विनायक दामोदर सावरकर




देशप्रेमी विनायक दामोदर सावरकर।
28 मई 1883 को भगूर में जन्में थे।

वे पहले ऐसे  क्रांतिकारी स्नातक जो। 
स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था।

इस कारण से उनकी स्नातक उपाधि।
अंग्रेज सरकार ने उनसे वापस ले ली।

वह दुनिया के अकेले स्वातंत्र्य योद्धा।
जिन्हें 2-2 आजीवन कारावास मिले।

सजा किए पूरी फिरसे हुए वे सक्रिय।
राष्ट्र जीवन में हो गए बड़े वह सक्रिय।

हिन्दू धर्म एवं हिन्दू आस्था से अलग।
राजनैतिक हिंदुत्व की स्थापना किये।

इन्हें  वीर सावरकर नाम से भी जानें।
इनके कृत्यों को लोग सम्मान दें माने।

वीर सावरकर ने राष्ट्रध्वज में धर्मचक्र।
बीच में रखें ये सर्वप्रथम सुझाव दिए।

इस सुझाव को डॉ.राजेन्द्र प्रसाद जी।
राष्ट्रपति जी सहर्ष स्वीकार कर लिए।

ये सावरकर दुनिया के पहले कवि थे।
जो अंडमान के एकांतवास में रहकर।

जेल की दीवारों पर कील-कोयले से। वे अपनी राष्ट्र भक्ति कविताएं लिखा।

इन कविताओं को वह याद भी किये।
जेल से छूट 10हजार पंक्तियां लिखे।

प्रथम राष्ट्रवादी चिंतन क्रांतिकारी थे।
राष्ट्र के सर्वांगीण विकास को चिंतित।

बंदी जीवन खत्म होते ही अस्पृश्यता।
की कुरीतियों के प्रति आंदोलन किये।

वीरसावरकर द्वारा लिखित 1पुस्तक। 
द इंडियनवॉर ऑफ इंडिपेंडेंस1857।

यह एक सनसनी खेज पुस्तक रही है।
जो ब्रिटिश शासन को है हिला डाला।

वीरसावरकर प्रथम भार. विद्यार्थी थे।
इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की।

शपथ लेने से एकदम मना कर दिया।
तो उन्हें वकालत करने से रोक दिया।

यमुनाबाई पत्नी व विश्वास सावरकर।
प्रभात चिपलंकर प्रभाकर सावरकर।

ये तीनों ही वीर सावरकर के बच्चे थे। 
26फरवरी1966 को मुम्बई में मृत्यु।

शत शत नमन तुम्हें हे!वीर सावरकर।
श्रद्धा सुमन समर्पित हे!वीरसावरकर।


रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

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