"मई-दिवस/मजदूर-दिवस"


मेरे विचारानुसार यद्यपि हम सभी कहीं न कहीं श्रमिक ही हैं तदपि कुछ लोग एक वर्ग विशेष को ही मजदूर या श्रमिक का संबोधन देते हुए  स्वयं को श्रेष्ठ    समझने की भूल करते हैं।
        आइए, आज मजदूर-दिवस से संबंधित कुछ तथ्य यहाँ पर भी उजागर करने का प्रयास करते हैं।
          भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग का झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। दुनियाभर में मजदूर संगठित होकर अपने साथ हो रहे अत्याचारों व शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
           आज ही के दिन दुनिया के मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को 8 घंटे में तब्दील किया गया था। मजदूर वर्ग इस दिन को  बड़ी-बड़ी रैलियों व कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) द्वारा इस दिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कई देशों में मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती है। टीवी, अखबार, और रेडियो जैसे प्रसार माध्यमों द्वारा मजदूर जागृति के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।

Labour Day 2021 : एक मई का दिन दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस (International Labour Day or May Day ) के तौर पर मनाया जाता है। ये दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। इस दिन को लेबर डे, मई दिवस, और मजदूर दिवस भी कहा जाता है। आज मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का दिन है। ये दिन मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया के कई देशों में छुट्टी होती है। इस मौके पर मजदूर संगठनों से जुड़े लोग रैली व सभाओं का आयोजन करते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज भी बुलंद करते हैं हालांकि कोरोना के चलते इस बार इस तरह के आयोजन नहीं हो सकेंगे। 
          आज की चर्चा प्रश्नावली में मजदूरों की बेहतरी के लिए उपाय बताने को कहा गया था। 
इस संदर्भ में मेरा तो यही कहना है कि आज योजनाओं की कमी नहीं है ,कमी है क्रियान्वयन की और अनुपालन एवं जागरूकता की।आवश्यकता है समयानुसार सारगर्भित, कर्मठ जीवनशैली की।अपने अंतः की कमियों का समूल नाश कर ईमानदारी और कर्मठता के साथ कर्म-पथ के सन्मार्ग पर बढ़ते रहने से किसी को भी कैसे भी अभाव का सामना नहीं करना पड़ सकता। बशर्ते यह सब कुछ भेद-भाव से ऊपर उठकर सबको अपनी अन्तरात्मा से अपनाना होगा।
             धन्यवाद! 
                लेखिका-
                   सुषमा श्रीवास्तव
रुद्रपुर, उत्तराखंड।

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