दिल की तख्ती
मेरे दिल की तख्ती पर प्रियतम नाम सिर्फ तुम्हारा है,
आज मैं अगर खुश हूँ तो ये एहसान भी तुम्हारा है।
थक जाती हूँ मैं तो उठाते हो तुम,
रूठ जाती हूँ मैं तो मनाते हो तुम।
नींद में भी हर वक्त ख्वाब बन कर आते हो तुम,
तुम ही मेरी हर खुशी हो तुमसे ही जीवन हमारा है,
आज अगर मैं खुश.......
कभी सुबह का सूरज बन जाते हो,
तो कभी चौथ का चांद बनते हो तुम।
बेरंग सी मेरी जिंदगी के सतरंगी रंग हो तुम,
मेरी श्वासों की रागिनी में राग सिर्फ तुम्हारा है,
आज मैं अगर खुश......
मैं अविरल सी अतृप्त सी गंगा की धारा हूँ,
प्रेम के अथाह महासागर हो तुम।
छलकती है प्रेम की अमृत विंदु बो गागर हो तुम,
प्रेम का ये अनुपम रूप तेरा न्यारा है,
आज मैं अगर खुश हूँ तो ये एहसान भी तुम्हारा है।
शीला द्विवेदी "अक्षरा"
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