शिवरात्रि की रात
"आज फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि है मांजी । इस दिन भगवान शिव के साथ - साथ शिव परिवार अर्थात माता पार्वती और उनके पुत्र भगवान गणेश एवं कार्तिकेय जी की भी पूजा की जाती है । भगवान शिव के प्रिय गण नंदी की भी आज पूजा की जाती है । मैं....ने ....
पूजा इससे आगे कुछ और बोल पाती उससे पहले ही उसकी सास ने उसे रोकते हुए बीच में ही बोलना शुरू किया और उसकी तरफ गुस्से में देखते हुए कहा :- " देखो बहू ! तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारा पति ईश्वर को नहीं मानता है । याद है तुम्हें ? शादी करके जब तुम आई थी, पहले दिन ही जब उसने तुम्हें अपने साथ लाए हुए देवी मां की तस्वीर की पूजा करते हुए देखा था तो उसने तुम्हें क्या - क्या नहीं सुनाया था ? याद तो होगा ही तुम्हें इसीलिए मैं नहीं चाहती कि आज शिवरात्रि के दिन घर में कलह हो । जब तक मेरे पति जिंदा थे तब तक वह मेरा समर्थन करते थे इसलिए मैं अपने बेटे के विरोध के वावजूद भी शिवरात्रि का व्रत कर लेती थी लेकिन जब से वह मुझे छोड़ कर गए हैं, मेरे बेटे ने मुझे कोई भी व्रत करने नहीं दिया । पहले मुझे भी बहुत बुरा लगता था कि मेरा खुद का बेटा मुझे पूजा - पाठ करने नहीं देता है लेकिन अब मुझे बुरा नहीं लगता क्योंकि तस्वीरों और मूर्तियों की पूजा करना ही ईश्वर की आराधना करना नहीं होता है बल्कि अपने गृहस्थ जीवन के कर्मों को करते हुए मन ही मन में ईश्वर की स्तुति करना भी उनकी पूजा आराधना करने से कम नहीं है । मैंने तुम्हें पहले दिन भी कहा था कि जिस तरह मैं अपने मन में आस्था रखते हुए ईश्वर की आराधना करती हूॅं वैसे ही तुम भी किया करो । ऐसा करने से मेरे बेटे को मालूम भी नहीं चलेगा कि तुम ईश्वर की आराधना भी करती हो ।"
"आपकी बातें मुझे याद है और वह भी बातें याद है जो मेरे साथ घटित हो चुकी है लेकिन क्या करूं मांजी ? जब भी कोई पर्व या त्योहार आता है मेरा मन कचोट कर रह जाता है । शादी से पहले आज के दिन जैसा कि हर कुंवारी लड़की चतुर्दशी का व्रत रखती हैं मैं भी रखती आई थी लेकिन शादी के बाद बीते पांच सालों में मैं यह व्रत अपने पति के कारण नहीं रख पाई । इन विगत वर्षों में मैं यही सोचती रही हूॅं कि काश ! मैं भी दूसरी औरतों की तरह मंदिर जा पाती ? अपने घर में बिना किसी डर के व्रत रखते हुए पूजा कर पाती ? आपके कहे अनुसार ईश्वर की मन ही मन में स्तुति मैं रोज ही करती हूॅं लेकिन कल रात अचानक ही मुझे यह एहसास हुआ कि कोई मुझसे कह रहा है कि कल शिवरात्रि का व्रत तुम्हें रखना चाहिए । यदि यह व्रत तुम रखती हो तो तुम्हारे जीवन में ऐसा बदलाव होगा जो तुम हमेशा से चाहती थी । वो क्या बदलाव होगा मुझे नहीं मालूम ? आज सुबह जब मैं उठी और उठने के बाद मन ही मन में ईश्वर को याद कर रही थी तभी अचानक से मेरे होंठ बुदबुदाते हुए यह कहने लगे कि हे देवो के देव महादेव ! आज शिवरात्रि है, आपके और माता पार्वती के विवाह का दिन । आज के दिन मैं शिवरात्रि का यह व्रत करने का संकल्प लेती हूॅं । मैंने आज सुबह तड़के ही यह व्रत करने का संकल्प लें लिया इसीलिए अब मैं यह व्रत पूरा करके ही रहूंगी, चाहे इसके लिए कुछ भी हो जाए ।" पूजा ने अपनी सास के पास बैठते हुए कहा ।
