ऐ नौजवां तुम्हें अबतो अग्निपथ पर चलना होगा। देश के तीनों सेनाओं में ही अग्निवीर बनना होगा। ऐसी एक योजना शासन ने तेरे लिए ही बनाई है। देशसेवा हेतु नौजवानों ये योजना ले कर आई है। जब तक खून गर्म है तेरा दहक रही सीने में आग। इस बेरोजगारी में तू इधर उधर कहीं भी ना भाग। देश प्रेम में चार साल की सेवा कर कुछ लो कमा। जैसा पैकेज दिया गयाहै उसका ये लो लाभ उठा। बात समझ में नहीं आरही बिल्कुल ये जवानों के। 4वर्ष की देश सेवा बाद क्या होगा इन जवानों में। कहाँ जायेंगे क्या करेंगे दस परसेंट आरक्षण लेके। नहीं सुरक्षित कोई भविष्य हैं इनके ये सेवाएं देके। विपक्षी पार्टियों नेभी है इनको खूब भ्रमित किया। नई जवानी जोश देख के इनको हैं पथभ्रष्ट किया। इनके कदम उठे हैं गलत दिशा में तोड़फोड़ करते। अपने विरोध के प्रदर्शन में येसब आगजनी करते। धधक रहा देश आज क्रांतिवीर अग्निपथ पे खड़े। देश सुरक्षा ये ना सोचें निज भविष्य के लिए लड़ें। देश की संपत्तियों को नौजवान नुकसान पहुंचाएं। होने लगीहै धर पकड़ इनके ऊपर मुकदमें लगाएं। शासन सत्ता भी समझाने में इनको होजाती फेल। देशद्रोह की धाराओं में भेज रहीहै इनको वो जेल। ऐसे दाग...
हे अग्नि वीर तुम कर्मवीर काटते शत्रुओं के तुम हो तीर पीछे मुड़ के न देख वीर दुश्मन के छाती को दो चीर !! देश के तुम आस हो हम सबके तुम विश्वास हो न डिगना कर्तव्य पथ से तुम देश हेतु सबसे खास हो!! देश के कर्णधार तुम जीवन के आधार तुम मां भारती के तुम सपूत मानो विधाता के तुम हो दूत !! तैनात रहते हो सदा मंशा तुम्हारी देश हित छक्के छुड़ा दुश्मन के तुम देश को दिया हैअद्भुत जीत!! करते न्योछावर जान तुम शांति अमन के लिए अपने सुखों को भूल कर हमारे खुशी खातिर जिए !!
कुछ समय बाद अमन जगता है तो उसकी नजर दीवार पर टंगी हुई घडी पर पड़ती है जिसमें ८ बज रहा होता है। समय देखकर उसे राहत महसूस होती है, की "कल जो भी उसके मित्र गण बोल रहे थे वह ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे , अगर ऐसा करना होता तो वह उसे अपने आंदोलन में शामिल होने को जरूर कहतें। दूसरी तरफ अमन के सभी मित्र और गाँव के बहुत से लडके जिन्हें सैनिक में नहीं जाना था, वह भी इनलोगों के साथ मिलकर ट्रेनों, बसों, ट्रक इत्यादि यहाँ तक की बहुत से पब्लिक कारों तक को आग लगा देते हैं। करण अमन को वहाँ न देखकर कुछ लड़कों के साथ उसके घर आ जाता है और अमन को आंदोलन में शामिल होने को कहता है। अमन और सीमा (अमन की माँ) के लाख मना करने पर भी वह नहीं मानता है। आखिरकार अमन को आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए जाना ही पड़ता है। अमन बचपन में ही ये संकल्प लिया होता है की परिस्थिति चाहे जैसी भी हो वह कभी अपने देश का अहित नहीं करेगा। वह अपने बल का प्रयोग सदा देश हित के लिये ही करेगा।ट्रेनों, बसों में आग लग जाने के कारण बहुत से यात्री वहीं बैठे घर जाने की प्रतिक्षा कर रहे होते हैं। वहाँ पहुँचते ही अमन भीड़ म...
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