युद्ध और शांति





युद्ध किसी से हो कभी भी नहीं रहा है सुखदाई।
युद्ध छिड़ा तो ना जाने कितनों ने है जान गंवाई।

इतिहास गवाह है लिखे हुए हैं ये रक्तरंजित पन्नें।
किसी काल का पढ़ें उठा के मिलेंगें सैकड़ों पन्नें।

युद्ध तभी ये छिड़ता है जब अहम कहीं टकराते।
तू बड़ी की मैं बड़ी में ये युद्ध विनाशी छिड़ जाते।

जान माल प्रगति में छति दोनों देश-वर्ग ही पाते।
एकदूजे से कम न समझते भले बाद में पछताते।

महाभारत काल में कैसे युद्ध किए कौरव पांडव।
अपने ही अपने को काटे हारे कौरव जीते पांडव।

कुरुक्षेत्र की रक्तरंजित धरा आज भी लाल दिखे।
दोनों सेनाओं के वीरों ने जानें गंवाईं साफ लिखे।

चीन एवं भारत में भी युद्ध होचुका सभी जानते।
भारत-पाकिस्तान में भी युद्ध हुएहैं सभी जानते।

जबभी युद्ध हुएहैं देश कोई हो बहुत कुछ खोया।
कितने सैनिक और नागरिकों को दोनों ने खोया।

आपसी बातों एवं समझौतों में कोई अमल नहीं।
युध्द कभी भी किसी अशांति का कोई हल नहीं।

बच्चे जवान बूढ़े महिलाएं प्रेमी सभी होते हैं ढेर।
मेरी ये गुजारिश है युध्द ना हो करें शांति की टेर।

शांति सौहार्द्र रहे आपसी तभी विकास ये होता।
राष्ट्र और नागरिकों सैनिकों का ये ह्रास न होता।

फलता फूलता देश और नागरिक तरक्की करते।
शांति अमन प्रेम भाई चारे से ही ये पक्की करते।

शांति और चैन से सब आपस में देश जो रहते हैं।
अपने-2 मातृभूमि में गुजर खुशी से वह करते हैं।

युद्ध विनाशक सदा हुआ है बजती जब रणभेरी।
आज हो रहा जो दो देशों  में प्रतिफल में ना देरी।

युद्ध एवं शांति का अपना-अपना महत्व है होता।
किसी की जीत सुनिश्चित किसी की हार है होता।


रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

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