"जब तुमने व्रत करने का संकल्प लें ही लिया है तो पूरी पूरी निष्ठा के साथ इसे करों बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दो ।" मन में आशंका होते हुए भी अपनी बहू का साथ देते हुए पूजा की सास ने उससे कहा ।
"मैंने सुना था कि आज के दिन यदि पति - पत्नी एकसाथ जलाभिषेक करें तो उनका दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है और शिव - पार्वती की जोड़ी की तरह ही उनकी जोड़ी थी बनी रहती है । भोलेनाथ को मैं ही जलाभिषेक नहीं कर सकती, ऐसे में हम दोनों पति - पत्नी कैसे करेंगे ? मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि आज व्रत रखकर भी मैं भोलेनाथ के दर्शन कर पाऊंगी या नहीं ?" दुखी मन से पूजा ने अपने सिर को ऊपर करते हुए अपनी सास से कहा ।
"कल रात भोलेनाथ की मर्जी से ही तुम्हें वह संकेत मिला था और सुबह भी तुमने उनकी मर्जी से ही उनका व्रत करने का संकल्प लिया है । ऐसे में मुझे तो पूरा विश्वास है भोलेनाथ कुछ - ना - कुछ ऐसा जरूर करेंगे कि तुम दोनों का उद्धार हो जाएं । अपने भोलेनाथ पर भरोसा रखो बेटी ।" पूजा की सास ने पूजा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा ।
पूजा का रोज की तरह ही दैनिक क्रियाकलाप उस दिन भी जारी रहा ताकि उसके पति राजन को उसके व्रत रखने की बात मालूम ना चले । राजन का व्यापार भी ऐसा ही था कि उसे अधिकांश समय घर में ही रहना पड़ता था । घर के बाहर वाला हिस्सा जो घर से ही जुड़ा था, उसमें ही उसने अपने किराने की दुकान खोल रखी थी । अपने पति के घर में रहने की वजह से वह कुछ कर भी नहीं सकती थी । पूरा दिन ऐसे ही बीत गया । पूजा मन ही मन भोलेनाथ का नाम तो लें रही थी लेकिन जलाभिषेक ना करने की व्यथा उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी ।
"सुनो पूजा ! मैं एक घंटे के लिए बाहर किराने का सामान लेने जा रहा हूॅं । वहां से आने के बाद हम तीनों मिलकर चाय पिएंगे और साथ ही तुम्हारे हाथ के बने पकौड़े का भी लुत्फ उठाएंगे । तुम सारी तैयारी करके रखना ।" राजन ने कमीज पहनते हुए पूजा से कहा ।
"यह क्या भोलेनाथ ? एक घंटे के लिए इन्हें बाहर भेजा वों तो ठीक है लेकिन साथ में उन्होंने मुझे काम दे दिया । एक घंटे के बाद पकौड़े और चाय की तैयारी नहीं हुई तो वह गुस्सा हो जाएंगे । अगर यह पकौड़ी वाली बात उन्होंने नहीं कही होती तो मैं पास के ही आप के मंदिर में आकर अकेले ही आपका जलाभिषेक कर लेती और उन्हें मालूम ही नहीं चलता लेकिन यह आपने क्या कर दिया । आप मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते थे क्या ?" मन ही मन में बुदबुदाते हुए पूजा ने स्वयं से कहा ।
पूजा रसोईघर में जाकर पकौड़े की तैयारी कर ही रही थी कि आधे घंटे बाद ही पूजा के मोबाइल पर उसके पति राजन का फोन आया । इधर से पूजा के हेलो कहने से पहले ही उधर से राजन की घबराई हुई आवाज पूजा के कानों में पड़ी ।
"पूजा ! गलती से मुझसे एक दस वर्ष के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है । लोग इकट्ठा हो चुके हैं और उन्होंने मुझे घेर लिया है यहां तक कि वें लोग पुलिस बुलाने की बातें भी कर रहे हैं । तुम जल्दी से आ जाओ ।" राजन ने एक सांस में ही अपनी बात पूजा से कह दी ।
" आप घबराइए नहीं । मैं अभी निकल रही हूॅं लेकिन आप यह तो बताइए मुझे कहां पर आना है ?" पूजा ने राजन से पूछा ।
