महारास
मनमोहन की बांसुरी,करे चित्त में बास।
पैरों में थिरकन बढ़े, और मन में उल्लास।।
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व्याकुल है हर ग्वालिनी,धरे न मन में धीर।
श्याम बजाए बांसुरी, जब यमुना के तीर।
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सुन बंशी की धुन मधुर, और कर श्रृंगार।
अपने घर को छोड़ कर, चली आज ब्रजनार।।
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मधुर चांदनी खिल रही, मधुवन हुआ उजास।
नंदलाल करने लगे, आज मधुर महारास।।
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महारास में रम रहे, कान्हा राधा साथ।
बन कर नारी नाचते, बमबम भोलेनाथ।।
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राधा के संग रम रहे, देखो नंद किशोर।
महारास में हो गई, धीरे धीरे भोर।।
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आप सभी को मेरी तरफ से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹🌹🌹🌹🌹
श्वेता कर्ण
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