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Showing posts from December, 2021

"साल 2022 "

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दुनिया की नज़र से देखूँ या अपनी नज़र से देखूँ ऐ ज़िन्दगी बता तुझे किस किस तरह से देखूँ... मुझे तेरी तुझे मेरी राह रास आती नहीं कभी  बता हकीकत जी लू या फ़साने पे मर के देखूँ... कहीं रंगीनियाँ तो कहीं है बर्बादियों के साये  इक बार फिर नित नये जमाने के रंग देखूँ... आजमायेगा ये फिर मुझे नये नये बहानों से  वक्त से एक बार फिर आँख मिला के देखूँ... जनवरी की नई 'आस' के साथ नया विश्वास जगा चल इस नववर्ष 'साल 2022' का सामना कर देखूँ... 💖💖💖 रश्मिरथी परिवार के सभी सदस्यों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 🙏🏻💐🌹🌺🌷 शैली 'आस '✍️

आ गया है नववर्ष

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लो आ गया नववर्ष लेकर नई उमंगे खुशहाली की चादर ओढ़े लेकर नई तरंगे!! भरलो मुट्ठी प्रेम की  और छोड़ दो सारी रंज़े  खोल दो दिल की गांठो को और बांध लो खुशी के लम्हे!! क्या खोया और क्या पाया है इसकी चिंता छोड़ो बड़े भाग मानस तन पाया उसकी कीमत समझो!! लो आ गया नववर्ष लेकर नई उमंगे खुशहाली की चादर ओढ़े लेकर नई तरंगे!! जो सोचा था कल कर लेंगे उसको आज ही करना टालमटोल की ये आदत से तौबा अब कर लेना!! बेवजह ही लुटा आना कुछ प्यार अपनो पर भी देखना मिलेगा तुम्हें भी भरपूर कभी न कभी!! लो आगया नववर्ष लेकर नई उमंगे खुशहाली की चादर ओढ़े लेकर नई तरंगे!! सपनों के आसमान को पाना चाहते हो तुम अगर  तो थाम लेना नेकी का हाथ और चलना सच्चाई की डगर पर!! जो संकल्प लेते हो हर वर्ष वो इस बार ज़रूर पूरे कर लेना कल में नही तुम आज में ही जीने की आदत विकसित कर लेना!! लो आ गया है नववर्ष लेकर नई उमंगे खुशहाली की चादर ओढ़े लेकर नई तरंगे!! खोलो मन के द्वार ज़रा इसमें आध्यात्मिक तेज़ भर लेना  चरित्र की शक्ति ही सबसे बड़ी है ये संस्कार बच्चों में भर देना!! आत्मसम्मान से जीने की प्रेरणा ख़ुद में समाहित कर लेना दर्प,कायरता से ह...

हम नये साल में

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करें कुछ ऐसा नया, हम नये साल में । मिले सबको खुशियां, नये साल में।। करें कुछ ऐसा नया---------------।। मिटे भूख, गरीबी अपने वतन में। गुल गुलजार मिले, हर गुलशन में ।। मिटे बेरोजगारी और वृद्ध आश्रम। रहे अपनों के साथ सब, नये साल में।। करें कुछ ऐसा नया---------------।। बाल-विवाह, दहेज -प्रथा अपने वतन में। बन्द हो मृत्यु- भोज अब तो इस वतन में ।। बन्द हो अग्निपरीक्षा, नारी की अब । बेघर को मिले घर , नये साल में ।। करें कुछ ऐसा नया --------------------।। पाने को हम दौलत और सम्मान। नहीं बेचे मानवता, चमन,स्वाभिमान ।। नहीं करें सितम यतीम - मुफ़लिस पर। शान वतन की बढ़े , नये साल में।। करें कुछ ऐसा नया---------------।। रचनाकार एवं लेखक-  गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट- गजनपुरा तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

दुनिया के रंग भाग ५५ - सच्चे प्रेमी की बात का मान

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  जिसका लगभग सर्वस्व नष्ट हो चुका हो, वह भी अपना सर्वस्व प्राप्त कर लेता है। जिसकी हार लगभग तय हो, वह भी अप्रत्याशित रूप से जीत जाता है। जब कोई सच्चा प्रेमी मन ही मन सलामती की आराधना करता है, उस समय ईश्वर को भी कर्मविधान बदलना पड़ जाता है। अपार दुख का आरंभ होने से पूर्व ही उसे वे सारे सुख मिल जाते हैं, जिन्हें वह हमेशा चाहता रहा हो।   एक सच्चा प्रेमी किसी भी तरह साधना की सर्वोच्च अवस्था पर पहुंचे सन्यासी से कम नहीं होता है। फिर वह भी अपनी इच्छा से बदलाव कर सकता है। भले ही वह खुद अपने दुख को समाप्त न कर पाया हो पर अपने प्रेम को दुख की स्थिति में जाने से रोक सकता है। दूर से ही अपने प्रेम का जीवन संवार सकता है।    शिवानी का जीवन लगभग बर्बाद ही हो चुका था। भले ही विवाह विच्छेद के रूप में उसे अच्छी धनराशि मिल जाती पर क्या जीवन के लिये धन ही पर्याप्त है। भले ही मन में प्रेम न हो, फिर भी साथ साथ रहने बालों को एक दूसरे के साथ की आदत तो हो ही जाती है। धीरे-धीरे वही साथ एक अटूट बंधन का आधार बनता है।   जब दयानाथ शिवानी को वापस लेने आया तो एक बार शिवानी का मन इन्कार का हुआ।...

