूँ। माना कि अभी उसके लिए,मैं तो एक शूल हूँ। वे भी नजर रखे होंगे,जिस कोख का फूल हूँ। मेरी तरक्की देख के,पछतायेंगे मैं ही भूल हूँ। मैं इस  जगत का ऐसा, एक  धूल का फूल हूँ। मैं स्वयं पापी  नहीं हूँ, मैं पापियों...

मेरा दोहरा रूप

Image
मैं तो इक दोहरा चेहरा हूँ,  दो रूप लिए मैं बैठी हूँ,  इक रूप दिखाया है सबको,  इक रूप छुपा कर जीती हूँ,        हँस कर मिलती हूँ दुनिया से,        पर छुप कर रोया करती हूँ,         हर जख़्म छुपाया है सबसे,         और दर्द समेटे बैठी हूँ,  देखो तो भीड़ है लाखों की,  सबसे मैं मिल के रहती हूँ,  देखूँ जो अपनें अंदर तो,  मैं बहुत अकेली होती हूँ,       लगती हूँ चुलबुल नटखट सी,      पर दर्द की लहरों में हर पल ,      चुपचाप बहा मैं करती हूं,  ये शौक नहीं अब आदत है,  दो रूप लिए मर जाना है,  दो रूप लिए मैं जीती हूँ,        मैं तो इक दोहरा चेहरा हूँ,        दो रूप लिए मैं बैठी हूँ,       दो रूप लिए मैं बैठी हूँ।  अंकिता मिश्रा

पाप कोई मैंने नया, यारों यहाँ किया नहीं है

Image
पाप कोई मैंने  नया , यारों यहाँ किया नहीं है। काम बुरा कोई नया , यारों मैंने किया नहीं है।। पाप कोई मैंने नया-----------------।। सबकी तरह मैंने किया है, खुद से ही प्यार। चाहता हूँ मैं अपना भला, और अपनी बहार।। सजाकर अपना सपना, गुनाह मैंने नहीं किया है। पाप कोई मैंने नया-----------------।। रिश्ता है सबका दौलत से,सबको है इससे मुहब्बत। चाहता हूँ मैं भी सबकी तरह, महल और दौलत बहुत।। शौक यह मैंने नया, यारों यहाँ किया नहीं है। पाप कोई मैंने नया----------------।। मैं तो एक इंसान हूँ, चाहता हूँ मैं भी प्यार यहाँ। सबकी तरह खुश रहना, मेरा भी है अधिकार यहाँ।। अधिकार यह जताकर मैंने, अधर्म कोई किया नहीं है। पाप कोई मैंने नया----------------।। जिन्होंने किया बदनाम मुझे, उनपे सितम किया है मैंने। जिन्होंने बुझाये मेरे चिराग, बेपर्दा उनको किया है मैंने।। देकर सजा उनको मैंने, अलग कुछ किया नहीं है। पाप कोई मैंने नया-----------------।। रचनाकार एवं लेखक-  गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

अनेकता में एकता

Image
आओ हम सब मिल भारत देश सजाएं, एक-एक फूल पिरोकर माला एक बनाएं। धर्म अलग हैं, जाति अलग हैं, अलग है वेशभूषा , पर जुड़े हुए हैं एक लड़ी में, जैसे हों गुलदस्ता। चाहे रहें कहीं भी, चाहे करें काम कोई भी, हो जाते हैं एक तभी, आए विपदा कोई भी। मॉं के लिए बराबर सब जो जन्मा इस धरती पे, पालन करती हैं, सभी का एक ही नज़र से। रखना होगा हमको भारत मॉं का मान यहॉं, पूरे विश्व में पहचान हमारी तभी बनेगी नेक यहॉं। है सदियों की जो परंपरा उसका ध्यान रखें, माला टूट ना जाए इसका सतत प्रयास करें। पंजाबी, मद्रासी हों या गुजराती, बंगाली, चाहे हों मराठी, मारवाड़ी,या हों काश्मीरी। रहना होगा एक हमें, हाथों में हाथ डालकर यहॉं,  लालच और स्वार्थ में पड़कर भूल ना जाएं एकता। विश्व में होगा नाम हमारा करेंगे सब सम्मान हमारा वसुधैव कुटुंबकम् की परंपरा बनी रहेगी सदा। ©मनीषा अग्रवाल इंदौर मध्यप्रदेश

