"रैगिंग"
रैगिंग शिक्षण संस्थानों में नव आगंतुक छात्रों के साथ होने वाली एक बुराई है। जो ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, भारत, श्रीलंका व अन्य कॉमनवेल्थ देशों में प्रचलित है जिसे अमेरिका में हेजिंग के नाम से जाना जाता है। आम बोलचाल के शब्द में रैगिंग का तात्पर्य यह है कि ऐसा कोई कृत्य करना जिससे किसी छात्र को शारीरिक अथवा मानसिक क्षति हो, शर्मिंदगी हो,
जैसे किसी विद्यार्थी को चिढ़ाना या उसका मज़ाक उड़ाना अथवा किसी विद्यार्थी से ऐसा कोई कार्य करने को कहना, जिसे वह सामान्य अनुक्रम में न करे।
वर्तमान में भारतीय शिक्षण संस्थाओं में रैगिंग अपनी गहरी जड़े जमा चुकी है , किन्तु मूल रूप से रैगिंग एक पश्चिमी संकल्पना है। रैगिंग की शुरुआत यूरोपीय विश्वविधालयों में सीनियर छात्रों द्वारा नये छात्रों के स्वागत में किये जाने वाले मजाक से हुई, किन्तु धीरे-धीरे रैगिंग पूरे विश्व में फ़ैल गई। वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देशों में रैगिंग के विरुद्ध कड़े कानून बनाए गये हैं तथा इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जा चुका है, किन्तु भारत में वर्तमान में भी रैगिंग वीभत्स रूप में प्रचलित है,पर आजकल कुछ दबाव बना कर इसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
रैगिंग के प्रकार -: यह कहा जाता है कि आदमी की कल्पना की कोई सीमा नही है। रैगिंग के सन्दर्भ में भी यह बात सत्य है क्योंकि इस मामले में भी मानव की कल्पना की कोई सीमा नही है।
वर्तमान में रैगिंग अमानवीय, भद्दे तथा यातनापूर्ण तरीके से शालीनता व नैतिकता के विरुद्ध प्रचलित है। रैगिंग के कॉलेजों में कुछ प्रचलित तरीके ये है।
•ड्रेस कोड रैगिंग
•औपचारिक परिचय
•मौखिक यातना (भद्दे, असभ्य सवाल करना)
•मजाक उड़ाना, मुर्ख बनाना
•हॉस्टल रैगिंग
•ड्रग्स, शराब लेने के लिए बाध्य करना
•सीनियर छात्रों के लिए नोट्स बनाना
•यौन उत्पीड़न आदि।
रैगिंग के प्रभाव -: रैगिंग के कारण छात्रों पर विभिन्न दुष्प्रभाव पड़ते है, जैसे
•शारीरिक एवं मानसिक कष्ट
•यौन उत्पीड़न
•मानवाधिकारों का हनन
•जबरन मादक पदार्थो व ड्रग्स सेवन की शुरुआत करना.
•कॉलेज छोड़ना
•सामूहिक हिंसा
•मृत्यु
•आत्महत्या
रैगिंग का प्रभाव -: देखने में आता है कि इसका प्रभाव छात्र के अतिरिक्त उसके परिवार व शिक्षण संस्थाओं पर भी पड़ता है रैगिंग से पीड़ित छात्र के परिवार को भी अपने बच्चें को देखकर पीड़ा भोगनी पड़ती है। ऐसे शिक्षण संस्थान जहाँ छात्रों की रैगिंग ली जाती है, की समाज में छवि खराब होती है।
रैगिंग के विरुद्ध कानून -: रैगिंग की घटनाएँ रोकने के लिए तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में रैगिंग के विरुद्ध कई कानून बनाए गये है।
कॉलेज में रैगिंग रोकने के उपाय -:
•छात्रवृति व अन्य लाभ रोके जाएं,
•विभिन्न कार्यक्रम में सम्मलित होने पर रोक लगाना,
•परीक्षा परिणाम रोकना,
•होस्टल व मैस से निकाला जाना,
•रैगिंग से सम्बन्धित विधान व आदेश को छात्रों तथा उनके अभिभावकों के संज्ञान में लाना,
•होस्टल वार्डन का नये छात्रों के सम्पर्क में रहना,
•रैगिंग के दुष्परिणामों के बारे में नोटिस बोर्ड, पोस्टर, साईन बोर्ड आदि से जानकारी प्रदान करना,
•छात्र के माइग्रेशन सर्टिफिकेट यदि छात्र द्वारा रैगिंग में भाग लिया गया है तो उसका उल्लेख करना,
•छात्रों और उनके अभिभावकों से अंडरटेकिंग किया जाना,
•समाज को रैगिंग के प्रति सवेदनशील बनाना,
•रैगिंग रोकने में विफल रहने को लापरवाही का कृत्य मानना,
•ऐसे संस्थान जहाँ रैगिंग के मामले सामने आए उनकी वित्तीय सुविधाएँ वापिस लेना,
•रैगिंग के मामले में कॉलेज/स्कुल प्रबंधन की जिम्मेदारी ठहराया जाना आवश्यक है,
• ऐसे मामले में कॉलेज /स्कूल प्रशासन द्वारा छात्र के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज कराई जानी चाहिए तथा ऐसे प्रत्येक मामले की जानकारी उनके द्वारा जिला स्तर पर गठित एंटी रैगिंग कमेटी व संबंधित युनिवर्सिटी को दी जानी चाहिए।
प्रस्तुतिकरण-
द्वारा-
सुषमा श्रीवास्तव, रुद्रपुर, उत्तराखंड।
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