🌹हिंदुस्तान की विश्व में लहरता परचम🌹

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                                       🌺🌺🌺🌺🌺🌺        🙏🙏🙏🙏🙏🙏        🌻🌻🌻🌻🌻🌻 दी गई चित्र  के माध्यम से मैं अपने देश के उस तिरंगे झंडे को सबसे पहले नमन 🙏करता हूं  जिसमें हमारे भारत मां का गौरव अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देश में गूंज रही है 🥰। हाल ही में हमने आजादी की 74वीं वर्षगांठ 15 अगस्त को मनायें हैं 🥰। और ये दुनियां देख रही है कि सोने की चिंडियां कहा जाने वाला देश( जिसे हम खो चुके हैं) मात्र आजादी की 74 वर्षों में ही अपनी  मुख्य धरा पर लौटकर अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों के लिए एक  खड़ी चुनौती के रूप में हर क्षेत्र में मुकाबला कर रहे हैं 🥰। वो इंग्लैंड जिसने हमारे हिंदुत्ववादी देश पर 200 साल तक शासन किया और सोने की चिंडियाँ को लूट कर चला गया 😡,फिर भी हम उनके लिए हर क्षेत्र में चाहे वो व्यापार हो या हॉकी और क्रिकेट मैच जैसे कोई खेल उनके लिए चुनौती बन बैठे हैं । अपने आंखों के इशारे पर सारे विश्व ...

देश से प्रतिभा पलायन - भयानक भविष्य

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अगर कोई सच में हमें गहरा आघात पहुंचाता है तो वो निःसंदेह हमारा कोई अपना ही होगा। इतिहास के पन्ने हमें स्मरण दिलाते हैं कि देश में लुटेरों और घुसपैठियों को लाने में हमारे ही अपनों का हाथ था, जिन्होंने सत्ता और धन के लोभ में देशद्रोह किया। सालों तक ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा देश, जिसे जिसने चाहा, जैसे चाहा वैसे लूटा और खसूटा। आजादी के बाद भी सत्ता के लोभियों ने फिर से देश की अस्मिता के साथ बलात्कार किया और देश को दंगों की आग में जलने के लिये छोड़ दिया। समय के साथ-साथ देश ने शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में विकास करना शुरू कर दिया। देश में पढ़े-लिखे कुछ अतिप्रतिभाशाली युवा, जो हमेशा कम्फर्ट जोन और सेफ जोन में रहना चाहते हैं, उन्होंने पैसे और अत्याधुनिक जीवन शैली की चाह में खुद की प्रतिभा को USA और UK जैसे कई देशों में बेच दिया, जिनमें कुछ उदाहरण सत्या नडेला, सुंदर पिचाई इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। आज USA और UK जैसे देश, हमारे देश की प्रतिभाओं को लूट रहे हैं, देश का अदर्शविहीन युवा उनके हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है। जिन्होंने शिक्षा तो देश में पायी लेकिन विकास दूसरे देशों का कर रहे ...

आवारा बादल (भाग 17) मिलन

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अगले दिन रवि मीना भाभी के घर गया तो देखा कि औरतों की भीड़ लग रही है । शांति ताई ने मौहल्ले की सारी औरतों को सुंदरकांड के पाठ के लिये बुला लिया था । रवि ने अपना सिर पकड़ लिया ।" क्या से क्या हो गया , भाभी , तेरे प्यार में " । इस भीड़ में तो दर्शन भी दुर्लभ हैं भाभी के । अब क्या होगा ?  वह सोचने लगा "भाभी को सुंदरकांड के पाठ वाली बात कहनी ही नहीं चाहिए थी । हो गई ना ऐसी तैसी अब । फ्री फंड में सुंदरकांड का पाठ कराओ और भीड़ में खो जाओ । हुंह !  ईनाम में कुछ भी नहीं । बस, खाना खा जाना । ये भी कोई बात है " ? मीना भाभी पर उसे गुस्सा आने लगा । कैसे निपटें इस समस्या से ? क्या आज भी मिलन संभव नहीं होगा ? रवि का सारा ध्यान उधर चला गया ।  भाभी रवि के मन के भाव ताड़ गई । उसने हलके से मुस्कुराते हुए रवि को अपने पास बुलाने के प्रयोजन से कहा " लाल जी, जरा ये सामान यहां से ले जाकर वहां पर रख देना । थोड़ा भारी है इसलिए मुझसे उठ नहीं रहा है " ।  रवि बेमन से वहां आया "सारी बेगार मुझसे ही करवायेगी क्या" ? उसके मन से हूक सी उठने लगी । रवि की इस हालत पर मीना भाभी को ...

मेंरा तिरंगा मेरी शान

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यही समय है, सही समय है, भारत का अनमोल समय है असंख्य भुजाओं की शक्ति है, हर तरफ देश की भक्ति है, तुम उठो तिरंगा लहरा दो, भारत के भाग्य को फहरा दो कुछ ऐसा नहीं जो कर ना सको कुछ ऐसा नहीं जो पा ना सको तुम उठ जाओ, तुम जुट जाओ सामर्थ्य को अपने पहचानो कर्तव्य को अपने सब जानो भारत का ये अनमोल समय है यही समय है, सही समय है पथ-भ्रष्ट होने का कलंक  लगाया गया, हमने वो आत्म बलिदान से मिटा दिया। देश की सुरक्षा हेतु देश की जवानियों ने, सीमाओं पर बूद-बूंद रक्त को चढ़ा दिया। भारत का ये अनमोल समय है यही समय है, सही समय है गोलियों के आगे जो वक्ष को अड़ाते रहे, देश को एक  घाव ना लगने दिया। आप समझौता वाली मेज पे ना जीत पाए, चोटियों पे हमने तिरंगा लहरा दिया। भारत का ये अनमोल समय है यही समय है, सही समय है रंजना झा

