"नववर्ष की नवकल्पना"


नई उमंगों नई तरंगों,नई बहारों का आकाश।
सुख लहरों का अनुपम सागर,लाया आशाओं का चिराग।
स्वस्थ सफल पथ के पथिक! प्रिय स्वदेश के नन्हें आस ।
तुम बांह भर थाम लो इसको,
तुमको सारी खुशियाँ देगा।
नई रश्मि की नई नवेली वेला आई,
इस अवसर के शुभागमन पर,
खिलते कुसुम हजार हैं,
उनमें से तुम एक हो।
अपने नव जीवन को सींचों,
जैसे पुष्प गुलाब का।
यह अवसर है बनने का,
जैसे चाहो बन जाओ।
तुम उपवन के नवल पुष्प, 
तुममें नया पराग है।
सुखी और समृद्ध देश के, 
तुम स्वप्नों के वक्षहार।
नव यौवन के तेजोमय आभा में, हम यही कामना करते हैं। 
इतने ऊर्जस्वित रहो सदा तुम, जितना सूर्यलोक संसार है।
स्वागत है नवागत सन् 2022 का
भारत की दीप्त गरिमा से मण्डित, 
नव उम्मीदों से सजे थाल हो तुम।
                रचयिता- 
                     सुषमा श्रीवास्तव 
                        मौलिक कृति
उत्तराखंड

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