सिर्फ पैसों से ही , यहाँ सारे खेल हैं


सिर्फ़ पैसों से ही, यहाँ सारे खेल हैं।
पैसों से ही आपस में होते मेल हैं।।
सिर्फ़ पैसों से ही-------------------।।


पैसों से ही बनते हैं, रिश्ते - नाते।
पैसों से ही है ,खुशियों की बरसातें।।
होती नहीं है इज्ज़त, बिना पैसों के।
बिना पैसों के यह जिंदगी फेल है।।
सिर्फ़ पैसों से ही------------------।।


दया नहीं आती है , मुफ़लिस पर।
नहीं है कोई मेहरबां, यतीम पर।।
बिना पैसों के नहीं, आदमी की कीमत।
पैसों की है जिंदगी, गुलाम और रखैल।।
सिर्फ पैसों से ही-------------------।।


बिना पैसे अकेला, जीना पड़ता है।
बिना पैसे महत्व नहीं, यहाँ होता है।।
नहीं बनते महल , बिन पैसों के यहाँ।
पैसों से ही चलती, जीवन की रेल है।।
सिर्फ पैसों से ही------------------।।


रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Comments

Popular posts from this blog

अग्निवीर बन बैठे अपने ही पथ के अंगारे

अग्निवीर

अग्निवीर ( सैनिक वही जो माने देश सर्वोपरि) भाग- ४