"नववर्ष की नवकल्पना"

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नई उमंगों नई तरंगों,नई बहारों का आकाश। सुख लहरों का अनुपम सागर,लाया आशाओं का चिराग। स्वस्थ सफल पथ के पथिक! प्रिय स्वदेश के नन्हें आस । तुम बांह भर थाम लो इसको, तुमको सारी खुशियाँ देगा। नई रश्मि की नई नवेली वेला आई, इस अवसर के शुभागमन पर, खिलते कुसुम हजार हैं, उनमें से तुम एक हो। अपने नव जीवन को सींचों, जैसे पुष्प गुलाब का। यह अवसर है बनने का, जैसे चाहो बन जाओ। तुम उपवन के नवल पुष्प,  तुममें नया पराग है। सुखी और समृद्ध देश के,  तुम स्वप्नों के वक्षहार। नव यौवन के तेजोमय आभा में, हम यही कामना करते हैं।  इतने ऊर्जस्वित रहो सदा तुम, जितना सूर्यलोक संसार है। स्वागत है नवागत सन् 2022 का भारत की दीप्त गरिमा से मण्डित,  नव उम्मीदों से सजे थाल हो तुम।                 रचयिता-                       सुषमा श्रीवास्तव                          मौलिक कृति उत्तराखंड

लक्ष्मण जैसे भ्रातृप्रेम की महिमा अपरंपार

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चौदह बरस के वनवास को चल दिए| उर्मिला संग क्षणिक पल बिता विरह वेदना का कष्ट वह लिए।। राजवैभव का किया त्याग। भइया-भाभी के चरणों में ही समझ अपना अहो भाग ।। वन की पीड़ा को  झुठलाया। शुर्पनखा को सबक सिखाया।। भाभी मां की रक्षा हेतु किया लक्ष्मण रेखा का निर्माण। मेघनाद से युद्ध के समय तैयार खड़े न्यौछावर करने अपने प्राण।। जहां महाबली लंका नरेश रावण की मृत्यु का कारण बने उनके ही भाई विभीषण। वहीं अपने ज्येष्ठ राम की सदैव रक्षा किए लक्ष्मण।। इस अद्भुत गाथा को सुन पुलकित हो जाता संसार। सचमुच! लक्ष्मण जैसे भ्रातृप्रेम की महिमा अपरंपार।। सिद्धि अग्रवाल मुरैना, मध्यप्रदेश

आने वाले नए साल में

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आने वाले नए साल में,  जहान सारा खिलखिलाएगा | आह्वान होगा नूतनता का ,  आगाज होगा नवीनता का | नए-नए अब वादे होंगे ,  फौलादी यहांँ इरादे होंगे | कोरोना भी अब हारेगा,  सूरज भी लालिमा धारेगा | टीकाकरण सबका हो जाएगा ,  बीमारी को दूर भगाएगा | फूलों से बगिया महकेगी ,  आसमान में चिड़िया चहकेगी | प्रदूषण हो जाएगा बेअसर ,  पेट्रोल का दाम हो जाएगा कमतर | बचपन खिलकर मुस्कुराएगा ,  बस्तों का बोझ कम हो जाएगा | विद्यालय कॉलेज फिर खुल जाएंगे ,  लोग फिर अपने काम धंधे पर जाएंगे | बदली भी घुमड़ घुमड़ आएगी ,  तारों की बारात नजर आएगी | मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा , चर्च सब ,  एक साथ मिलकर गाएंगे | सपने सबके सच हो जाएंगे ,  नया वर्ष हम खुशी-खुशी मनाएंगे || नव वर्ष 2022 की सभी को अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएंँ 💐💐💐💐 शिखा अरोरा (दिल्ली)

हमारा भारत महान

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सबसे स्वतंत्र भारत देश है हमारा हर हिंदुत्व की शान और ईमान है हमारा कोई कितना भी करें सितम इनपे फिर भी खुलकर लहराता है तिरंगा हमारा क्या कर लेगे कोई साध कर दुश्मनी हारे है न कभी हार होगा हम भारतीयों का लाख करें कोशिश हम हिन्दुओ को झुकाने की नहीं झुकते कभी झुकना खून मे नहीं हमारा सीना तान कर हर देश मे अपना परचम लहराया है अमेरिका हो या पाकिस्तान या ब्रिटेन की बदला काया है डट्टकर सामना करना हिन्दुओ का फ़ितरत है ज़मीं के हर कोने मे अब लहरायेगे तिरंगा हमारा कोई कितना दबाव दिखाए अब तक पढ़ा कोई फर्क नहीं झुका दें हमारे गौरव को किसी मे इतना दम नहीं क्या उखाड़ लेगे दुश्मन करके होशियारी हमसे देख लेगे वो भी कितना ताकत है खून मे हमारा अब तक सहीद होते आए आगे भी होते रहेंगे जिस्म से बहते हर लहू से बन्दे मांतरम लिखेंगे आंच न आने देंगे अपनी भारत माँ के पवित्र आँचल पर अपने मातृभूमि के नाम ही ये ज़िन्दगी हमारा हम सच्चे हिन्दू है हिम्मत कभी हारते नहीं है चाहे कितना भी मुश्किल राह पीठ दिखाकर भागते नहीं है पुरुष तो पुरुष इस मिट्टी के नारी सकती है न्यारी हर कोई खुलकर जीता है ऐसा स्वर्ग सा देश है हमारा कर...

