प्रसन्न व्यक्ति के लक्षण-भाग 1






एक खुश इंसान के क्या लक्षण होते हैं ?
इसकी कोई सर्वमान्य परिभाषा तो नहीं।

फिर भी एक प्रसन्न व्यक्ति में गुण मिलते।
जिसे किसी यंत्र से नापा जा सकता नहीं।

खुशी का मात्र अनुभव किया जा सकता।
जीवन में उपलब्धियों से जो संतुष्ट रहता।

आगे बढ़ने हेतु सदा ही प्रयत्नशील रहता।
वहभी शांति भाव से आगे है बढ़ता रहता।

वह उपलब्ध भौतिक  सुविधाओं से संतुष्ट।
कभी न रहता है जीवन में वह तो असंतुष्ट।

वो सीधा सादा सच्चा होता नहीं रहता दुष्ट।
अपने में वो मस्त रहता अपने में वो संतुष्ट।

लेतेहैं आनंद उसी में जो उसके पास होता।
पास नहीं है जो उसके लिए दुःखी न होता।

ईश्वर माता-पिता स्वजन प्रति कृतज्ञ होता।
शुभाकांक्षियों मित्रों के प्रति है कृतज्ञ होता।

लाभ लोभ हरेक आकर्षण नियंत्रित करता।
अपनी इच्छाओं को भी वो संयमित रखता।

क्या संभव है क्या नहीं है दोनों तौल करता।
दोनों के अंतर को विवेकपूर्ण ढंग से करता।

आंतरिक-वाह्य दोनों स्थिति में प्रसन्न रहता।
हरदम मुस्कान का आभूषण है पहने रहता।

हास्य को आंतरिक उल्लास  मान के रहता।
उर का आनंद अभिव्यक्ति माध्यम ये रहता।

जीवन में प्रसन्न व्यक्ति प्रेम देना ही जानता।
अपने आप को सेवा में तल्लीन ही मानता।

व्यवहार में शालीनता मधुरता रखे जानता।
सरसता मिलनसारिता सहयोग भी जानता।

प्रसन्न व्यक्ति में ऐसे कुछ लक्षण पाए जाते।
जीवन में हर पल संतुष्ट रहें सदा पाए जाते।

हरि इच्छा का प्रसाद है जोकुछ वे पा जाते।
सादा जीवन उच्च विचार से जाने वह जाते।



रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

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