लखनऊ
भारत के कलात्मक,और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ।
नवाबों द्वारा बनाई गई कुछ विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरें इस शहर की शान में चार चांद लगाती हैं।
कहते हैं इस ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी को श्री राम के अनुज लक्ष्मण ने बसाया था , उस समय इसका नाम लक्ष्मणपुरी के नाम से विख्यात था।गोमती नदी के तट पर बसा लखनऊ वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राजधानी है।
नवाबों की इस नगरी को शायरों ने अपनी शायरी में सजाया है
लौट आया दिल फिर उन गलियारों में
बीता था बचपन जहां चंद यारों में
जहां की हवा भी अदब से चलती है
दबे पांव वो मुझसे कहती है
मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं।
गंगा जमुनी संस्कृति को अपने में समेटे ,यह तहजीबों का शहर है।
ये शहर मुख्य रूप से अपने शाही दख्तरखानों,और चिकनकारी के लिए मशहूर है।
कैसे पहुंचें
उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के कारण आवागमन की हर सुविधा उपलब्ध है,हवाई,सड़क और रेल मार्ग से आप यहां पहुंच सकते हैं।
यहां यूं तो बहुत कुछ है देखने को ,लेकिन आज कुछ चुनिंदा दर्शनीय स्थलों के बारे में संक्षिप्त रूप से जानते हैं।
_ बड़ा इमामबाड़ा
इस इमामबाड़े का निर्माण नवाब आसफउदौला ने 1784_1794 के मध्य करवाया था। अकाल के समय मजदूरों को काम मुहैय्या इसी इमारत के निर्माण द्वारा करवाया था।
यह इमारत स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है ,विशाल गुंबदनुमा हॉल 50मीटर लंबा और15 मीटर ऊंचा है ।इसे बनवाने में 5_10लाख रूपये की लागत आई ,और इमारत की साज सज्जा पर 4_5लाख का सालाना खर्च था।
ईरानी शैली की इस विशाल गुंबदनुमा इमारत की छत तक जाने के लिए 84 सीढियां हैं,जो ऐसे ऐसे रास्ते से उपर तक जाती हैं की ज्यादातर पर्यटक भटक ही जाते हैं इसलिए इसे भुलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है।
घंटाघर (क्लॉक टावर)
यह भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है।इसका निर्माण 1887 ईसवी में करवाया गया था ,यह ब्रिटिश वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है।221 फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण नवाब नसीमुद्दीन हैदर ने सर जॉर्ज कूपर के आगमन पर करवाया था।
सआदत अली का मकबरा
यह मकबरा अवध वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है।इसकी खासियत इसकी छत और गुम्बद है।
यहां सआदत अली और उनकी बेगम खुर्शीद जैदी का मकबरा है,उनकी रूहें यहीं बसी हैं।
रूमी दरवाजा
इस दरवाजे का निर्माण भी 1783 में अकाल के दौरान गरीबों ,मजदूरों को रोजगार मिल सके इसके तहत बनवाया गया था।
टर्किश गेटवे के नाम से जाने जाने वाले इस दरवाजे पर भी गदर फिल्म की शूटिंग हुई थी।यह इमारत 60 फीट ऊंची है।
रेजीडेंसी
रेजीडेंसी 1857 के युद्ध का गवाह है ,यहां की खंडहर इमारतें अपनी भव्यता का आज भी बखान करती हैं ।यह करीब 33एकड़ में फैला है।
यह इमारत अंग्रेजों के लिए सआदत अली के द्वारा 1780_1800ईसवी में बनवाई गई थी।
इस इमारत में पूरा शहर ही बसा दिया गया था।
बेली गेट,ट्रेजरी हाउस, मेन बिल्डिंग,म्यूजियम,बेगम कोठी,संत मेरी चर्च,और कब्रिस्तान,जैसे काफी इमारतें इसके अंदर ही हैं।
सैनिक विद्रोह के समय अंग्रेजों को यहीं गोलियों से भून दिया गया था।
ऐसा माना जाता है की रात में यहां जाना उचित नहीं है।
यहां लाइट एंड साउंड शो दिखाया जाता है ,सोमवार के दिन यह बंद रहता है ।
जनेश्वर मिश्र पार्क
लखनऊ के गोमती नगर में स्थित यह पार्क लगभग 375 एकड़ में फैला है। यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा पार्क है।यहां पर्यटकों को देखने के लिए भारतीय सेना का लड़ाकू विमान मिग 21 रखा गया है। सुंदर मानवनिर्मित झील ,जिसमें लोग बोटिंग का भरपूर आनंद उठाते हैं।शहर के बीचों बीच प्राकृतिक हरियाली बिखेरता यह पार्क प्रदूषण से झेलते शहर को सकून देता है।
साइंस सिटी
साइंस सिटी के अंदर देश विदेश की विभिन्न प्रकार की टेक्नोलॉजी को बड़ी सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।यहां एक संग्रहालय भी है।विज्ञान की खूबसूरती को इस जगह बहुत ही निराले ढंग से दर्शाया गया है।
अंबेडकर पार्क
गुलाबी पत्थरों के बनाया यह पार्क रात को अपनी झिलमिल रोशनी से बेहद खूबसूरत छटा बिखेरता है।
पार्क के अंदर सैकड़ों हाथियों की प्रतिमाएं मौजूद हैं ,जो एक दम जीवंत प्रतीत होती हैं।
नवाब वाजिद अली शाह चिड़ियाघर
यहां विलुप्त हो चुके प्रजातियों को देखा जा सकता है।इसके अंदर,म्यूजियम,झील ,बाल ट्रेन,और हाथी की सवारी का भी आप भरपूर मजा ले सकते हैं।
मरीन ड्राइव
मुंबई के मरीन ड्राइव का नाम तो हर किसी ने सुना है ,लखनऊ में भी गोमती किनारे अंबेडकर पार्क के निकट यह स्थल पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है ।शाम को चांद की दूधिया रोशनी और शहर की स्ट्रीट लाइट की रोशनी में नहाया ये बहुत खुबसूरत प्रतीत होता है।
क्या खरीदें
यहां की चिकनकारी दुनिया भर में मशहूर है,जरदोजी का काम यहां बड़े स्तर पर होता है।
खाने में रेवड़ी,गजक , टुंडे के कवाब,मक्खन मलाई,बन मक्खन आदि मशहूर हैं।
लखनऊ मिश्रण है नए और पुराने शहर का ,यहां आधुनिकता भी है तो पुरानी विरासत भी।गलियों की हलचल। चौक की मक्खन मलाई भी है तो कवाब भी।
बेगमें हैं तो रैंप पर चलती मॉडलें भी।मंदिर में घंटे भी बजते हैं तो मस्जिदों में अज़ान की आवाज़ें भी ।सब कुछ तो है इस लखनऊ में।कभी आएं तबियत से इस लखनऊ में।
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