लड़की

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लड़के और लड़की का भेद अभी कहां मिट पाया है, तुच्छ सोच वालो ने हरदम कहर लड़की पर बरसाया है! लड़का करे पिंड दान तो आत्मा ने मोक्ष पाया है, लड़की करे पिंड दान तो अमान्य उसे बतलाया है! मुक्ति आत्मा को मिलती नही, लड़की को हमेशा यही दर्शाया है, बिटिया करती बेटा बनकर मां-बाप की देखभाल तो लालची भी उसको बतलाया है! बेटा ना पूछे पानी को भी,बेटी कर दे अपना न्यौछावर जीवन भी,तो भी दुनिया को चैन नही आया है! सच ही है छोटी सोच वालो के लिए लड़के और लड़की का भेद अभी कहां मिट पाया है!                                           श्वेता अरोडा

"अलविदा वर्ष 2021"

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       अलविदा वर्ष 2021 के साथ कुछ अच्छी तो कुछ बुरी यादें भी जुड़ी हैं.... वर्ष 2020 का बीजा रोपड़ कोरोना ने जिस तरह शुरुआत ही दौर से कहर मचाना शुरू कर दिया था, जिसके फलस्वरूप 2021में भी उसने अपनी चपेट में ले लिया- जिसने बहुत नुक्सान करा.... घर के घर उजड़ गए, लोगों का सहारा छिन गया, आर्थिक रुप से भी लोग परेशान हुए, रोजगार छिन गये, काम काज छूट गया..... सबसे ज्यादा परेशानी हुई मध्यम वर्ग को क्यों कि न तो वह किसी से कुछ सही स्थिति बता सकते हैं, और न ही कोई ने उनकी सहायता करी.... सरकार भी सिर्फ नीचे तबके के लिए सोचती है, और मदद करती भी है...... लेकिन मध्यम वर्ग के लिए सरकार भी नहीं सोचती, ये तबका जिए या मरे उसको क्या....? क्यों कि ये तबका ऐसा है शरमोहया में हल्ला- गुल्ला भी नहीं करने वाला....... और अमीरों का तो कहना ही क्या..? उनको तो जरुरत ही नहीं है कोई दिक्कत नहीं!! और कसर बाकी थी तो कुछ एक वर्ग ने....  इंसानियत को ताक पर रख दिया.... लूट खसोट को अपना धंधा बना लिया.... कहने का तात्पर्य ये है जो हो हल्ला करे या जिनका घर पहले ही से भरा है, सरकार भी उन्हीं क...

दिसम्बर की बिदाई और नववर्ष का आगाज़"

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लो दिसम्बर जाने को तैयार नववर्ष आने को उत्सुक हैं। सारे रंजो गम भुला कर हम हंसी खुशी के संग जियेगें । चलो जनवरी का स्वागत कर अभिनंदन सभी का हृदय से करे। प्यार बांटते हुए सहृदय से बैर भाव भुला मिटाकर जियें। दर्द बहुत सहा है सभी ने  डटकर हिम्मत से आगे बढ़े। नववर्ष का स्वागत हंस कर करें सारे रंजोगम भुला कर करें। अंतर्मन आनंदित हो आनंद में नव चेतना का संचार हो विश्व में। आलौकित हो घर-संसार सुमधुर आंखों में नव चमक और विश्वास हो। चलो दिसम्बर को अलविदा कह दे और हंसी खुशी से नववर्ष का स्वागत करे। मंगलमय नववर्ष का आगाज़ है सुख शांति और समृद्धि के साथ।। ----अनिता शर्मा सुधा नर्सिग होम झाँसी ----मौलिक रचना

हैप्पी न्यू ईयर

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आओ जश्न मनाएं हम सब आने वाले कल का , नए साल का नया सवेरा, जवाब मिलेगा हर पल का। पिछले साल  क्या भोगा हमने  सोच सोच कर क्यों घबराए, नए साल का स्वागत हम सब  झूम झूम कर आओ कर जाएं। नई रोशनी नई उम्मीदें  सबके मन को बहलाएं,  नई उमंगे नई तरंगें नदिया बनकर इठलाएं। ख्वाब अधूरे होंगे पूरे  आओ दुआ मांगे 'सीमा,' मिलकर  नया साल  भरपूर हो खुशियों से  गमों की जगह ना हो तिल भर।  स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा

🇮🇳🇮🇳वन्दे मांतरम लिखते है🇮🇳🇮🇳

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🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 हर बार की कोशिश दुश्मनो की जो हमेशा हर हाल मे नाकाम रहा है भारत की पवित्र भूमि पर आंच न आती  जो सदैव ही आज़ाद रहा और रहेगा भी  कितना भी बैर साधे कोई मन मे अपने  इस तिरंगे की खिलाफ जाकर क्या कर लेगे  कोई आंच न आपायेगी दावा है भारत माँ पर  ये बात हर हिन्दू के दिल से निकला है बनालो जितना बनाने है फौज तुम्हे  ओ बिदेशीयों तिरंगे के खिलाफ तू कुछ न कर पाओगे  देखना वो मुक्की खुद के चहरे पर जा लगेगा एक दिन  जो भूल से तिरंगे की तरफ साधा है जितने भी आए मन मे खोट लिए अपने घर से अब बाहर कहीं निकल न पाए है क्यों भूल जाते हो सोने की चिड़िया है भारत  नामुमकिन है कैद करना आज़ाद हम उड़ते है कैसी भी मुश्किल हो डट्टकर सामना करते है सोते नहीं भले हम पर अपने देश को सुकून से रखते है मौका जो मिले सरज़मीं के प्रति फ़र्ज़ निभाने का बाहकर एक एक कतरा अपने लहू से बन्दे मांतरम लिखते है लाज़मी है जलना मरना तुम लोगो को भी जो भारत के परचम हर देश मे लहराया है फिर भी क्यों अहसास नहीं होता अपने गलती की...

