धर्म
मानव सेवा कर्म बड़ा है दुनिया में सब कर्मों से।
मानवता ही बड़ा धर्म है दुनिया में सब धर्मों से।।
ईश्वर ने इंसान बनाए फिर धर्म कहां से आया।
इस धरा की मानवता पर किसने कहर ढाया।।
सभी धर्मों में लोग एक से अच्छे बुरे होते।
धर्मों के आवेश में हम मानवता को खोते।।
मानवता ही सर्वप्रिय है दुनिया के सब मर्मों से।
मानवता ही बड़ा धर्म है दुनिया के सब धर्म से।।
धर्म में आकर कैसे हमने इस धरा पर रंग बांटे।
किसी ने भगवा रंग पहना कोई अपने बाल काटे।।
आज धरा पर मानवता कहां, धर्म की लड़ाई है।
चारों तरफ नजर घुमाओ भाई का दुश्मन भाई है।।
कैसे मैं मानवता बचाऊं दुनिया के बेशर्मो से।
मानवता ही बड़ा धर्म है दुनिया की सब धर्म से।।
नाम - विक्रांत राजपूत चम्बली
पता - ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
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