कौम

Image
सुबह नाश्ते की टेबल पर संदीप चौहान ने मोबाइल खोला और अपने बेटे राहुल को व्हाट्सएप चैट पर आया हुआ एक संदेश पढ़कर सुनाने लगे, "ये शर्मा जी भी कमाल हैं, पता नहीं कहाँ से इतनी महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर आते हैं, देख राहुल शर्मा जी ने ताजमहल के बारे में क्या भेजा है, लिखा है कि ताजमहल पहले एक हिन्दू मंदिर था, कमाल है यार" "बिल्कुल ही गलत जानकारी है ये, बिना किसी शोध के आप कैसे किसी तथ्य को गलत ठहरा सकते हो" शालिनी ने उनकी प्लेट में ब्रेड रखते हुए कहा। "संदीप आप कब से इन सब फ़ालतू की इंफोर्मेशन्स को सही मानने लगे?" "शालू माना कि तुम हिस्ट्री की प्रोफेसर हो पर और भी कुछ लोग हैं जो सच्चाई को समाज के सामने लाने के लिए मेहनत कर रहे हैं, अभी दो दिन पहले ग्रुप एडमिन खत्री जी ने चौहानों का इतिहास भेजा था, कुछ चीज़ें तो मुझे आजतक पता ही नहीं थीं" उनका १५ साल का बेटा राहुल जो बिल्कुल भी इन बातों में ध्यान नहीं दे रहा था, वो मोबाइल में गेम खेलने में बिजी था। "राहुल जल्दी नाश्ता करके स्कूल की ऑनलाइन क्लासेस को अटेंड करो और ये मोबाइल में गेम खेलना बन्द क...

राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता

Image
एक अखंड राष्ट्र है,अपना ये देश हमारा। लहर-लहर लहराए तिरंगा जहाँ में प्यारा। सभी जातियों धर्मों को है प्राणों से प्यारा। संस्कृतियों से भरा हुआ है ये देश हमारा। रंग-रंग के प्यारे फूलों वाला,देश है न्यारा। खुशबू का गुलदस्ता है,भारत देश हमारा। हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई,सब का प्यारा। राष्ट्रीय  एकता का परिचायक,देश हमारा। कोयल यहाँ पे गाती है,जंगल में नाचे मोर। करे पपीहा टेर यहाँ,  मुर्गे की बाग से भोर। भिन्न-भिन्न त्यौहार,यहाँ पर कितना प्यारा। गंगा जमुनी संस्कृति है,प्रेम औ भाई चारा। दुनिया में सबसे बड़ा,लोकतंत्र देश है मेरा। महापुरुषों की धरती,पर गौरव बढ़े हमारा। झंडा भारत का ऊंचा है,तीन रंग का प्यारा। कहें तिरंगा झंडा अपना,विश्व में यह न्यारा। सैनिक टुकड़ी ड्यूटी करते, रक्षा में इसकी। प्राणों से प्यारी है राष्ट्र की,इनको यह धरती। सियाचीन एवं ग्लेशियर,की बर्फ़ीली चट्टाने। फौलादी इरादों के रक्षक,बन खड़े हैं चट्टाने। देश हमारा इतना सुंदर,सजे हुए गुलशन हैं। फूलों से महकती वादी,महकता गुलशन है। प्रेम और सौहार्द्र का, ये तो अद्भुत संगम है। प्रयागराज नगरी में, पतित पावनी संगम है। मथुरा...

इंसानियत

Image
हमारा देश भारत एक धर्म निरपेक्ष देश हैं..। यहाँ सभी धर्म के लोग रहते हैं..। हर शहर में.. हर गली में आपको हर तरह के लोग मिल जाएंगे..। हर धर्म के लोग अपने अपने धर्म और मजहब का पालन करते हुए बड़े ही प्यार और भाईचारे के साथ यहाँ रहते हैं..।  हिन्दू, मुस्लिम, सिख , ईसाई..... हम सब हैं भाई भाई..। बचपन ये पंक्ति सुनते आ रहें हैं और यह सत्य भी हैं...। किसान हो  , डाक्टर हो, इंजीनियर हो या कोई भी काम .... आपको हर कार्य में हर धर्म का व्यक्ति मिल जाएगा....।  धर्म और मजहब की बात निकलीं हैं तो एक वाक्या आप सबके समक्ष रखतें हैं....।  बात आज से बहुत सालों पहले की हैं...। हम अपनी चचेरी बहन के साथ उनकी होने वाली शादी की तैयारी के लिए बाजार गए थे खरीदारी करने के लिए....। कुछ जरूरी सामान लेने के बाद..... हम दोनों जूते खरीदने के लिए एक जूते की दुकान पर गए...। लेकिन वहाँ काम करने वाले लोग उस वक्त खाना खा रहे थे...। हमें कुछ देर बैठने को कहा...। हम दोनों वहाँ रखी बैंच पर बैठ गई और लिये हुए सामान का हिसाब किताब करने लगीं...। गर्मी का मौसम था तो मैंने मेरी बहन को पास ही मौजूद गन्ने...