पाप कोई मैंने नया, यारों यहाँ किया नहीं है


पाप कोई मैंने  नया , यारों यहाँ किया नहीं है।
काम बुरा कोई नया , यारों मैंने किया नहीं है।।
पाप कोई मैंने नया-----------------।।


सबकी तरह मैंने किया है, खुद से ही प्यार।
चाहता हूँ मैं अपना भला, और अपनी बहार।।
सजाकर अपना सपना, गुनाह मैंने नहीं किया है।
पाप कोई मैंने नया-----------------।।


रिश्ता है सबका दौलत से,सबको है इससे मुहब्बत।
चाहता हूँ मैं भी सबकी तरह, महल और दौलत बहुत।।
शौक यह मैंने नया, यारों यहाँ किया नहीं है।
पाप कोई मैंने नया----------------।।


मैं तो एक इंसान हूँ, चाहता हूँ मैं भी प्यार यहाँ।
सबकी तरह खुश रहना, मेरा भी है अधिकार यहाँ।।
अधिकार यह जताकर मैंने, अधर्म कोई किया नहीं है।
पाप कोई मैंने नया----------------।।


जिन्होंने किया बदनाम मुझे, उनपे सितम किया है मैंने।
जिन्होंने बुझाये मेरे चिराग, बेपर्दा उनको किया है मैंने।।
देकर सजा उनको मैंने, अलग कुछ किया नहीं है।
पाप कोई मैंने नया-----------------।।


रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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