अपराधबोध भाग २
तब से वो इस मिशन पर लगी थी ,रोजाना समीर को जब समीर कमरे में आता तो कुछ न कुछ उल्टी सीधी बातें पापा जी के बारे में भरती रहती ।
फिर मिसेज भल्ला ने एक दिन कोई दवा ,अंजली को दी ,और कहा की अपने पापा जी को मिला कर दे देना ।
अंजली ने ऐसा ही किया ,उसने दवा पापा जी को चाय में मिला कर दे दी।
पता नही क्या था उस दवाई में ,शांत रहने वाले पापा जी की आंखें लाल हो गई वो हिंसक बर्ताव करने लगे।चाय का कप उठा फेंक दिया ,कमरे का सारा सामान इधर उधर बिखेर दिया।
अंजली ने तुरंत समीर को ऑफिस से बुलाया।मिसेज भल्ला आईं ,उन्होंने अपने डॉक्टर का पता दिया, कि ये बहुत अच्छे डॉक्टर हैं इन्हें दिखा लो।
डॉक्टर ने चेक अप किया और बताया कि अकेले रहने के कारण इन्हें इस तरह का दौरा आया है , मैं दवा लिख रहा हूं ,आप 15 दिन खिला कर देखिए ,अगर फायदा हुआ तो ठीक वरना फिर आप सोचिए क्या करना है ,इनका अकेलापन दूर करने को।
समीर परेशान था,इधर अंजली अब दो दिन में वही मिसेज भल्ला वाली दवा मिला कर दे रही थी ,इसलिए राकेश जी ठीक होने के बजाय और भी बीमार हो रहे थे।
वो धीरे धीरे हिंसक होने लगे।अब अंजली समीर को भरती रहती ,हम लोगों का तो जीना दूभर हो गया है।
तुम तो नौकरी छोड़ उनके पास रह नहीं सकते ।
सुनो कुछ दिनों के लिए वृद्धाश्रम छोड़ दें ,अगर वहां सुधार होगा तो ठीक वरना घर ले आयेंगे।
समीर को इन बातों में दम लगा।कलेजे पर पत्थर रख वह पिता को वृद्धाश्रम छोड़ने गया।
वृद्धाश्रम छोड़ने के समय उसके पापा कह रहे थे,बेटा मुझे कुछ दिया जाता है ,जिससे मेरी तबियत खराब हो जाती है।
समीर को यकीन नहीं हुआ,कौन पापा जी का इतना बड़ा दुश्मन है,उसे लगा पापा जी का वहम है।
उसने कहा पापा जी कुछ दिन आप यहां रह लो,आपकी तबियत ठीक हो जाएगी तो मैं आपको लेने आ जाऊंगा।
अब राकेश जी कह ही क्या सकते थे।मन मसोस कर रह गए।
वृद्धाश्रम से लौटते वक्त ,उनकी सूनी सूनी आंखें याद कर समीर रोने लगा।
दो तीन दिन तक समीर ने कुछ नहीं खाया,ऑफिस भी नहीं गया।उसकी अंतरात्मा कचोट रही थी ,जिस पिता ने उसकी उंगली पकड़ चलना सिखाया ,उसके मुंह खुलते ही हर चीज लाकर दिया ,आज उनकी उंगली पकड़ वह उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आया।
अंजली खूब समझा रही थी ,पापा के लिए वही अच्छा था ,वहां अपने साथ की उम्र के लोगों के बीच रह उनकी सेहत सुघर जाएगी ,तुम परेशान न हो।
लेकिन समीर ....,अपने को माफ नही कर पा रहा था।
इधर अब अंजली के मजे ही मजे दे।समीर जब दो दिन बाद ऑफिस जाने लगा तो ,अंजली आजाद हो गई।ज्यादातर समय उसका मिसेज भल्ला के घर ही बीतता था।
आस पास की महिलाएं मिसेज भल्ला के बारे में भला बुरा कहती थीं ,लेकिन अंजली को लगता कि ये सब जलती हैं,उनके वैभव और लाइफ स्टाइल को लेकर।
अब समीर को अंजली से ज्यादा मतलब नहीं रहता ,वह रोज एक बार ऑफिस के बाद वृद्धाश्रम जरूर जाता ,पिता को वहां कोई दौरा नहीं आया,ठीक थे लेकिन दुखी थे। वहां पापा से मिल घर आ बच्चों को पढ़ाता,खाना खा , सो जाता।
समीर ने वहां पापा को अच्छे कमरे में रखवाया था ,उनकी सुख सुविधा का भी पूरा इंतजाम किया था।
अंजली देख रही थी कि समीर नाराज है ,लेकिन वह झुकना नहीं चाहती थी कहीं फिर से पापा जी को समीर घर न ले आए।
एक दिन अंजली मिसेज भल्ला के घर गई,उसने देखा दो युवक युवती बैठे थे, वे आपस में अजीब हरकतें कर रहे थे।
वह वहां से लौटने लगी तो ,मिसेज भल्ला ने अंजली को देख लिया ,कहने लगीं आओ अंजली ।
अंजली ठिठक गई उसने कहा _ये लोग कौन हैं।
अरे ये बेचारे एक दूसरे से प्यार करते है,लेकिन घर वालों को रिश्ता पसंद नहीं,तो मेरे घर चले आते हैं ,थोड़ा समय बिताने को।
बैठो अंजली मैं कॉफ़ी मंगवाती हूं, वे रसोई की ओर गईं,नौकरानी को कुछ समझाया और वापस आ गईं।
थोड़ी देर में कॉफी लेकर नौकरानी आ गई।मिसेज भल्ला ने अंजली के ससुर का हाल पूछा।अंजली ने बताया क्या कहूं मेरे पति बहुत परेशान रहते हैं अपने पिता के बिना ,लेकिन मैं जान कर भी अंजान बनी रहती हूं, कि कहीं वो फिर पापा जी को घर न ले आएं।
सही कर रही हो ,मिसेज भल्ला ने कहा।
कॉफी पीते ही अंजली की आंखों के आगे अंधेरा छा गया और उसकी चेतना जाती रही।
उसे होश आया तो उसने खुद को पुलिस स्टेशन में पाया।देखा समीर,उसके पापा जी इंस्पेक्टर के पास बैठे थे।और सामने मिसेज भल्ला ,मिस्टर भल्ला, वे लड़का ,लड़की और एक और पुरुष सब थाने की कोठरी में बंद थे ।
ये क्या हो रहा है? अंजली आंख खोलने की कोशिश करती हुई बोली।
समीर ने कहा _ इंस्पेक्टर साहब अब हम जा सकते हैं?