दुनिया के रंग भाग ५४ - धनराशि बनाम प्रेम

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  अगर धन दौलत की बात की जाये तो शिवानी के घर बालों की हैसियत कहीं से भी दयानाथ के घर के बराबर न थी। जहाँ दयानाथ के पिता एक उच्च व्यवसायी थे। वहीं शिवानी के पिता एक बैंक में क्लर्क। उचित तो यही था कि वह खुद सामाजिक असमानता को समझते और शिवानी को भी समझाते। पर ऐसा नहीं हुआ। शिवानी ने दयानाथ को अपने रूप का दिवाना बना लिया तो परिवार में भी खुशियों के राग गूंजने लगे। वैसे दयानाथ के घर बाले आरंभ में इस रिश्ते के लिये राजी न थे। पर बेटे की जिद के आगे परिवार को झुकना पड़ा। कहा जा सकता है कि रईसी और गरीबी के भेद को मिटा प्रेम ने अपना लक्ष्य पा लिया।   पर लगता है कि ऐसा नहीं हुआ। विवाह के दौरान भी अनेकों बार ऐसी स्थिति आयीं कि शिवानी के माता पिता को अपमान का घूंट पीना पड़ा। फिर दयानाथ के माता पिता का कथन गलत भी तो नहीं था। अपना सर्वश्व लूटाकर भी शिवानी के माता पिता इतने बड़े लोगों का स्वागत सत्कार कर पाने में भी असमर्थ थे। बड़े लोगों की बराबरी सामान्य लोग नहीं कर सकते।     शिवानी के माता पिता ने दयानाथ के लिये सोने की अंगूठी और चेन भेंट की। सभी बरातियों को भी यथायोग्य विदा...

यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती

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नववर्ष में कुछ ऐसा ही हो।                                       हर दिल का ख्वाब साकार हो।। यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती। और साया खुदा का सबके साथ हो ।। नववर्ष में कुछ--------------------।। हम खाये कसम और करें यह वादा। गलत राह पर हम चलेंगे नहीं।। किसी के मन को लगे चोट हमसे। कभी काम ऐसा करेंगे नहीं।। यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती। यही ख्वाब हर आदमी का हो।। नववर्ष में कुछ-------------------।। हम भूले नहीं जश्न में यह जमीं। नहीं खोये होश , जश्न के जोश में ।। ना बर्बाद हो घर किसी का हमसे। यहाँ सबकी हो उन्नति, अपनी सोच में।। यह मेरी दुहा है , यह मेरी है विनती। नकली चेहरों से हटते नकाब हो।। नववर्ष में कुछ--------------------।। ऐसी हो तस्वीर अपने वतन की । नहीं कोई भूखा , बेरोजगार हो।। मिटे इस वतन में गरीबी का दाग। हर घर में खुशियां आबाद हो।। यह मेरी दुहा है, यह मेरी है विनती। हमेशा चमन अपना गुलजार हो।। नववर्ष में कुछ---------------------।। रचनाकार एवं लेखक-  गुरुदीन वर्मा उर...

शादी का लड्डू

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भारत में शादी किसी त्योहार से कम नहीं हैं, जिस तरह लोग ईद और दीपावली की तैयारी महीने भर पहले से शुरू कर देते हैं उसी तरह से शादी की तैयारियां भी महीने भर पहले से शुरू हो जाती हैं। रिश्तेदारों का तो आप पूछिए मत, मेहमानी के सारे अधिकार उन्हें कंठस्थ रटे रहे हैं, जितना खर्च लड़की वाले का बारात की दावत में होता है उतना ही लगभग घर में शादी से हफ्ते भर पहले पधारे हुए मेहमानों की आवभगत में खर्च हो जाता है। आजकल तो शादी ऑर्गनाइज़र भी कुकुरमुत्ते जैसे उग आये हैं, अगर आप किसी मेट्रो शहर की शादी में शामिल हो रहे हैं जो संभल के रहिये क्योंकि आपको उस शादी के सारे प्रोटोकॉल को फॉलो करना होगा। शादी ऑर्गनाइज़र हर चीज को मैनेज कर के चलते हैं जैसे कि लड़की को कब और कितना मुस्कराना है, कब और कितना शर्माना है, लड़की को किस फ्लो में चलना है। जब इस तरह की महंगी शादी का लड्डू फूटता है तो वो केवल लड़की के पिता के ही जीवन को ही गन्दा करता है। एक संस्कार के लिए इतना दिखावा क्यों, क्यों हमें पड़ोस के गुप्ता जी की लड़की की शादी से बढ़कर शादी की होड़ में पड़ना। आईये एक सोचें क्या एक रात के दिखावे के लिए एक पिता को कर...

