"छोटा सा सपना"
छोटा सा मेरा ये सपना
हो खुशियों से भरी दुनिया
जीवन हो सुंदर उपवन
हम प्यारी-प्यारी कलियां ।।
न छाये कही उदासी
न रंजोगम की शाम हो
खुशनुमा जिंदगी में सिर्फ
दिलों में अपनापन व प्यार हो ।।
दूर हो दिखावापन
गर सच्चाई पहचान हो
बेचैन तो है ,झूठा इंसान
सुकूं सत्य की आवाज में हो ।।
मनीषा भुआर्य ठाकुर(कर्नाटक)
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