बस एक निवाला
वह पाषाण नहीं ,
उनके अंदर भी दिल है,
उनके दिलों में भी गम है ,
आंखें उनकी भी नम है।
देखो जरा वह पिता है, देखो जरा वह पिता के रूप में भगवान ही तो हैं।
बचपन में तुम्हारे जरा सी ,
रोने से जिनका सीना छल्ली छल्ली,
हो जाता था, आज उन्हें रोने की
हजार वजह दे दिया करते हो।
तुम्हें काबिल बनाने के खातिर,
पिता दिन रात मेहनत करते थें,
तुम्हारी हर एक ख्वाहिशें पूरी करने के खातिर ,ना जाने वह कितनी रातें बिना आराम किये गुजार दिया करते थें ।
बचपन में कहा करते थे,
बड़ा होकर कमाकर खिलाऊंगा,
बस एक बार, बस एक बार,
इन बातों को दोहराकर तो देखो।
बेशक मत उठाना जिम्मेदारियां उनकी बेशक मत उठाना जिम्मेदारियां उनकी
उन्हें किस चीज की जरूरत है,
ये पूछ कर तो देखो।
उनके हिस्से का भी खाकर पले बढ़े हो बस एक निवाला ,बस एक निवाला अपने हिस्से का खिलाकर तो देखो।
वह कांटे नहीं जो चुभने लगे हैं ,
आज भी फूलों की पंखुड़ियों की भांति तुम्हारे पथ पर पड़े हैं।
देखो जरा वह पिता हैं, देखो जरा
वह पिता के रूप में भगवान ही तो हैं।
गौरी तिवारी
भागलपुर बिहार
Comments
Post a Comment