शादी का लड्ड

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बकरा हलाली पे यारो एक होरी या लीया-2 मने तो तेरा भीतर लागै, कि  कल्लू तेरा ब्याह आली या-2 सोची ना होगी ऐसा काम हो जाएगा-2  अब लाडले तू भी गुलाम हो जाएगा-2 यारा की महफ़िल से सस्पेंड हो जावेगा तु -2 अब तो किसी का हस्बैंड हो जावेगा तु-2 यू टैम यारा खातिर आवे ना थेरे दोरे बीबी का सस्ता सा ब्रैंड हो जावेगा तु तेरा तो पक्का इंतजार जाम हो जाएगा अब लाडले तू भी गुलाम हो जाएगा-2 शादी का लड्डू चार दिन ही अच्छा लागे-2 मिलने भर पाछे रह तु, बडा पछतावेगा तु-2 भर लियो माइंड मे बात ने मेरी दिल दी ती बातें ने तु मारे से बतावेंगा तु भाभी जो बोले सरेआम हो जाएगा अब लाडले तू भी गुलाम हो जाएगा-2 रंजना झा

आवारा बादल (भाग 16) सुंदरकांड

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रवि और मीना प्यार के सागर के तट पर पहुंच गये थे । अभी वे पानी को निहार ही रहे थे । पानी को देख देखकर ही खुश हो रहे थे । पानी के छींटे एक दूसरे पर छिड़क कर आनंदित हो रहे थे । वह प्यार का सागर जो उनके अंदर उमड़ घुमड़ रहा था, उन्हें अपने आगोश में समेटने के लिये लालायित हो रहा था । हिलोरें मार रहा था । अपनी ओर रह रह कर खींच रहा था । सागर की अनंत गहराई उन्हें बुला रही थी । मीना अभी इतनी जल्दी इस पानी में उतरना नहीं चाहती थी । चूंकि वह एक कुशल खिलाड़ी थी इसलिए वह पहले रवि को एक कुशल तैराक बनाना चाहती थी जिससे उसके डूबने का खतरा नहीं रहे और वह देर तक इस सागर में ये खेल खेलता रहे । उसने रवि की कोचिंग शुरू कर दी थी ।  वो दोनों अभी इस प्यार के समंदर में  आगे बढ़ते कि दरवाजे पर कुछ आहट हुई । शांति और मुन्ना आ गये थे घूमकर । इस प्यार के खेल में वक्त कब निकल जाता है , पता ही नहीं चलता है ।  मीना घबराकर अलग हो गई और रवि को भी बाहर जाने को कह दिया । रवि तुरंत आंगन में आ गया और मीना अपने कपड़े संभालने लगी ।  शांति और मुन्ना तब तक आंगन में आ गये थे ।  "पांय लागी, ताई" ।  ...

नाता दिसंबर और जनवरी का

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कितना अजीब नाता है माह,  दिसंबर और जनवरी का! बीते यादों और  नए , वादों व इरादों का !! यूं तो दोनो की चाल एक , बात व्यवहार भी एक ! तरीका एक तारीखे एक, मौसम एक ऋतुएं एक !! पर अंदाज और पहचान  , दोनो के हैं अलग अलग,! एक की जुदाई दूजे की,  अगुवाई ये कैसा है गजब,!! दोनो में  इतनी  गहराई, वक्त के हैं ये राही! दोनो ने ठोकर है खाई, दोनो की एक है माई !! एक है याद तो दूजा है आस, एक है अनुभव तो दूजा विश्वास! जुड़े हैं दोनो दिल से ऐसे कि,  दूर रहकर भी साथ निभाते है मन से!! दिसम्बर की रीति रिवाजों को,  जनवरी अपनाता है! जनवरी के कायदों वादों  को , दिसंबर भी निभाता हैं!! कैसा इनका नाता है एक , दूर जाता है दूजा पास आता है! दूर जाते ही हालात बदल जाते है , पास आते ही साल बदल जाते है!! कैसा ये समय है  एक के जुदाई पर हम , नाचते और गाते है! दूजे के आगमन की खुशियां,  दिल खोल के मनाते हैं!! जुदाई पर आगमन की चहक,  भारी पड़ जाती है ! क्या करें सदियों से चली आई , ये रीति दुनिया निभाती है !! पुनम श्रीवास्तव

शादी का लड्डू

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पति पत्नी पर हास्य कविता कभी वह बर्तन पटकती है, तो कभी गुस्सा दिखलाती है। गुस्सा होता है उसकी आंखों में ,फिर भी काम कराने को मिस्टर हस्बैंड कहकर बुलाती है। सुबह से शाम अपना जीवन बस पत्नी के चरणों में बिताता हूँ। अपने शादीशुदा जीवन के किस्से तुम्हें सुनाता हूँ। जितने कुंवारे बैठे हो, मेरी सलाह सुन लेना । मूसल देख लो पहले, फिर ओखल में तुम सिर देना। सुबह उठते ही सबसे पहले मैडम के लिए चाय बनाता हूँ। फिर डरे कांपते हाथों से अपनी शेरनी को जगाता हूँ। सुबह और दोपहर के खाने का प्रबंध ऑफिस से पहले ही करके जाता हूँ। आकर ऑफिस से जल्दी मैडम का डिनर बनाता हूँ।  अभी नहीं सोया हूँ मैं, सोने से पहले का जरूरी काम तुम्हें बताता हूँ। जरूरी काम यह है कि, रोज सोने से पहले मैडम के पैर भी दबाता हूँ।  कभी वह बर्तन पटकती है, तो कभी गुस्सा दिखलाती है। अगले दिन उठते ही फिर से मै चूहा और वो बिल्ली बन जाती है। -नीति अनेजा पसरिचा

