कैसे मान लूँ
कैसे मान लूं....
कि तूं मेरा नहीं....
कैसे कह दूं कि जो रातों में आता है
वो ख़्वाब तेरा नंही....
कैसे मान लूं....
कि यादों में तूं नहीं....
कैसे कह दूं कि आंखों में
मेरी चेहरा तेरा नहीं....
कैसे मान लूं....
कि बातों में मेरी तूं नहीं....
कैसे कह दूं कि
आता जाता ख्याल तेरा नहीं....
कैसे मान लूं....
कि अब तूं मेरा नहीं....
कैसे कह दूं कि
जो लिखा है वो एक सपना है हकीकत नहीं....
आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एंव स्वरचित रचना।
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