नन्हें - मुन्हें कलाकार
आओ मिलवाऊ तुम्हें दो नन्हें - मुन्हें कलाकरों से .......
फर्श को दीवारों को कैनवास बनाने वालों से ........
कभी जब बन जाते चित्रकार घर का कोना - कोना रंगों से रंग खुद भी रंगों में रंग जातें हैं ......
कभी इंजीनियर बन घर का सामान खेल - खिलौने सबके इंजर - पिंजर हिल जातें हैं …..
कभी रोना ,कभी हँसना ,रूठना,
मनाना ,दौड़ना ,भागना ,नन्हें मुन्हें बन नये करतब दिखाते हैं ...
कभी गोदी में लेटे ,छाती से लग ,गर्दन में झूले ,मीठी बातें कर खूब मक्खन लगाते हैं.....
कभी कभी तो मेरी अम्मा बन मुझें डाँट पिलाते हैं नन्ही - मुन्हि गुड़ियां कहकर प्यार लुटाते हैं.....
सफ़ाई वाले बन आये समझों सामत आई ,सामान सब तीतर - बीतर झाड़ू पोछा भी कर जाते हैं .....
कभी रसोईया बन हाल बेहाल कर जातें हैं, दौड़ा - दौड़ा मम्मी को भरपूर थकाते हैं......
पढ़ने बैठे कॉपी - किताब पुर्जे पुर्जे खुल जाते हैं, टीवी देखें कार्टून पर ख़ूब ऊधम मचाते हैं...
खेलें जब गेंद बल्ला सचिन तेंदुलकर बन सबके छक्के छुड़ाते हैं .....
खाना ,खाने बैठे हाथ - मुँह पर लपेट बजरंगी बन जातें हैं ,नहाने जाये बाथरूम का स्विमिंग पूल बना देते हैं ........
रंग मंच के मंझे खिलाड़ी ,
अभिनय में इतने माहिर ,अपनी बात मनवाने को अमिताभ बच्चन बन जातें हैं .......
कितने प्यारे ,कितने सुन्दर ,
जग से न्यारे ,दो अनमोल रतन
पास हमारे ..…..
............@ नेहा धामा " विजेता "
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