🌹हमारी शादी की लड्डू🌹

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कहते हैं शादी जब भी कीजिए बहुत सोच समझ कर कीजिए क्योंकि ये आपके जीवन का वो अंतिम पड़ाव होता है जिसे पार कर लेने के बाद निकलना मुश्किल सा होता है 😊। क्योंकि हम शादी तो बस एक बार ही करते हैं और सबसे खुशी 🥰की बात ये होती है कि ..., लडका हो या लड़की दोनों को एकदूसरे जीवन में एक नई एहसास बनती है 😍 और एक दूसरे को जानने समझने मतलब यूं कहे लें कि जीवन की डोर  एक नई रिश्ते में बंध जाती है 🥰🥰। इसमें न किसी की कोई दुश्मनी और ना किसी से कोई हस्तक्षेप😊....। फिर भी न जाने लोग ऐसा क्यों बोल देते कि शादी मतलब उसकी बर्बादी 🙄..., अरे जब बर्बादी ही होनी है तो हम शादी ही क्यों करें...? ये तो बड़ी अराजकता वाली बात हो गई 🤔😊। तो चलिए आइए समझते हैं "हमारी शादी की लड्डू" शीर्षक के माध्यम से प्रस्तुत है मेरी ओर से एक छोटी सी कविता 😍.......। ❣️❣️❣️❣️❣️ बचपन से खेलते कूदते हम बड़े हुए, न जाने कब मेरी जवानी आन पड़ी है, पापा मम्मी सभी की बोझ बन बैठे😜 हैं, देखो "शादी की लड्डु" मन कैसे फुट रहे हैं। फूलों ने ली अंगड़ाई, हवाओं ने किया इशारा, चढ़ती जवानी छोरे और छोरे की, गुलाबों की...

🌻🌻शादी का लड्डू🌹🌹

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शादी का लड्डू सिर्फ एक मिठाई नहीं है इतनी आसन इसकी कहानी नहीं है बहुत राज़ छुपा है इसके मोतियों मे इसे समझना भी कोई इतना आसान नहीं है जैसे कई बूंदो को जोड़ कर एक लड्डू बनता है चीनी के चाशनी मे इसे डुबोना भी पढ़ता है तब जाकर घुलता है मिठास इसके रग रग मे इसे समझना भी कोई इतना आसान नहीं है हमारे ज़िन्दगी का भी यही एक गुण होता है हज़ारो रिश्तों को जोड़े रखना भी एक कला होता है बांधे रखते है जो अपने जीवन की मिठास से हर एक को वो रिश्ता जैसा भी हो कभी बिखरता नहीं है जिस तरह थोड़ी मिठा कम से लड्डू बिखर जाते है उसी तरह दिलो मे विश्वास न हो तो रिश्ते बिखर जाते है जोड़कर रखना पढ़ता है एक एक को अपने दिल के बंधन से जो इसे समझना भी कोई इतना आसान नहीं है दो दिल, दो ज़िन्दगिया और परिवारों का संगम होता है जाने कितने रिश्ते एक डोर मे बंध जाते जो एक शादी होता है हर किसी के चहरे पर झलकता है खुशी का अहसास जिसका कल्पना भी करना इतना आसान नहीं है कई लोगो से सुना है मुश्किल भरी कहानी ये शादी का लड्डू भी कहाँ हर किसी को रास आयी लगता है प्रीतम ज़िन्दगी मे अब सम्भल कर रहना होगा क्योकि अब तक तुमने भी शादी का लड्डू खाय...

यात्रा झांसी की

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मैं बीस साल की नवयुवती थी, जब पहली बार गई थी झांसी। पहला कदम पुलकन के साथ, कि लक्ष्मीबाई थी यहां की वासी। एक चौराहे पर दिखी प्रतिमा, हाथ खड्ग और पीठ पर बालक। दिल में मर्दानी को किया नमन। धन्य झांसी जिसकी रानी थी रानी पालक। किला लगा मानों पहाड़ी को तराश, आकार दिया हो महल का। जहां कभी वैभव,सैन्य शोभित था, अब वीरानी है बिना चहल का। देखे कई तोप,फव्वारे,मंदिर मर्दानी का।, एक सुरंग ग्वालियर को जाता था। हवादार झरोखे और आमोद उद्यान, एक चित्र मर्दानी की सुंदरता दर्शाता था। इस मासूम बच्ची में इतना साहस, देखकर अथाह हैरानी होती थी। एक बड़े पट्ट पर मर्दानी की, श्रीमती चौहान द्वारा रचित एक पोथी थी। यह यात्रा सचमुच सुनहरी थी। इसमें त्रिकोण नहीं बहुकोण दिखती दुपहरी थी।        -चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण

शादी के लड्डू

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  सबसे पहले तो सबसे बड़ा झोल ,  लड़का हो या लड़की पैदा होते ही,  बजा दिया जाता है शादी का ढोल,       कहा जाता है लडकों को,  पढ़ ले बेटा नहीं तो कम मिलेगा दहेज,  सात फेरो का सब खेल है भाई,  नाचें गाए दुनिया, फंस जाए दुल्हा बाबू,  कहा जाता है लडकीयों से,  बना ले रोटी गोल, तभी मीलेगा सइयां तोल,  जो लड़की होती थी मायके मे रानी,  शादी के बाद रह जाती है नौकरानी,  कहते है सब जो खाएं वो पछताए, जो ना खाए वो भी पछताए,  पर जितना मैंने जाना है, है ये समझदारी का मेल,           प्यार मौहब्बत का है ये खेल,  सिक्के के दो पहलू है, दौनों के सुख दुःख भी एक है,  न खट्टा न मिठ्ठा, न है ये जीवन का सट्टा,  सात फेरो, सात वचनों  का है ये सुंदर संगम,  विशवास से बनती है इनकी नीवं ,  शादी का ये प्यारा बनधंन,है सबसे निराला ,  कुछ तीखे कुछ मीठे  होती है नोक झोक,  है लड्डू ये मीठे मीठे रोज खाओ स्वर इनके तीखे तीखे ll      🤵  शादी का...