इंस्पेक्टर ने उठते हुए कहा _वेल डन मिस्टर समीर आपने हमें सही समय पर जानकारी दी ,और हम इन पति पत्नी को रंगे हाथ पकड़ सके।
समीर,पापाजी ,और अंजली घर आ गए।
अगले दिन जब अंजली पूरे होशो हवास में आई तब ,उसमे पूछा क्या हुआ था कल?
समीर ने बताया ,तुम केवल मिसेज भल्ला की झूठी शानोशौकत की चकाचौंध में आकर इतनी अंधी हो गई थी कि तुम्हें अच्छा बुरा कुछ समझ नहीं आ रहा था।
तुमने कभी गौर नहीं किया कि जब मिस्टर भल्ला ज्यादातर घर में रहते हैं तो इतनी शानो शौकत कैसे?
मिस्टर भल्ला ड्रग का धंधा करते थे,और मिसेज भल्ला अपने घर में वेश्यावृति ।तुम जैसी पागल ,नादान ,महिलाओं को अपने चंगुल में फंसा ,नशे का सेवन करा किसी पर पुरुष के साथ वीडियो बना ब्लैकमेल करती थीं और फिर महिलाएं इस दलदल में फंस अपना सब कुछ गवां देती हैं।
अंजली को विश्वास नहीं हो पा रहा था।
उसने पूछा आप सबको कैसे पता?
समीर ने कहा _पापा जी कोई अनपढ़ जाहिल नहीं थे ,उन्होंने बहुत दुनिया देखी है,उनके आंख और कान दोनों खुले थे।
जब वो मॉर्निंग वॉक जाते थे तो पड़ोस के मिश्रा अंकल (के कमरे से मिस्टर भल्ला के घर होने वाली गतिविधियां दिखाई देती थीं ),ने बताया था।
और जब पहली बार तुमने पापा जी को चाय दी और उन्हें अपना व्यवहार अजीब लगा तो वे सतर्क हो गए।
अब जब तुम चाय देती तो , वे उसे पीते नहीं थे बल्कि फेंक कर नाटक करते थे।
उन्होंने तुम्हें और मिसेज भल्ला को बात करते सुन लिया था ,जब वो तुमको डॉक्टर का पता बता रही थी,और जोर दे रही थी,उसी डॉक्टर को दिखाने को।
और कुछ सुनना बाकी है ?समीर गुस्से से बोला।
तो ये सब नाटक था ,वृद्धाश्रम भेजना ,आपका दुखी रहना ?
हां , मैं सोचता था कि तुम मुझे बहुत प्यार करती हो ,और मुझे दुखी देख पिघल जाओगी ,और कहोगी कि पापा को लिवा लाओ।
पर तुम्हें मुझसे ज्यादा अपनी आजादी प्यारी थी।
उस दिन सुबह से ही मिश्रा अंकल ने मिसेज भल्ला के घर काफी गतिविधियां देखी,और तुम्हें जाते देखा तब उन्होंने पापा को फोन किया ,और पापा ने मुझे।
मैं समय पर पुलिस लेकर पहुंच गया ,और तुम्हारी अस्मत जाते जाते बच गई ।जो आज हमलोगो के बीच तुम सही सलामत खड़ी हो ,वो सिर्फ पापाजी की बदौलत।
अंजली की आंखों से आंसू झर झर बहने लगे।वह ससुर के पैरों पर गिर पड़ी।पापाजी आज मेरी समझ में आया मैने आपको कितने दुख दिए लेकिन आपने कभी मुझे एक शब्द भी नहीं कहा ,सहते रहे।
राकेश जी ने कहा , बहू मेरी बेटी नहीं थी ,जब तू बहू बन कर आई तो मुझे लगा मेरी बेटी मिल गई ,लेकिन तूने हम दोनों सास ,ससुर को माता पिता समझा ही नहीं ,तुझे हम बोझ लगते ,जो तेरी खुशी में बाधक थे।
समीर ने इस बोझिल माहौल को हल्का करते हुए कहा _तो चलें पापा वृद्धाश्रम ।
राकेश जी ने हंसते हुए कहा_हां हां क्यों नही।
अंजली एक छोटी बच्ची की तरह राकेश जी के सीने से लग गई कहते हुए मेरे पापा हैं कहीं नहीं जाएंगे ,समझे।
खुशी से राकेश जी की आंखें भर आईं।
अंजली खुश थी लेकिन कभी कभी उसे अपने द्वारा की गई गलती पर अपराध ग्रस्त हो जाती ।
समाप्त
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