"धूल के फूल"
धूल में लेते हैं जन्म
धूल में हीं मिट जाते हैं
धूल के ही तो फूल हैं वे
पहचांन कहां कोई पाते हैं
खुले आसमां के नीचे
धरती पर ही सो जाते हैं
सिर पर छत का सपना लिए
दुनियां से विदा हो जाते हैं
धूल के ही तो फूल हैं वे
पहचांन कहां कोई पाते हैं
कविता गौतम...✍️
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