सन्नाटा

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सिन्हा साहब के अचानक स्वर्गवास हो जाने पर सबके मुंह से यही निकला,--क्या होगा मिसेस सिन्हा का। कितनी पटती थी मियां बीबी में...अच्छे खासे स्वस्थ थे सिन्हाजी... क्या शानदार व्यक्तित्व के मालिक।कैसी सुंदर जोड़ी थी दोनो की।सुनते है उस ज़माने में प्रेम विवाह किया था..लोग आपस मे बात कर रहे थे.।महिलाये दुख के साथ धीमे धीमे बतिया रही थी..कैसी लगेगी बिना साज श्रृंगार के कामिनी... महिलाओ में ज़्यादा कानाफूसी इसी बात की हो रही थी,उच्च शिक्षा प्राप्त कामिनी,।पहनने ओढ़ने की बेहद   शौक़ीन थी।,सुंदर बिछुए से सजे उनके पैर ,।हाथ मे भरी भरी चूड़ियां..माथे पर लाल बिंदी और सजा चटक लाल सिंदूर उनके सांवले रंगत को चमकदार बना देता था।महंगी और सुर्ख रंग की साड़ियां ही उनका पहनावा। हो भी क्यो न सिन्हाजी उच्च अधिकारी तो थे ही,और उन्होंने मिसेस सिन्हा का कभी खर्च को लेकर हाथ भी न पकड़ा था। बिंदास...हँसमुख ,और हाज़िर जवाबी की वजह से किसी भी महफ़िल की जान होती थी कामिनी सिन्हा।56 -57 बरस में भी ऊर्जा से भरपूर..अपनी हाज़िरजवाबी से महफ़िल की जान होती थी.. शुद्धता के दिन घर की महिलाये बेचैन और कामिनी मौन ,एक तरह की चुप्पी...

अनजान राही बना हमराही

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"ओह!! माई गाॅड "कितना सुंदर दृश्य है, नीला स्वच्छ आकाश ,सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू, हल्की हल्की बारिश, सफेद कोहरा ,रात को ये सब अनुभव नही हो रहा था। आते आते रास्ते मे अंधेरा छा गया था ,बस ठंडक महसूस हो रही थी। ओह कितना सकुन है यहाँ ,नहीं तो शहरों मे उठते ही टैफिक की आवाज से सुबह-सुबह ही सिर में दर्द हो जाता है। कितना डर गया था मैं यहां आने से पहले कि सुनसान पहाड़ी वादियों में  क्या करेगा। यहां के टेढ़े-मेढ़े रास्ते बहुत डराते हैं। जब खाइयो की तरफ देखो एक खौफनाक मंजर नजर आता है ऐसा लगता है यदि कोई इन में गिर गया तो उसका अता पता भी नहीं मिलेगा। लेकिन आज न जाने क्यों यह सब बहुत सुंदर और अच्छा लग रहा है । तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। साहब जी आपको कुछ चाहिए। मैं यहां पर आप की देखभाल करने के लिए हूं। मेरा नाम गोपाल है, आप जब चाहे मुझे आवाज लगा सकते हैं, इस समय आपको कुछ चाहिए तो बताइए। अच्छा गोपाल काका मेरे लिए एक कप गर्म गर्म चाय ला दीजिए। गोपाल राहुल के कमरे में चाय के साथ सुंदर फ्रेश फूल लेकर आया और गुलदस्ते में लगा दिए। सारा कमरा महक ऊठा।वाकई यह जगह जन्नत है ।कहते हुए...

💕💕शादी का लड्डू💕💕

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💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 बीत गया मौसम बारिश का झूम कर आया अब ये सर्द मौसम जुड़े गे जाने कितने रिश्ते दिलो से दिल तक जाने कितने घर बटेंगे शादी का लड्डू कितना खुशनुमा माहौल होता है हर पल कहीं पे बजे ढ़ोल ताशे तो कहीं शहनाई सजेगी रंग बिरंगी फूलो से डोली गोरियो की जाने कितने घर बटेंगे शादी का लड्डू बरसों से सुने आँगन मे शहनाई बजेंगे फूल बहारों से चुरा कर घर आँगन सजेंगे सजती है हर पल आँखों मे सपने माता पिता के किसी दिन हम भी बाँटे गे बेटी की शादी का लड्डू रिश्तों की मिठास ऊन चाशनी सी होती है लड्डू सिर्फ मिठाई नहीं क्यी रिश्तो से बँधी बंधन होती है जिस तरह कयी परिवार जुड़ जाते है एक रिश्ते मे  उसी तरह लाखो बुँदे जोड़ चाशनी मे डुबो कर बनते है लड्डू दोस्त और रिश्तेदार के चहरे पर अलग खुशी झलकती है ज़ब पैगाम खुशी का लड्डू के साथ मिलता है दिल मे उठते है कयी लहर आरमानो की सबके एक अलग ही मिठास भर जाता है ये शादी का लड्डू कुछ महीनों पहले से ही सारी तैयारी मे लगे होते है होनी है शादी घर मे जाने कितने ख़यालात होते है मन मे उठते है कयी उमंग ख्वाहिशों की ज़िन्दगी मे देखने से ही लगता है...