"गोला के पास जो शिव मंदिर है वहीं पर आ जाओ जल्दी से ।" राजन ने कहा ।
दस मिनट बाद पूजा शिव मंदिर के गेट पर थी । उसने शिव मंदिर के बाहर राजन को ढूंढा लेकिन वहां पर उसे कोई दिखा ही नहीं । उसने तुरंत ही राजन को अपने मोबाइल से फोन किया ।राजन ने उसे शिव मंदिर के भीतर आने के लिए कहा क्योंकि वह भी वहीं पर मौजूद था ।
अपने पति के बारे में सोचते हुए पूजा जल्दी से शिव मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगी । अभी उसे कुछ और याद भी नहीं था । वह तो सिर्फ अपने पति के बारे में ही सोचे जा रही थी ।
शिव मंदिर के भीतर राजन को देखते ही पूजा दौड़ते हुए उसके पास पहुंची । राजन से उसने उस लड़के के बारे में पूछा । राजन की ऑंखो में आएं ऑंसूओं का सैलाब देखकर पूजा की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी । उसने राजन को झकझोरते हुए फिर से उस लड़के के बारे में पूछा ।
राजन के मुंह से बोल फूट ही नहीं रहें थे वह तो रोए ही जा रहा था । उसका रोना पूजा के लिए असहनीय होता देखकर पास ही खड़े पुजारी ने पूछा के पास आकर कहना शुरू किया :- "घबराओ नहीं बेटी ! अब सब कुछ सही है । वह लड़का भी ठीक है जिसे तुम्हारे पति के बाइक से चोट लगी थी । डर और चोट की वजह से वह लड़का बेहोश हो गया था । उस लड़के को बेहोश देखकर लोगों ने तुम्हारे पति को पुलिस में देने तक की धमकी दे दी थी । भोलेनाथ की कृपा से वह लड़का अब स्वस्थ है । तुम अपने पति को ले जा सकती हो लेकिन अपने पति को लेकर जाने से पहले तुम दोनों मिलकर भोलेनाथ का जलाभिषेक कर लों । संयोग से अभी महाशिवरात्रि के दिन की रात्रि पूजा चल रही है ।
" नहीं पंडित जी ! मेरे पति को यह पसंद नहीं है इसलिए हम चलते हैं ।" पुजारी जी की तरफ देखकर हाथ जोड़ते हुए पूजा ने कहा ।
"पूजा चलों !" राजन ने पूजा का हाथ पकड़कर कहा।
पूजा मंदिर के गेट की तरफ मुड़ी ही थी कि राजन ने उसे रोकते हुए उससे कहा :- " इधर नहीं मंदिर के
भीतर चलों । भोलेनाथ की कृपा से इतनी बड़ी अनहोनी होने से टली है और साथ ही मुझे आभास भी हो चुका है कि आज तुमने महाशिवरात्रि का व्रत भी रखा है तो फिर तुम मेरे साथ जलाभिषेक नहीं करोगी ?"
राजन की बातें सुनकर पूजा की ऑंखों में ऑंसू छलक आए ।
" इस दिन का इंतजार तो मैं पांच सालों से कर रही थी ।" पूजा ने राजन की तरफ देखते हुए कहा ।
शादी के पांच बरसों बाद राजन और पूजा शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन एक साथ जलाभिषेक कर रहे थे । जलाभिषेक करते हुए पूजा मन - ही - मन में अपने भोलेनाथ को धन्यवाद दिए जा रही
थी । महाशिवरात्रि की उस रात पूजा और राजन की जिंदगी में बदलाव आया था और उसी बदलाव के फलस्वरूप वें दोनों एकसाथ इस पावन रात्रि में महादेव और माता पार्वती के जयकारे के साथ उनका जलाभिषेक कर रहें थे ।
"देखो तो ! शिव - पार्वती की जोड़ी की तरह ही इन दोनों की जोड़ी लग रही है ।" राजन और पूजा ने अपने लिए कहें इन शब्दों को एक बूढ़ी दादी के मुख से सुना तो अनायास ही उन दोनों के हाथ उस बूढ़ी दादी के चरणों तक चलें गए ।
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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💓💞💗
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