"साल 2022 "
दुनिया की नज़र से देखूँ या अपनी नज़र से देखूँ ऐ ज़िन्दगी बता तुझे किस किस तरह से देखूँ... मुझे तेरी तुझे मेरी राह रास आती नहीं कभी बता हकीकत जी लू या फ़साने पे मर के देखूँ... कहीं रंगीनियाँ तो कहीं है बर्बादियों के साये इक बार फिर नित नये जमाने के रंग देखूँ... आजमायेगा ये फिर मुझे नये नये बहानों से वक्त से एक बार फिर आँख मिला के देखूँ... जनवरी की नई 'आस' के साथ नया विश्वास जगा चल इस नववर्ष 'साल 2022' का सामना कर देखूँ... 💖💖💖 रश्मिरथी परिवार के सभी सदस्यों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें 🙏🏻💐🌹🌺🌷 शैली 'आस '✍️