"कमला काकी" भाग-1


बारिश का मौसम कितना खुशनुमा मौसम होता है, ऐसे मौसम में हम लोगों के कॉलेज में बना प्रोग्राम.....
बढ़िया हल्की-हल्की पानी की फुहार चल रही थी......
और ठंडी हवा के झोंके आ रहे थे..... चिड़िया चहचहा रहीं थी....ऐसे में खुशी में हम लोग फूले नहीं समा रहे थे, प्रातः काल का समय बहुत सुहावना मौसम लग रहा था....
सेवा कार्य के लिए जाना था..... पहले एन.एस.एस कैंप लगते थे जिसमें कि श्रमदान किया जाता था...सो 15-20 स्टूडेंट्स का नाम लिखा गया.... कॉलेज में श्रमदान के लिए.....हम लोगों के साथ में दो लेक्चरर भी थी और दो सर भी थे,जो हम लोगों को बस से पास ही के गाँव में श्रमदान के लिए लेकर गए......
बस में से हम लोग खूब खेत खलियान सब देखते हुए जा रहे थे..... हरे भरे खेत बहुत अच्छे लग रहे थे और कभी बंदरों के झुंड दिख जाते..... तो कभी हिरण के झुंड दिख जाते.... ऐसे देखते हुए हम लोग चले जा रहे थे फिर ख्याल आया.... ऐसे मौसम में अंत्याक्षरी का मजा कुछ और ही है..... 
तो सोचा अंत्याक्षरी क्यों ना खेली जाए...? 
फिर क्या था!! हम लोगों ने बस में खूब अंताक्षरी खेली खूब बारिश के गाने भी गाए.... बीच-बीच में खाने का दौर चलता जा रहा था..... सब तरह के व्यंजन, पकवान,मीठा, 
नमकीन सभी लोग लेकर आए थे.... बीच-बीच में दौर चलता रहता था खाने-पीने का....झूमते झामते हम लोग मस्त होते गाँव पहुंच गए......
हम 4 सहेलियां हमेशा साथ-साथ रहते थे.... मैं हेमलता स्नेहलता, कृष्णा और निधी.... सभी लोग अपना अपना सामान लेकर बस में से नीचे उतरे.... टेंट का सामान भी था साथ में.....सभी युवा लड़कों ने मदद करी टेंट लगाने में....टेंट लगाया गया फिर हम सभी ने अपना अपना सामान उसमें रख लिया.... सामान में क्या !! दो जोड़ी कपड़े और थोड़ा बहुत.... मेकअप का सामान बस इतना ही था सामान के नाम पर....फिर सोचा पहले चाय पी ली जाए कहीं चल कर.... उसके बाद फिर अपन श्रमदान के लिए चलते हैं जहां पर अपन को श्रमदान करना है.....
हम सभी लोगों ने वहां पर चाय पी... उसके बाद हम लोग जहां पर श्रमदान करना था वहाँ पहुंच गए.... वहाँ शहर से 
मिलाने वाली सड़क तैयार हो रही थी......
क्रमशः---
     कहानीकार -रजनी कटारे 
           जबलपुर ( म.प्र.)
नोट:--
अगले भाग में कमला काकी से होगी मुलाकात!!

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