"रोबोट की दुनिया"
रोबोट एक आभासी या यांत्रिक या कृत्रिम एजेंट है। व्यवहारिक रूप से, यह प्रायः एक विद्युत यांत्रिकी निकाय होता है, जिसकी दिखावट और गति ऐसी होती है की लगता है जैसे उसका अपना एक विचार और अपना एक अभिकरण है। रोबोट शब्द भौतिक रोबोट और आभासी सॉफ्टवेयर एजेंट दोनों को ही प्रतिबिंबित करता है लेकिन प्रायः आभासी सॉफ्टवेयर एजेंट को बोट्स (bots) कहा जाता है। ऐसी कोई भी सर्वसम्मति नहीं बन पाई है की मशीन रोबोटों के रूप में योग्य हैं, लेकिन एक विशेषज्ञों और जनता के बीच आम सहमति है कि वह कुछ या सभी निम्न कार्य कर सकता है जैसे: घूमना, यंत्र या कल सम्बन्धी अवयव को संचालित करना, वातावरण की समझ और उसमें फेर बदल करना और बुद्धिमानी भरे व्यवहार को प्रदर्शित करना। जो की मानव और पशुओं के व्यवहारों की नक़ल करना जैसा ही है।
कृत्रिम सहायकों और साथी की कहानियों और उन्हें बनाने के प्रयास का एक लम्बा इतिहास है लेकिन पूरी तरह से स्वायत्त मशीनें केवल 20 वीं सदी में आए डिजिटल (digital) प्रणाली से चलने वाला प्रोग्राम - अर्थात किया हुआ पहला रोबोट यूनिमेट, 1961 में ठप्पा बनाने वाली मशीन से धातु के गर्म टुकड़ों को उठाकर उनके ढेर बनाने के लिए लगाया गया था। आज, वाणिज्यिक और औद्योगिक रोबोट व्यापक रूप से सस्ते में और अधिक से अधिक सटीकता और मनुष्यों की तुलना में ज्यादा विश्वसनीयता के साथ प्रयोग में आ रहे हैं, उन्हें ऐसे कार्यों के लिए भी नियुक्त किया जाता है जो की मानव लिहाज़ से काफी खतरनाक, गन्दा और उबाऊ कार्य होता है रोबोट्स का प्रयोग व्यापक रूप से विनिर्माण , सभा और गठरी लादने, परिवहन, पृथ्वी और अन्तरिक्षीय खोज, सर्जरी, हथियारों के निर्माण, प्रयोगशाला अनुसंधान और उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादन के लिए किया जा रहा है। आमतौर पर लोगों का जिन रोबोटों से सामना हुआ है उनके बारे में लोगों के विचार सकारात्मक हैं। घरेलू रोबोट सफाई और रखरखाव के काम के लिए घरों के आस पास आम होते जा रहे हैं, बहरहाल रोबोटिक हथियारों और स्वचालन के आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंता बनी हुई है, ऐसी चिंता जिसका समाधान लोकप्रिय मनोरंजन में वर्णित खलनायकी, बुद्धिमान, कलाबाज़ रोबोट के सहारे नहीं होता अपने काल्पनिक समकक्षों की तुलना में असली रोबोट्स अभी भी सौम्य, मंद बुद्धि और स्थूल ही हैं।
रोबोट को अभी और भी विकसित करने की आवश्यकता है।
धन्यवाद!
लेखिका -
सुषमा श्रीवास्तव
उत्तराखंड।
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